अमरावती/दि.23-अमरावती शहर को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मिली है. भगवान श्रीकृष्ण के चरणस्पर्श के पावन इस शहर को ऐतिहासिक विरासत मिली है. इस इतिहास के अनेक अवशेष अमरावती जिले के शहरों में अस्तित्व में है. तथा संपूर्ण शहर को 200 वर्ष प्राचीन परकोट भी है. इस परकोट का व अमरावती का इतिहासिक यहां के विद्यार्थियों और नागरिकों को हो, इसके लिए इंटॅक अमरावती चॅप्टर की ओर से अमरावती किला हेरिटेज वॉक इस उपक्रम का आयोजन किया गया था. सर्वप्रथम इंटैक के सदस्य किरण मोरे ने उपस्थितों का स्वागत कर इंटॅक संस्था के बारे में जानकारी दी. तथा परिक्रमा मार्गदर्शक डॉ. जयंत वडतकर का परिचय कराया. इस समय इतिहास विषय के प्रा.श्रीनिवास सातभाइ तथा प्रा.बी.आर. मस्के ने भी अमरावती का इतिहास और परकोट निर्माण कार्य के बारे में जानकारी दी. अंबादेवी दरवाजे से परिक्रमा शुरु कर आगेे जवाहर दरवाजा, नागपुरी दरवाजा, खुनारी खिडकी (मदिना गेट), धर्मशाला, संपूर्ण परकोट, सभी बुरुज, माता खिडकी, छत्रपुरी खिडकी, खोलापुरी गेट ऐसा दो घंटे का सफर व अमरावती किला दर्शन का मनोरंजक व जानकारीपूर्ण पैदल सफर डॉ. डॉ.जयंत वडतकर ने सहभागी इतिहास प्रेमियों को कराया. इस उपक्रम में इतिहास विभाग प्रमुख डॉ. घनश्याम महाडिक, प्रा.श्रीनिवास सातभाई, प्रा.बी.आर.मस्के, डॉ.गोविंद तिरमनवार, डॉ.लक्ष्मण मस्के, डॉ. विश्वनाथ बीटे, प्रा. अभिजित मेंढे तथा प्रशासकीय अधिकारी आशिष बिजवल ने सक्रिय सहभागिता दर्ज की. परिक्रमा कार्यक्रम की सफलतार्थ इंटॅक के सदस्य किरण मोरे, अंकुश गावंडे, मनिष ढाकुलकर, प्रा. अंकुश खंडारे, मयुर चौधरी, अमेय ठाकरे ने प्रयास किए.