अमरावती/दि.16- भारतीय संविधान समता, स्वातंत्र, बंधूता व न्याय इन मूल्यात्मक चौकट पर अधिष्ठित है. उसका केंद्र बिंदू मानव है और यह मानवी नीति डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने बुद्ध धम्म से ली. बुद्ध धम्म का केंद्र भी मानव है, ऐसा प्रतिपादन एस.यु. फुलझेले ने किया. श्री दादासाहेब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट, कमलज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट, माहेरचा सेवा उपक्रम द्बारा आयोजित राज्यस्तरीय चर्चा सत्र में बतौर बीज भाषक वे बोल रहे थे.
इस चर्चा सत्र में बतौर अध्यक्ष उपस्थित पूर्व लेडी गवर्नर डॉ. कमलताई गवई ने बताया कि, मानव को दु:खों से मुक्त करने के लिए तथागत बुद्ध ने अपना धम्म विश्व को दिया. उन धम्म तत्व पर अमल किया गया, तो मानव सुखी बनेगा. उसी प्रकार संविधान पर अमल करने से हम अधिक सुरक्षित व सुखी बन सकते है. हम प्रथम भारतीय है और अंतिम भी भारतीय ही, इसलिए महामानवों के विचारों के पायीक है. हम सभी ने भारतीय होने का प्रयास करना चाहिए.
कार्यक्रम में दादासाहब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव पी.आर.एस. राव ने बुद्ध धम्म तत्व आज कैसे उपयुक्त है और बुद्ध की लोकशाही प्रणाली कैसी थी, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला. इस अवसर पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर महाविद्यालय के प्राचार्य अंजनकुमार सहाय, तक्षशीला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मल्लु पडवाल, प्रा. वर्षा गावंडे, प्रा. सचिन पंडीत, प्रवीण वासनीक आदि उपस्थित थे. बुद्ध जयंती पर्व पर शांति दिन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बुद्धिवृक्ष का रोपन मान्यवरों के हस्ते किया गया.