अमरावती

हाइकोर्ट की दिशाभूल करना पति को पड़ा महंगा

20 हजार रुपए दावा खर्च ठोका

नागपुर-/दि.24  घर से बाहर निकाली गई पत्नी व नाबालिग लड़के को मंजूर हुई खावटी रद्द हो, इसके लिए मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ की दिशाभूल करना एक पति को काफी महंगा पड़ा. उच्च न्यायालय ने इस बात को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए पति पर 20 हजार रुपए का दावा खर्च ठोका व यह रकम उच्च न्यायालय विधि सेवा उपसमिति के खाते में जमा करने के निर्देश दिये.न्यायमूर्ति विनय जोशी ने पति को यह सजा सुनाई.
पति भंडारा जिले का निवासी होकर वह व्यवसाय से शिक्षक है. उसने पत्नी को घर से बाहर निकाला है. जिसके चलते पत्नी अपने अल्पवयीन बेटे को लेकर सावनेर में मायके में रह रही है. उसने पति के खिलाफ सावनेर के प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी न्यायालय में कौटुंबिक हिंसाचार कानून अंतर्गत शिकायत दाखल की है. वहीं पति के साथ रहने का अधिकार प्राप्त करने हेतु नागपुर के वरिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायालय में हिंदू विवाह कानून अंतर्गत याचिका दाखल की है. इन दोनों प्रकरणों में पत्नी व बेटे को कुल 20 हजार रुपए अंतरिम मासिक खावटी मंजूर हुई है.21 मर्ई व 16 अक्तूबर 2019 को जारी इस खावटी के आदेश के खिलाफ पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखल की थी. खावटी के दोनों आदेश अवैध ठहराते हुए रद्द करने की मांग उसने की थी. दरमियान इस प्रकरण में नोटीस जारी होने से पूर्व ही पत्नी के वकील एड. राजू कडू ने उच्च न्यायालय में उपस्थित होकर पति ने किस तरह दिशाभूल की,इस बारे में जानकारी दी. पश्चात उच्च न्यायालय ने पति को सबक सिखाने वाला यह निर्णय दिया.
पति ने इस तरह की दिशाभूलपति ने कौटुंबिक हिंसाचार कानून अंतर्गत मंजूर खावटी के विरुद्ध इससे पूर्व ही उच्च न्यायालय में आवेदन दाखल किया था. उच्च न्यायालय ने 2 मार्च 2021 को वह आवेदन खारिज किया था. बावजूद इसके पति ने हिंदू विवाह कानून अंतर्गत मंजूर खावटी के विरुद्ध जिला न्यायालय में अपील दाखल कीहै. वह अपील प्रलंबित है. पति ने यह जानकारी छुपाकर उच्च न्यायालय की दिशाभूल की, ऐसा एड. कडू ने बताया.

 

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