अमरावती

रापनि हडताल से विद्यार्थियों का हो रहा जबर्दस्त नुकसान

एक माह बीतने पर भी हडताल का नहीं निकला कोई हल

  • अब तक 394 कर्मचारियों का हो चुका निलंबन

  • हडताली कर्मी अब भी विलीनीकरण की मांग पर अडे हुए

अमरावती/दि.8 – राज्य परिवहन महामंडल का सरकारी सेवा में विलीनीकरण किया जाये. इस मांग को लेकर विगत एक माह से रापनि कर्मियों द्वारा हडताल की जा रही है और सरकार की ओर से वेतन वृध्दि दिये जाने की घोषणा करने के बावजूद भी हडताल को लेकर गतिरोध बना हुआ है, क्योंकि रापनि के अधिकांश कर्मचारियों द्वारा वेतनवृध्दि को नकारते हुए विलीनीकरण की मांग को कायम रखा गया है और इसे लेकर हडताल को जारी रखा गया है. ऐसे में रापनि की सरकारी बसों के पहिये जगह पर ही थमे हुए है और सरकारी बस सेवा पूरी तरह से ठप्प पडी है. जिसके चलते लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच आने-जाने में काफी परेशानियों व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. सर्वाधिक तकलीफ उन शालेय व महाविद्यालयीन बच्चों को उठानी पड रही है, जिन्हें रोजाना ही ग्रामीण क्षेत्रों से तहसील अथवा शहर की शिक्षा संस्थाओं में अपनी पढाई-लिखाई करने हेतु आना पडता है. किंतु इन विद्यार्थियों के पास इस समय स्कुल व कॉलेज आने-जाने के लिए सरकारी बस सेवा का पर्याय भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें भी निजी वाहनों का सहारा लेना पड रहा है. जिसके चलते उन्हें आने-जाने पर काफी अधिक खर्च करना पड रहा है.
वहीं दूसरी ओर वेतन वृध्दि दिये जाने के बावजूद हडताल पर अडे कर्मचारियों के खिलाफ अब रापनि प्रशासन द्वारा कार्रवाई को लेकर कडे कदम उठाये जाने शुरू किये गये है. जिसके तहत निलंबन, निष्कासन, सेवा समाप्ती व तबादले की कार्रवाई की जा रही है. लेकिन इसके बावजूद भी हडताली कर्मचारी विलीनीकरण की मांग को लेकर अडे हुए है और हडताल जारी है. बता दें कि, राज्य परिवहन निगम के अमरावती विभाग में अब तक 394 कर्मचारियों को निलंबीत किया जा चुका है. वहीं 63 कर्मचारियों का विभागांतर्गत तबादला कर दिया गया है. तबादला किये गये कर्मचारियों में अमरावती, परतवाडा, दर्यापुर, मोर्शी, वरूड, चांदूर बाजार व विभागीय कार्यालय में पदस्थ रहनेवाले 6 प्रशासकीय कर्मचारियों सहित 7 यांत्रिकी कर्मचारी, 20 चालक, 29 वाहक तथा 1 चालक-वाहक ऐसे कुल 63 कर्मचारियों का समावेश है. इसके अलावा कई ठेका नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी गतिरोध बना हुआ है. हालांकि सरकार की ओर से वेतनवृध्दि दिये जाने के बाद रापनि के कई कर्मचारी काम पर भी लौट आये है, किंतु इनमें अधिकांश कर्मचारी प्रशासनिक व यांत्रिक कार्यशाला विभाग से वास्ता रखते है तथा ज्यादातर चालक व वाहक अब भी हडताल पर है. ऐसे में रापनि बसों का परिचालन पूरी तरह से बंद है.

अमरावती विभाग में एक माह के दौरान 12 करोड का नुकसान

रापनि कर्मियों द्वारा की जा रही हडताल के चलते जहां एक ओर शालेय व महाविद्यालयीन छात्रों सहित आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है, वहीं दूसरी ओर रापनि को भी रोजाना लाखों-करोडों रूपयों के राजस्व का घाटा हो रहा है. इस हडताल के चलते अकेले अमरावती विभाग में ही रापनि को रोजाना 40 लाख रूपये के हिसाब से विगत एक माह के दौरान करीब 12 करोड रूपयों का नुकसान हो चुका है. वहीं इस हडताल की वजह से यात्री ढुलाई करनेवाले लक्जरी बसों, कालीपीली टैक्सी व ऑटो जैसे निजी यात्री वाहनों की जमकर चांदी हो रही है, क्योंकि इन वाहनों द्वारा दोगुना-तीगुना दरों पर यात्री ढुलाई की जा रही है.

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