पत्नी का हत्यारोपी पति बाइज्जत बरी
गोपाल नगर में घटित हुआ था बहुचर्चित हत्याकांड
* खुद पुलिस थाना पहुंचकर दी थी हत्या के अपराध की कबूली
* अगस्त 2021 का था मामला, अदालत ने दिया संदेह का लाभ
* एड. परवेज खान की पैरवी रही सफल, पति बेदाग छूटा
अमरावती /दि.7- स्थानीय गोपाल नगर परिसर में 12 अगस्त 2021 को उजागर हुए एक महिला के हत्याकांड में नामजद आरोपी को स्थानीय जिला व सत्र न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. विजय उर्फ विजेश दादाराव राठोड पर अपनी ही पत्नी को लगा घोटकर जान से मार देने का आरोप था. जिसे एड. परवेज एम. खान ने अपने जबर्दस्त युक्तिवाद के चलते संदेह का लाभ दिलाते हुए बाइज्जत बरी करवाया.
इस्तगासे के मुताबिक 12 अगस्त 2021 को विजय राठोड ने खुद पुलिस थाने पहुंचकर बताया था कि, उसने अपनी पत्नी को अपने ही घर में गला घोटकर मार दिया है. जिसके बाद पुलिस ने विजय राठोड को अपने कब्जे में लेते हुए उसके घर की तलाशी ली थी. जहां पर विजय राठोड की पत्नी मृत पडी थी. पश्चात पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी यह स्पष्ट हुआ था कि, उक्त महिला की मौत गला घोटे जाने की वजह से हुई थी. इसी दौरान मृतक की मां ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करते हुए बताया था कि, उसकी बेटी ने करीब 10 माह में पहले विजय राठोड के साथ विवाह किया था और विवाह के एक महीने बाद से ही विजय राठोड ने चरित्र पर संदेह करते हुए उसकी बेटी के साथ मारपीट करनी शुरु कर दी थी. पश्चात 10 अगस्त को वह अपनी बेटी से मिलने के लिए अमरावती पहुंची, तो उसे पता चला कि, उसकी बेटी-दामाद घर पर नहीं है और कहीं बाहर गये हुए है. ऐसे में उसने अपनी बेटी को फोन किया, तो उसके मोबाइल बंद आ रहा था. वहीं दामाद विजय राठोड को फोन करने पर उसने अमरावती आने में असमर्थता जतायी. साथ ही बेटी से बात कराने से भी मना कर दिया. वहीं इसके दो दिन बाद उक्त महिला को पता चला कि, विजय राठोड ने उसकी बेटी को उसके ही घर में गला घोटकर मार दिया है.
इस मामले की जांच के दौरान पुलिस ने घर मालिक व पडोसियों के बयान दर्ज किये. साथ ही आरोपी के मोबाइल का टावर लोकेशन भी निकाला गया. जिससे स्पष्ट हुआ कि, घटना के वक्त विजय राठोड अपने घर पर ही था. साथ ही आरोपी ने खुद पुलिस थाने पहुंचकर अपने कृत्य की कबूली थी थी. जिसके चलते अभियोजन पक्ष ने आरोपी को उम्रकैद कीसजा दिये जाने की मांग की थी. वहीं बचाव पक्ष की ओर से अकाट्य तर्क देते हुए अदालत को बताया गया कि, आरोपी द्वारा पुलिस के सामने अपराध की कबूली देना कानूनन किसी सबूत के तौर पर ग्राह्य नहीं माना जा सकता. साथ ही वारदात के वक्त आरोपी अपने घर पर ही था. यह बात को लेकर भी काफी संदेह है. साथ ही टॉवर लोकेशन की जानकारी में भी काफी तृटिया है. इसके साथ ही बचाव पक्ष ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों का हवाला भी दिया. ऐसे में बचाव पक्ष की दलीलों को ग्राह्य मानते हुए अदालत ने संदेह का लाभ लेकर आरोपी विजय राठोड को उसकी पत्नी की हत्या के आरोप से बाइज्जत बरी किया. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले एड. परवेज खान को एड. अनिल जयस्वाल, एड. वसीम शेख, एड. सचिन बाखले, एड. शाहजाद शेख, एड. रियाज रुलानी, एड. अजहर नवाज व एड. संदीप कथलकर ने सहयोग किया.