अमरावती

बच्चों का गुस्सा पालक कैसे रोके!

बच्चों में चिडचिडापन बढ रहा हैं

* मोबाइल गेम के दुष्परिणाम
अमरावती/दि.7– छोटे बच्चे अनुकरण से सबकुछ सीख सकते है. इस कारण पालक अपने बच्चों के सामने जिस तरह का व्यवहार करते है उसी तरह का वह अनुकरण करते है. वर्तमान में छोटे बच्चों मेें मोबाइल का जुनून काफी बढा है. मोबाइल के आक्रामक गेम के कारण बच्चों का स्वभाव गुस्सेल व आक्रामक होता जा रहा है ऐसा मानसोपचार विशेषज्ञों का कहना है. वास्तविक जीवन में भी बच्चों में आक्रामकता, चिडचिडापन और गुस्सा बढा है.
टीवी और मोबाइल के कारण छोटे बच्चों का अकेलापन काफी बढा है. इस अकेलेपन के कारण भी बच्चों का स्वभाव चिडचिडा और गुस्सेल हो रहा है. पालकों का अपने बच्चों के साथ आवश्यक रहा संवाद कम होने से बच्चे भी मोबाइल तथा टीवी की लत में लगते जा रहे है. मोबाइल के आक्राकम गेम तथा टीवी पर एक्शन फिल्म देेखने में ही संपूर्ण समय जाता रहने से बच्चों का स्वभाव दिनोंदिन आक्रामक व गुस्सेल होता दिखााई दे रहा है. मानसोपचार व विशेषज्ञ के मुताबिक जांच के लिए आनेवाले छोटे बच्चों में 10 में से 8 केसेस में बच्चे गुस्सेल और आक्रामक रहते है. इस कारण पालकों को बच्चों का ध्यान रखना आवश्यक है. बच्चों में मोबाइल का जुनून है जो दिनोंदिन बढता जा रहा है. एक पालक व्दारा अपने बच्चे के पास का मोबाइल फोन लेने पर तिलमिलाए उस बच्चे ने अपने पिता के हाथ को काट लिया, ऐसे अनेक प्रकरण सामने आ रहे है. पालकों का अपने बच्चे के साथ संवाद भी कम हुआ है. घर में कोई मेहमान आने पर बच्चे खुद को कमरे में बंद करते रहने की शिकायत भी प्राप्त हो रही है.

* क्या रखे सावधानी
– पालक को अपने बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताना आवश्यक है. पालक का संवाद काफी नम्रता व प्रेमपूर्वक रहना चाहिए.
– बच्चा यदि गुस्से में हो तो उसका गुस्सा बाहर निकालने के लिए उसे पहले कहने दे, उसके बाद ही उसे प्यार से समझाए.

* बच्चों के गुस्से का क्या कारण?
– आहार की कमी के कारण भी बच्चे गुस्सेल होते है. बच्चे यह सब अपने अनुकरण से सीखते है.
– पालक यदि बच्चे के साथ झगडते होेंगे तो बच्चे भी उसी का अनुकरण करते है.
– अनुवंशिकता के कारण भी बच्चे चिडचिडे और गुस्सेल होते है.
– मोबाइल और टीवी के आक्रामक गेम व एक्शन फिल्मों के कारण भी बच्चे ऐसा बर्ताव करते है.

* बच्चों के सामने झगडे पर होता है परिणाम
छोटे बच्चेे अपने आस-पास घटित होने वाली बातों का ही अनुकरण करते है. इस कारण यदि अपने बच्चों के सामने झगडते होंगे तो इसका परिणाम बच्चों पर होता है. मोबाइल, टीवी की आक्रामक फिल्मों के कारण भी बच्चे उस फिल्म का अनुकरण अपने वास्तविक जीवन में करते है इस कारण पालकों ने अपने बच्चों के साथ संवाद करना और प्रेमपूर्वक बर्ताव करना आवश्यक है. उसके बाद भी बच्चों में चिडचिडपना अधिक रहा तो मानसोपचार विशेषज्ञ के पास समुपदेशन करने की आवश्यकता है.
– डॉ. पंकज वसाडकर,
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट अमरावती

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