यह कैसा प्रस्ताव, यह तो ‘बनाव’
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता एडतकर ने मनपा की उडाई खिल्ली
* बोले- बहुमत रहने से चांद पर जाने का भी प्रस्ताव किया जा सकता है पारित
अमरावती/दि.18– अगर आपके पास बहुमत है, तो आप किसी भी तरह का प्रस्ताव पारित कर सकते है फिर चाहे आगे चलकर उस पर अमल हो अथवा न हो. जिसके तहत बहुमत के जरिए चांद की यात्रा पर जाने का भी प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. कल अमरावती मनपा में जो कुछ भी हुआ, वह कुछ इसी तरह का मामला था. जिसके तहत मनपा की आमसभा में राजापेठ रेल्वे उडानपुल पर अब एक नहीं बल्कि दो पुतले स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. लेकिन ऐसा करते समय यह विचार बिल्कुल भी नहीं किया गया कि, ढंग से दो लेन भी नहीं रहने वाले उडानपुल पर आखिर दो-दो पुतले कैसे स्थापित किये जाएंगे. इस आशय की प्रतिक्रिया कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एड. दिलीप एडतकर द्बारा दी गई.
गतरोज मनपा की आमसभा द्बारा राजापेठ रेल्वे उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज व छत्रपति संभाजी महाराज के पुतले तथा छत्री तलाब परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की अश्वारुढ प्रतिमा स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिये जाने की खिल्ली उडाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता दिलीप एडतकर ने कहा कि, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा की पूरी टीम को विधायक रवि राणा के चरणों में विलीन करते हुए उडानपुल पर छत्रपति शिवाजी महाराज व छत्रपति संभाजी महाराज के पुतले स्थापित करने का प्रस्ताव मनपा में मंजूर करवा दिये. प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही कुछ लोग ऐसे विजयोत्सव मना रहे है. मानो राजापेठ आरओबी पर पुतला स्थापित हो गया हो, जबकि हकीकत यह है कि, सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के खिलाफ कोई भी सरकारी महकमा उडानपुल पर पुतला स्थापित करने हेतु एनओसी नहीं दे सकता. ऐसे में कल पारित किया गया प्रस्ताव पूरी तरह से निरर्थक है और यह एक तरह से आम जनता की दिशाभूल करने का प्रयास है. इसी तरह पुतलों के लिए 5 करोड रुपए की निधि देने की घोषणा की गई है. जबकि हकीकत यह है कि, मनपा के पास अपने वाहनों में पेट्रोल व डीजल भरवाने के लिए पैसा नहीं है, तो पुतले स्थापित करने हेतु पैसा कहा से आएगा. यह भी अपने आप में एक बडा सवाल है. इसके अलावा सबसे बडी बात यह है कि, मनपा की अंतिम आमसभा में जिन लोगों ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है, उसमें से कितने लोग चुनाव पश्चात मनपा के अगले सदन में चुनकर आएंगे. यह भी निश्चित नहीं है ऐसे में प्रस्ताव को मंजूरी देने वाले लोगों की कोई जिम्मेदारी ही नहीं बनती, तो प्रस्ताव को मंजूरी देने में उनका क्या जाता है. कुछ इसी भाव के साथ इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. यानि कुलमिलाकर सब बातों का ही बाजार चल रहा है. एड. दिलीप एडतकर के मुताबिक पांच वर्ष पूर्व विकास के बडे बडे वादे और दावे करते हुए भाजपा ने मनपा की सत्ता हासिल की थी. लेकिन काम के नाम पर नतिजा कुछ भी नहीं निकला. ऐसे में अब पुतलों की राजनीति करते हुए वोटों को साथ देने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि यह पब्लिक है सब जानती है.