अमरावती

कैसे होगा ‘दूध का दूध और पानी का पानी’

एक साल में केवल 18 सैम्पलों की हुई जांच

* दूध में बड़े पैमाने पर मिलावट की संभावना
* आसपास के गांवों से आता है रोजाना लाखों रुपए का दूध
अमरावती/दि.9-विगत कई दिनों से सरकारी दूध संकलन में होने वाली दूध की आवक बंद रहने के चलते इन संकलन केंद्रों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में अब आसपास के गांवों से शहर में दूध डेयरियों में दूध की आपूर्ति की जाती है. किन्तु इस दूध में मिलावट होने की बड़े पैमाने पर संभावना रहती है. इसमें से 70 फीसद दूध पूरी तरह खुला रहता है. ऐसे में अन्न व औषधि प्रशासन द्वारा समय-समय पर इस दूध के सैम्पलों को जांचे जाने की सख्त जरुरत है, परन्तु विगत एक वर्ष के दौरान शहर में केवल दूध के 18 सैम्पल ही जांचे गए हैं. जिसके चलते सबसे बड़ा व मुख्य शहर यही है कि आखिर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कैसे हो पाएगा.
उल्लेखनीय है कि इन दिनों शहरी क्षेत्र में मवेशी पालकों का प्रमाण काफी हद तक घट गया है. वहीं शहर के नागरिकों और दूध डेयरियों को दूध के लिए ग्रामीण क्षेत्र से होने वाली दूध की आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है. इसमें निजी दूध डेयरियों द्वारा अपने स्तर पर दूध की गुणवत्ता को जांचते हुए दूध की खरीदी की जाती है. लेकिन आम नागरिकों के यहां घर-घर पहुंचाये जाने वाले दूध की गुणवत्ता को जांचने का कोई साधन उपलब्ध नहीं होता. ऐसे में धड़ल्ले के साथ लोगों के घरों तक पानी मिला हुआ दूध पहुंचाया जाता है. साथ ही साथ दूध को गाढ़ा दिखाने के लिए उसमें कई तरह की मिलावट भी की जाती है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि अन्न व औषधि प्रशासन द्वारा समय-समय पर शहर में होने वाली दूध की आपूर्ति को जांचे जाने की सख्त जरुरत है. लेकिन विगत एक वर्ष के दौरान इस विभाग द्वारा केवल 18 सैम्पलों को जांचा गया. जिसमें से मात्र एक सैम्पल में गड़बड़ी पाये जाने के चलते उसे जांच हेतु प्रयोगशाला में भिजवाया गया. परन्तु अब तक इसकी रिपोर्ट भी प्राप्त नहीं हुई है.

शहर में रोजाना 6 लाख लिटर दूध की बिक्री
अमरावती शहर में रोजाना 6 लाख लिटर से अधिक दूध की बिक्री होती है.
पैकिंग के दूध सहित शहर में बड़े पैमाने पर खुले दूध की भी बिक्री हेतु आवक होती है.

एक साल में केवल 18 सैम्पल जांचे
अन्न व औषधि प्रशासन द्वारा विगत एक वर्ष के दौरान केवल 18 सैम्पल जांचे गए. जिसमें से एक सैम्पल में कुछ गड़बड़ी थी,परन्तु अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई है. जांचे गए सैम्पलों में पैकेटबंद दूध के साथ ही खुले दूध के सैम्पलों का भी समावेश है.

एक तो सैम्पल कम, उस पर रिपोर्ट की गारंटी नहीं
मिलावटयुक्त दूध सहित मिलावटी खाद्य पदार्थों के सैम्पलों को जांचने प्रयोगशाला के पास दी गई है. जहां पर बड़ी संख्या में अलग-अलग स्थानों से जांच हेतु सैम्पल भेजे जाते हैं. जिसकी वजह से सैम्पलों की जांच हेतु मिलने में काफी विलंब होता है.

खुले दूध पर किसी का नियंत्रण नहीं
इन दिनों बाजार में पैकेटबंद दूध के साथ-साथ खुले दूध की भी बड़े पैमाने पर बिक्री होती है, किन्तु दोनों में से किसी भी तरह के दूध के सैम्पलों की जांच होती दिखाई नहीं देती.
ऐसे में यदि दूध में कोई मिलावट होती है तो उसका किसी को पता भी नहीं चल पाता. जिसके चलते इस पर नियंत्रण रखने वाले विभाग की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है.

घर पर ही हो सकती है अच्छे दूध की जांच
घर पर दूध की गुणवत्ता को जांचने का सबसे अच्छा साधन लैक्टोमीटर होता है. जिससे दूध की डिग्री यानि दूध में रहने वाले पानी के प्रमाण को जांचा जा सकता है. वहीं दूध डेयरियों में बैट्रोमीटर के जरिए दूध में रहने वाले फैट यानि घी के प्रमाण को जांचा जा सकता है. चूंकि घर पर बैट्रोमीटर का प्रयोग करना संभव नहीं है, ऐसे में दूध को गर्म करने के बाद उस पर जमने वाली मलाई के जरिए दूध में रहने वाले फैट यानि घी का प्रमाण जांचा जा सकता है. इसके अलावा कच्चे दूध की एक बूंद को जमीन या नाखून पर डालने के बाद यदि वह बूंद फैल गई तो समझा जाना चाहिए कि दूध में पानी का प्रमाण अधिक है और यदि बूंद अपनी जगह पर स्थिर है तब उस दूध की गुणवत्ता को अच्छा माना जाना चाहिए.

दूध के साथ ही आम व कोल्ड्रींक्स पर नजर
अन्न व औषधि प्रशासन द्वारा विगत एक वर्ष के दौरान दूध के 18 सैम्पल जांचे गए. जिसमें से एक सैम्पल में दोष पाये जाने के चलते उसे अगली जांच हेतु प्रयोगशाला में भिजवाया गया है. जिसकी रिपोर्ट अभी मिलना बाकी है. इसके साथ ही आम और कोल्ड्रींक जैसी अन्य खाने-पीने की वस्तुओं पर भी पूरी नजर रखी जा रही है.
– शरद कोलते, सहायक आयुक्त, अन्न व औषधि प्रशासन

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