अमरावती

गरीबों के बच्चों की परेशानियां कैसे दूर करेंगे

विद्यार्थियों की 20 से कम संख्या वाले स्कूल बंद करने का प्रस्तावित निर्णय पर एआईएसएफ

अमरावती दि.28 – 20 से कम विद्यार्थियों की संख्या रहनेवाले स्कूल बंद करने का निर्णय अमल में लाया गया तो गरीब बच्चों की परेशानियां कैसे दूर करेंगे. ऐसा प्रश्न ऑल इंडिया स्टुडंट फेडरेशन ने उपस्थित किया है.
राज्य सरकार ने इससे पहले विद्यार्थियों की संख्या के निष्कर्ष पर 20 से कम विद्यार्थियों की संख्या रहनेवाले स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय के कारण विद्यार्थियों की पढाई की नुकसान नहीं होने देंगे, ऐसा सरकार कहती है फिर भी हकीकत में विद्यार्थियों की फिलहाल दूरी रहनेवाले स्कूल से ज्यादा दूर रहनेवाले पढने जाना पडेगा. इसके कारण उनकी परेशानियां और अधिक बढ जायेगी. एक तरफ सरकार ने आरटीई यानी शिक्षा अधिकार कानून लागू किया है और ऐसे में अब और ज्यादा दूर के स्कूल में विद्यार्थियों को भेजने का निर्णय लेकर उनके शिक्षाधिकार के नियम को तोडा जा रहा है. इसके कारण शासन स्कूल बंद करने का निर्णय पीछे ले, ऐसी मांग भी एआईएसएफ ने की है.
शिक्षा विभाग ने लिए निर्णयानुसार विद्यार्थियों की कम संख्या रहनेवाले स्कूल बंद कर उस स्कूल के विद्यार्थियों को पडोसी स्कूल में शामिल किया जायेगा. इसमें अमरावती जिले के करीब 336 स्कूलों का समावेश है. स्कूल बंद हुआ तो गरीब, मेहनती मजदूर, खेत मजदूर के बच्चों के घर से दूर स्कूल में जाने के लिए उसका खर्च शिक्षा विभाग देगा क्या? ऐसा प्रश्न भी निर्माण हुआ है. शिक्षाधिकार कानून के अनुसार स्कूल घर से 1 किमी के अंदर रहना चाहिए. ऐसा नियम भी है. आप ही कानून तोडेंगे तो कानून पर विश्वास बच्चों पर रहेगा क्या? ऐसा भी प्रश्न एआईएसएफ के जिला सचिव योगेश चव्हाण, शहर सचिव चेतन्य कलाने ने जारी पत्र में किया है.

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