विद्यार्थियों की यात्रा कितनी सुरक्षित, क्या करती है शालेय परिवहन समिति
नियंत्रण हेतु शालेय परिवहन समिति अनिवार्य
अमरावती/दि.20– राज्य सरकार ने शालेय विद्यार्थियों को घर से स्कूल तक लाने-ले जाने का काम करने वालों पर नियंत्रण रखने हेतु शालेय परिवहन समिति स्थापित करने के संदर्भ में अब तक विविध सरकारी निर्णय जारी किये है. जिसके तहत शहर की सभी शालाओं में शालेय परिवहन समिति की स्थापना की गई है. परंतु कहीं-कहीं पर समिति का कामकाज नियमित दिखाई देता है और कुछ स्थानों पर ऐसी समिति कागजों पर ही दिखाई देती है.
उल्लेखनीय है कि, शहर के इससे पहले घटित कुछ हादसों को देखते हुए विद्यार्थियों की आवाजाही के संदर्भ में विशेष ध्यान देने का आदेश राज्य सरकार ने शिक्षा व परिवहन विभाग को दिया है. परंतु इस आदेश को लेकर आवश्यक गंभीरता नहीं दिखाई जाती. जिसके चलते शहर में रिक्शा एवं वैन के जरिए क्षमता से अधिक शालेय विद्यार्थियों की ढुलाई की जाती है, जो काफी जोखिमभरा काम हो सकता है. ऐसे में शालेय परिवहन समिति, पुलिस व शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रुप से काम किये जाने पर विद्यार्थियों का स्कूल आना-जाना सुरक्षित हो सकता है.
* जिले में ढाई हजार से अधिक शालाएं
जिला परिषद, नगर परिषद व महानगरपालिका की शालाओं सहित निजी शालाओं की संख्या अमरावती जिले में 2 हजार 500 से अधिक है. इसमें से शहर में रहने वाली अधिकांश शालाओं में विद्यार्थियों की आवाजाही स्कूल बस या रिक्शा के जरिए होती है. शहर में 250 से अधिक निजी शालाएं है. वहीं मनपा की 63 व जिला परिषद की 3 से 4 शालाएं है.
* 50 फीसद शालाओं में समिति ही नहीं
– अधिकांश शालाओं में शालेय परिवहन समिति केवल दस्तावेजों पर ही है. प्रत्येक शाला में इस समिति की प्रति तीन माह के दौरान बैठक होना आवश्यक है. लेकिन कई शालाओं में समिति की बैठक भी केवल कागजी खानापूर्ति के जरिए ही हो जाती है. इसके तहत समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर ले लिये जाते है और प्रत्यक्ष में कोई कार्रवाई नहीं होती.
– वहीं 50 फीसद शालाओं में शालेय परिवहन समिति की स्थापना ही नहीं हुई है. जिसके चलते शहर में रिक्शा एवं वैन के जरिए धडल्ले के साथ क्षमता से अधिक शालेय विद्यार्थियों की ढुलाई की जाती है.
* ऐसी होती है शालेय परिवहन समिति
इस समिति में मुख्याध्यापकों के अध्यक्षता के तहत पालक-शिक्षक संघ के प्रतिनिधि, यातायात पुलिस निरीक्षक अथवा पुलिस निरीक्षक, मोटर वाहन निरीक्षक, शिक्षा निरीक्षक, बस या वैन ठेकेदार के प्रतिनिधि व स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधि को सदस्य के तौर पर शामिल किया जाता है.
– जिला परिषद के प्राथमिक व माध्यमिक तथा मनपा के शिक्षाधिकारी पर शालेय परिवहन समिति के कामकाज पर ध्यान देने की जिम्मेदारी होती है.
* समिति की जिम्मेदारी
अवैध यातायात पर नियंत्रण रखना, विद्यार्थियों की सुरक्षित आवाजाही को सुनिश्चित करना, विद्यार्थियों का समूपदेश करते हुए सुरक्षा हेतु जनजागृति करना, बस स्टॉपेज व परिवहन शुल्क निश्चित करना, वाहन के दस्तावेज, पंजीयन प्रमाणपत्र, बीमा, वायू प्रदूषण प्रमाणपत्र, ड्राइवर के लाईसेंस व प्रथमोपचार पेटी की जांच करना.