अमरावती

ऑनलाइन जालसाजी के पैसे वापिस मिलें कैसे?

साइबर सेल में मनुष्यबल अपर्याप्त

* अपराधी रहते है दूसरे राज्यों में
* लगातार बढ रही शिकायतें

अमरावती /दि.20– कोविड काल के बाद देश भर में लोगों द्वारा डिजीटल बैंकिंग के साथ ही ऑनलाइन लेन-देन के व्यवहारों का प्रयोग काफी अधिक किया जा रहा है. साथ ही ऑनलाइन खरीददारी भी जमकर हो रही है. जिसके साथ ही साइबर अपराधों में भी वृद्धि होने लगी है और साइबर अपराधियों द्वारा अलग-अलग तरह के प्रलोभन व लालच देने के साथ ही डर दिखाकर लोगों के बैंक खातों से अपने बैंक खातों में लाखो-करोडों रुपयों की रकम ट्रान्सफर पर ऑनलाइन जालसाजी की जा रही है. चूंकि ऐसे मामलों के आरोपी दूसरे राज्यों में ठिया जमाये बैठे रहते है. जिन तक पहुंचने में साइबर पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पडता है. साथ ही इस समय साइबर सेल में भी पर्याप्त मनुष्यबल का अभाव है. जिसकी वजह से लोगों की गाडी क्रमांक पर डाका डालने वाले साइबर अपराधियों तक पहुंचना और भी अधिक मुश्किल हो गया है.

उल्लेखनीय है कि, इन दिनों हर कोई आर्थिक लेन-देन करने लगा है. सब्जी खरीदने से लेकर पेट्रोल डलवाने तक क्यूआर कोड स्कैन व कार्ड स्वैपिंग का सहारा लिया जाता है. डिजीटल बैंकिंग के जरिए किये जाने वाले व्यवहार को सुरक्षित मानकर लोगबाग ऑनलाइन आर्थिक लेन-देन पर विशेष जोर देने लगे है. परंतु इसी आर्थिक लेन-देन की वजह से साइबर अपराधियों को जालसाजी करने के अवसर जाने-अंजाने मिलने लगते है. जिसके चलते बेहद सावधान व सतर्क रहकर ऑनलाइन व्यवहार करने की जरुरत हमेशा ही जताई जाती है.

* साइबर सेल में कितना मनुष्यबल?
– 1 पुलिस निरीक्षक
अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय के साइबर सेल पुलिस स्टेशन में 1 पुलिस निरीक्षक की नियुक्ति है और फिलहाल साइबर सेल के थानेदार पद की जिम्मेदारी पीआई गजानन तामटे के पास है.
– 1 एपीआई व 1 पीएसआई
साइबर सेल में एक सहायह पुलिस निरीक्षक व एक पुलिस उपनिरीक्षक की भी तैनाती की गई है.
– 16 कर्मचारी
शहर पुलिस आयुक्तालय के साइबर सेल में 16 पुलिस कर्मी भी पदस्त है. लेकिन उनके भी काम करने की अपनी मर्यादा है.

* रोजाना कितनी शिकायते मिलती है?
शहर पुलिस आयुक्तालय के साइबर सेल पुलिस थाना में रोजाना अलग-अलग तरह की औसतन 2 से 3 शिकायते मिलती है और शिकायतों का स्वरुप देखते हुए अपराधिक मामले दर्ज किये जाते है. ज्यादातर शिकायते ऑनलाइन जालसाजी सहित सोशल मीडिया के अकाउंट की हैंकिंग से संबंधित होती है.

* कौनसी दिक्कते आती है सामने?
– आरोपी 1, मामले कई
कभी-कभी अलग-अलग मामलों में साइबर अपराधी एक ही होता है और एक ही आरोपी के खिलाफ कई तरह के अलग-अलग मामले दर्ज होते है. ऐसे मेें साइबर अपराधियों का पीछा करते समय काफी दिक्कते पैदा होती है.
– मामले की जडे दूसरे राज्य में
साइबर जालसाजी से संबंधित लगभग सभी मामलों के तार अन्य राज्यों से जुडे होते है ऐसे में इन अपराधियों का पीछा करने और उन्हें पकडने हेतु पुलिस को राज्य से बाहर जाकर अलग-अलग राज्यों में दौरा करना पडता है.
– बंदोबस्त की भी जवाबदारी
अधिवेशन जैसे बडे कार्यक्रम अथवा किसी बडे राजनेता का दौरा या कार्यक्रम रहने पर शहर सहित शहर से बाहर लगाए जाने वाले बंदोबस्त के चलते साइबर पुलिस को भी काम के अतिरिक्त बोझ का सामना करना पडता है.
– कोर्ट के चक्कर
कई बार थानेदार व सहायक पुलिस निरीक्षक को आरोपपत्र सहित अन्य संबंधित कामों के लिए अदालत में जाना पडता है. साथ ही कभी कभी नागपुर हाईकोर्ट में भी हाजिरी लगानी पडती है. ऐसे में अदालती कामकाज के चलते भी नियमित जांच के मामले में काम प्रभावित होता है.

* कितने कर्मचारियों की जरुरत?
साइबर सेल में 2 लाख रुपयों से अधिक की जालसाजी से संबंधित मामलों की शिकायत दर्ज की जाती है. लेकिन इसके अलावा ऑनलाइन जालसाजी से संबंधित अन्य सभी मामलों तथा मोबाइल के चोरी व गुम हो जाने जैसे मामलों की शिकायतें भी साइबर सेल में ही दर्ज होती है. जिसकी वजह से काम का बोझ बढ जाता है. जिसे निपटाने हेतु साइबर सेल में और भी अधिक मनुष्यबल लगाए जाने की जरुरत है.

* साइबर सेल पर काम का बोझ कम करने हेतु ज्यादातर शिकायतें संबंधित पुलिस थानों में दर्ज कराई जाती है. इन दिनों साइबर जालसाजी की घटनाएं काफी अधिक बढ गई है. जिनकी जांच पडताल करने हेतु अमरावती शहर पुलिस पूरी तरह से तत्पर है.
– नवीनचंद्र रेड्डी,
शहर पुलिस आयुक्त, अमरावती

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