* जिलाधीश से मिलकर दी गई शिकायत
अमरावती/दि.29– जहां एक ओर अमरावती संसदीय क्षेत्र में मतदान के प्रतिशत में विगत तीन दशको का रिकॉर्ड तोडते हुए इस बार सर्वाधिक मतदान रिकॉर्ड बनाया. वहीं दूसरी ओर विगत एक माह से मतदान का प्रतिशत बढाने हेतु स्विप अभियान अंतर्गत विविध उपक्रम चलानेवाले सैकडों शिक्षक व कर्मचारी भी मतदान से वंचित रहे, ऐसी सनसनीखेज जानकारी सामने आई है.
इस संदर्भ में जिले के कई शिक्षको ने आरोप लगाते हुए कहा कि, चुनावी कर्तव्य पर तैनात आरक्षित कर्मचारियों सहित कई केंद्र अधिकारियों को उनके मतदान केंद्रो पर डाक मतपत्रिका उपलब्ध ही नहीं कराई गई. ऐसे मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. जिन्हें मतदान से वंचित रहना पडा. वहीं दूसरी ओर डाक मतपत्रिकाओं को लेकर प्रशासन द्वारा टालमटोल वाले जवाब दिए जा रहे है. ऐसे में इन सभी शिक्षको व कर्मचारियों द्वारा जिलाधीश से मुलाकात करते हुए इस बारे में अपनी शिकायतें दर्ज कराई गई.
उल्लेखनीय है कि, मतदान का प्रतिशत बढने हेतु निर्वाचन आयोग के निर्र्देेशानुसार प्रशासन द्वारा अमरावती संसदीय क्षेत्र सहित पूरे जिले में स्विप अभियान चलाया गया. जिसके अनुसार विविध उपक्रमों के जरिए शिक्षक व कर्मचारियों ने बडे पैमाने पर मतदाता जनजागृति की. परंतु इन्हीं शिक्षकों व कर्मचारियों को प्रत्यक्ष मतदानवाले दिन डाक मतपत्रिका भी नहीं दी गई. जिसे लेकर मतदान केंद्र अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराने के बावजूद भी पोस्टल बैलेट उपलब्ध नहीं कराए गए. वहीं दूसरी ओर अमरावती सहित बडनेरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाता रहनेवाले कई कर्मचारियों ने मतदान केंद्रो पर जाकर वोट डालने की अनुमति प्राप्त की और वे वोट डालने के लिए मतदान केंद्रो पर पहुंचे. परंतु मतदाता सूची में उनके नाम के आगे पोस्टल बैलेट की मुहर लगी हुई थी. जिसके चलते उन्हें बिना मतदान किए ही वापिस लौटना पडा और कई शिक्षक और कर्मचारी मतदान करने से वंचित रह गए. अमरावती जिले में ऐसे शिक्षको व कर्मचारियों की संख्या लगभग 350 के आसपास है. जिन्होंने जिलाधीश से शिकायत करने के साथ ही सोशल मीडिया के जरिए अपना रोष व्यक्त किया है. साथ ही इनमें से कुछ शिक्षको व कर्मचारियों ने प्रशासन के समक्ष यह मांग उठाई है कि, चाहे तो चुनावी कार्य की ऐवज में उन्हें दिए गए मानधन को वापिस ले लिया जाए. लेकिन उन्हें मतदान करने का अवसर उपलब्ध कराया जाए.
हकिकत में निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय डाक मतपत्रिका के जरिए मतदान को लेकर नियमों व मानको को पूरी तरह से बदल दिया गया. इसके तहत निर्वाचन कार्य हेतु तैनात कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षणवाले स्थान पर ही डाक मतदान की व्यवस्था की गई थी. जिसकी ओर कई कर्मचारियों ने अनदेखी की. साथ ही मतदान साहित्य को मतदान केंद्रो पर ले जाने की जल्दबाजी में वे मतदान नहीं कर पाए. ऐसे में अब कुछ भी नहीं किया जा सकता.
– ज्ञानेश्वर घ्यार
उपजिलाधीश व सहायक निर्वाचन अधिकारी.
* शिक्षकों ने प्रशिक्षण के समय ही डाक मतपत्रिका के लिए आवेदन किया था. इसके अनुसार उन्हें चुनावी ड्युटी वाले स्थान पर डाक मतपत्रिका उपलब्ध कराना आवश्यक था. परंतु बार-बार मांग करने के बावजूद भी शिक्षकों एवं चुनावी ड्युटीपर तैनात कर्मचारियों को डाक मतपत्रिका उपलब्ध नहीं कराई गई और इसके संदर्भ में कोई योग्य वजह भी नहीं बताई गई. ऐसे में मतदान से वंचित रहनेवाले कर्मचारियों ने जिलाधीश से मुलाकात करते हुए अपनी शिकायत दर्ज कराई है और खुद को मतदान का अवसर प्रदान किए जाने की मांग भी उठाई है.
– महेश ठाकरे
राज्याध्यक्ष, प्रहार शिक्षक संगठन.