55 दिनों में कैसे खर्च होगी 300 करोड की निधि
डीपीसी के काम है स्थगित, विकास कार्य लटके, प्रशासन के सामने चुनौति
अमरावती/दि.4 – जिले को विकास के लिए पर्याप्त निधि नहीं मिलती, ऐसी शिकायतें हमेशा ही सुनाई देती है. लेकिन इस समय जिले के पास जिला नियोजन समिति के अंतर्गत 300 करोड रुपए की निधि खर्च करने हेतु उपलब्ध है. लेकिन इसके बावजूद भी इस निधि के जरिए विकास कार्य नहीं हो पा रहे है. क्योंकि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आयी शिंदे-फडणवीस सरकार ने जिला नियोजन समिति द्बारा स्वीकृति दिए गए विकास कामों पर स्थगिती दे दी थी, जो अब भी जारी है. ऐसे में शिंदे-फडणवीस सरकार को अस्तित्व में आए हुए कई माह का समय बीत जाने के बाद भी अनेकों विकास कार्य अधर में अटके पडे है. वहीं अब जारी आर्थिक वर्ष के खत्म होने में 2 माह से भी कम का समय बचा हुआ है. ऐसे में अब आगामी 55 दिनों के भीतर जिला नियोजन समिति अंतर्गत उपलब्ध 350 करोड में से 300 करोड की निधि को खर्च करने की चुनौति प्रशासन के सामने है. क्योंकि ऐसा नहीं होने पर यह अखर्चित निधि राज्य सरकार की तीजोरी में वापिस चली जाएगी. बता दें कि, राज्य में विगत जून माह के दौरान महाविकास आघाडी की सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री शिंदे व उपमुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्ववाली सरकार ने सत्ता हासिल की और नई सरकार द्बारा पिछली माहविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल में जिला नियोजन समिति के निधि खर्च नियोजन हेतु दी गई मंजूरी को स्थगित कर दिया गया. कालांतर में कुछ जिलों से यह स्थगिती हटा दी गई. परंतु अमरावती जिले में यह स्थगिती अब भी कायम है. जिसके चलते अमरावती जिले में जिला नियोजन समिति द्बारा मंजूर किए गए विकास कार्य अधर में लटके पडे है. 350 करोड रुपए के प्रारुप में से अब तक केवल 60 लाख रुपए की निधि खर्च हो पायी है और करीब 290 करोड रुपए की निधि अखर्चित है. ऐसे में राज्य सरकार द्बारा विकास कामों पर लगाई गई स्थगिती को कब हटाया जाएगा, निधि कब मिलेगी और विकास काम कब शुरु होंगे, इस आशय के सवाल विगत लंबे समय से पूछे जा रहे है.
* आचार संहिता साबित हो सकती है बाधक
अभी हाल ही में अमरावती में स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की धामधूम व आचार संहिता खत्म हुई. वहीं अब इसके बाद नगर परिषद, महानगरपालिका, जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव करवाए जाने है. हालांकि स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव का अभी दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं है. वहीं इसके बाद लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होंगे. ऐसे में एक के बाद एक चुनावी आचार संहिता लागू होने का दौर आएंगा. जिसकी वजह से विकास कामों के रास्ते में कई बाधाएं आ सकती है.