अमरावती

बांग्लादेश में नागपुरी संतरे की भारी मांग

आयात शुल्क बेतहाशा बढने से बिक्री पर असर

अमरावती/दि.10– खट्टा-मीठा स्वाद और सिट्रस ऐसिड के कारण बांग्लादेश में नागपुरी संतरे की भारी मांग है. बांग्लादेश सरकार व्दारा संतरे पर प्रतिकिलो 88 रुपए आयात शुल्क लगाने से संतरे के भाव ढाई गुना बढ गए हैं. बढे भाव बांग्लादेशी नागरिकों के लिए अधिक रहने से वहां संतरे की बिक्री काफी होने की जानकारी निर्यातदार ने दी है. इसका असर विदर्भ के संतरा उत्पादकों पर हुआ है. केंद्र सरकार कोई भी उपाययोजना करने तैयार नहीं है.

बांग्लादेश में संतरा कंटेनर के एवज में प्लास्टिक क्रेट में भरकर ट्रक के माध्यम से निर्यात किया जाता है. बांग्लादेश में 20 किलो वाली संतरा कैरेट 3,600 रुपए से बेचे जाने से ग्राहकों को यह संतरा 180 रुपए किलो यानी 237 टका (बांग्लादेशी चलन) से खरीदी करना पडता है. बांग्लादेशी आम नागरिकों को यह 80 से 110 टका प्रतिकिलो संतरा खरीदी कर पाना उनके बजट से बाहर है. जिससे बांग्लादेशी नागरिकों की इच्छा होते हुए भी वे नहीं खरीद पाते. इस कारण मांग रहने के बावजूद बिक्री कम है, ऐसी जानकारी संतरा निर्यातदार जावेद भाई ने दी है. इस बात की अन्य निर्यातदारों ने भी पुष्टि की है. केंद्र सरकार ने संतरा निर्यात को शतप्रतिशत यानी प्रतिकिलो 88 रुपए सबसीडी दी तो यह भाव 92 रुपए यानी 121 टका प्रतिकिलो भाव होंगे. यह भाव वहां के आम नागरिकों के लिए ठीक है. बांग्लादेश में नागपुरी संतरे की बिक्री बढी तो विदर्भ के संतरे के भाव प्रतिटन कम से कम 10 हजार रुपए से बढेंगे. इसमें संतरा उत्पादकों को आर्थिक लाभ होगा ऐसा भी निर्यातदारों ने कहा. इस कारण यह समस्या हल करने के लिए केंद्र सरकार को उचित निर्णय लेना आवश्यक है.

* यातायात खर्च 2.45 लाख और आयात शुल्क 22 लाख
विदर्भ से बांग्लादेश में संतरा ले जाना हो तो 25 टन संतरा को कम से कम 2 लाख 45 हजार रुपए यातायात खर्च आता है. बांग्लादेश की सीमा तक यातायात खर्च 1 लाख 75 हजार रुपए है. सीम पर यह संतरा बांग्लादेश के ट्रक में लोड कर वहां के बाजारपेठ में पहुंचाया जाता है. सीमा से बाजारपेठ में जाने का किराया औसतन 70 हजार रुपए देना पडता है. प्रति किलो 88 रुपए के मुताबिक 25 टन संतरे के लिए 22 लाख रुपए आयात शुल्क देना पडता है, ऐसा भी निर्यातदार जावेद भाई ने कहा.

* सरकार ने अब तक एक पैसा भी खर्च नहीं किया
सरकार ने अब तक नागपुरी संतरे पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया है. वर्तमान में संतरा उत्पादक संकट में रहते केंद्र सरकार कुछ करने तैयार नहीं है. यह समस्या हल करने के लिए संतरा उत्पादकों ने मतभेद भुलाकर एकजुट होना और शांति से आंदोलन करना आवश्यक है.
– श्रीधर ठाकरे,
कार्यकारी संचालक, महाऑरेंज

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