अमरावतीमहाराष्ट्र

‘हुळी तीवार- फागुन हेयेन- बो गाव कोणेन ! ’

मेलघाट के हुरीयारे लौटे गांवों में

* 5 दिन मनेगी होली
* परतवाडा और अचलपुर में उत्सव की खरीदी
अमरावती / दि. 12– रोजगार की तलाश में अपने ग्राम को छोडकर प्रदेश के अन्य भागों में जानेवाले मेलघाट के जनजातीय लोग खास होली का प्रिय त्यौहार मनाने के लिए न केवल लौट आए हैं. अपितु उन्होंने होली की खरीदी भी परतवाडा और अचलपुर जुडवां शहरों में की है. जिससे यहां काफी मौज मस्ती दिखाई दे रही है. हलचल नजर आ रही है.
हजारों लौटे, रोगायो कामों पर भी
मेलघाट से अन्यत्र गये यहां के आदिवासी लोैट आए हैं. फिर भी रोगायो कामों पर जनजातिय लोगों की संख्या बनी हुई है. जिससे जानकार हैरान है कि इतनी बडी संख्या में रोजगार के लिए मेलघाट से बाहर जानेवाले रहने पर भी यहां रोगायो कामों पर उतनी ही संख्या में मजदूर कैसे उपलब्ध है. उल्लेखनीय है कि रोगायो की बकाया मजदूरी के 13 करोड रूपए उपलब्ध हो गये हैं. जिससे मजदूरों के हाथ में पैसा आ गया. वे बाजार में उत्सव की जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए निकल पडे.
5 दिन अपनी मस्ती में गुम
मेलघाट में होली का त्यौहार सबसे बडा माना जाता है. 5 दिनों तक रंगोत्सव चलता है. रिश्तेदारों और सगे संबंधियों को हर हाल में रंग लगाकर उनका अभिवादन किया जाता है. शहरी लोगों से फागुन का नेग भी मांगा जाता है. 5 दिनों तक कोई कामगार काम पर नहीं आता. यह भी विशेष है कि आदिवासी लोग होली पर ही नये कपडे खरीदते हैं.

* 15 दिन पहले मुर्तिजापुर में तुअर कटाई के लिए गये थे. प्रत्येक ने 11-11 हजार रूपए मजदूरी कमाई है.
दिनेश तोटा, तोरणवाडी

* हजारों लोग काम पर कैसे ?
मेलघाट में रोगायो के कामों पर हजारों मजदूर उपस्थित रहने का दावा किया जा रहा है. काफी संख्या में लोगों ने स्थलांतर भी किया है. जिससे सवाल उठाए जा रहे हैं. जब लोगों ने स्थलांतर किया तो रोगायो पर उतनी ही संख्या में मेलघाट के लोग कैसे मजदूरी कर रहे हैं ? इसमें जानकारों को अंदेशा है कि कुछ तो गडबड हैं.

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