अमरावती

तरबूज का केमिकल लोचा कैसे पहचानें?

अमरावती/दि.31 – गर्मी बढते ही मिठास भरा स्वाद और पेट में ठंडक देने वाले तरबूज की विक्री बढ गई है, लेकिन कच्चे तरबूज को केमिकल का प्रयोग करते हुए पकाकर बेचे जाने के भी शिकायतें है. इस बात की ओर अन्न व औषधी प्रशासन का पूरा ध्यान है और महकमे द्बारा जल्द ही इसे लेकर जांच अभियान भी शुरु किया जाएगा. तरबूज में 92 फीसद पानी होता है, जो गर्मी के मौसम दौरान शरीर में डी-हाईड्रेशन होने से रोकने में मदद करता है.

* लाल तरबूज को कैसे पहचाने
कच्चा तरबूज गहरे रंग का होता है और कुछ अधिक चमकदार भी रहता है. वहीं अच्छी तरह से पका हुआ तरबूज इतना चमकदार नहीं रहता. साथ ही पके हुए तरबूज को बजाकर देखने पर एक विशिष्ट आवाज भी सुनाई देती है.

* 20 रुपए किलो के दाम
इस समय बाजार में 15 से 20 रुपए किलो की दर पर तरबूज उपलब्ध है. तरबूज की आवक बढने पर दाम घटकर 10 से 15 रुपए तक आने की संभावना फल व्यवसायियों द्बारा जताई जा रही है. इस समय बाजार में हर ओर तरबूज ही तरबूज दिखाई दे रहे है.

* केमिकल से पके तरबूज की कैसे करें जांच
केमिकल के प्रयोग कर पकाए गए तरबूज मेें पीला रंग दिखाई नहीं देता, बल्कि उसका डंठल हरा ही रहता है. टेढे-मेढे, बीच मेें दबे हुए तथा गड्ढा रहने वाले तरबूज को खरीदना टालना चाहिए. बाजार से खरीदे गए तरबूज को 10 से 15 मिनट तक पानी में डालकर रखना चाहिए. ताकि उस पर लगा केमिकल निकल जाए. साथ ही तरबूज भी भीतर तक ठंडा हो जाए.

* अन्न व औषध प्रशासन का ध्यान
ग्रीष्मकालीन फलों का सीजन अब जाकर शुरु हुआ है. जिसके चलते बाजार में आम, तरबूज, खरबूज व अनानस जैसे फल दिखाई देने लगे है. ऐसे में अन्न व औषध प्रशासन द्बारा इन सभी फलों की ओर ध्यान दिया जा रहा है.

* केमिकल का प्रयोग कर किया जाता है लाल
तरबूज को पकाने हेतु स्टेरॉयड के इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है. लेकिन इससे तरबूज के भीतर तंतूओं का मजबूत जाल नहीं रहता, बल्कि तरबूज भीतर से टूटा-टूटा दिखाई देता है. इसी तरह कई फल विक्रेता कच्चे तरबूज को भीतर से लाल करने हेतु कार्बाइड सहित अन्य कुछ केमिकलों का प्रयोग करते है.

* अन्न व औषधी प्रशासन द्बारा शहर के फल विक्रेताओं पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है. फिलहाल तरबूज में केमिकल के प्रयोग को लेकर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. अगर किसी भी तरह के फल में केमिकल के प्रयोग की कोई शिकायत है, तो ऐसी शिकायत टोल फ्री क्रमांक पर दर्ज की जा सकती है.
– शरद कोलते,
सह आयुक्त, अन्न व औषधी प्रशासन विभाग

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