अमरावती

शंकरपट में हिम्मत व हौसले से जीती उन्नती

पहली बार हाथों में थामे बैलजोडी की लगाम

अमरावती/ दि.21 – उन्नती लोया, उम्र 23 वर्ष, बचपन से अपने गांव में शंकरपट का आयोजन देखते-देखते बडी हुई, लेकिन खुद अपने हाथों में कभी बैलों की रस्सी नहीं पकडी. परंतु गांव की ईज्जत के लिए और अपने पिता के शब्दों के लिए उसने इस वर्ष महिलाओं के शंकरपट में अपना नाम लिखाया और वह पहली बार बैलजोडी की लगाम थामकर धुरकरी बनी. साथ ही करीब आठ वर्ष बाद हुए शंकरपट को जीतने का बहुमान भी हासिल किया. उन्नती लोया कहती है कि, यद्यपि उसे यह फैसला लेते समय थोडा डर लगा था, लेकिन फिर उसने यह सोचकर खुद को हौसला दिया कि, डर के आगे जीत है.
125 वर्ष की परंपरा रहने वाले तलेगांव दशासर में कृषक सुधार समिति की ओर से आयोजित शंकरपट के चौथे दिन महिलाओं की शंकरपट स्पर्धा आयोजित की गई. जिसके रोमांच के हजारों गांववासियों ने देखने के साथ ही अनुभव भी किया. तथा इस शंकरपट को अपने नाम करने वाली उन्नती शितल लोया नामक साहसी युवती की प्रशंसा भी की. तलेगांव में करीब आठ वर्ष बाद शंकरपट स्पर्धा का इस बार आयोजन हुआ. कोविड काल के बाद आयोजित होने जा रहे इस शंकरपट में महिला धुरकरी आयेंगी अथवा नहीं ऐसा संदेह जताया जा रहा था. ऐसे में शंकरपट के आयोजकों में से एक रहने वाले शितल लोया ने अपनी बेटी उन्नती लोया को महिलाओं के शंकरपट में हिस्सा लेने कहा. यद्यपि घर में खेती किसानी की पार्श्वभूमि है, लेकिन उन्नती ने आज तक कभी भी बैलों की रस्सी नहीं पकडी थी. लेकिन इसके बावजूद गांव की ईज्जत और पिता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उन्नती ने शंकरपट में धुरकरी बनने के लिए हामी भर दी. हालांकि इसके बावजूद मन में यह डर बना रहा कि, अगर बैलों ने उसे गिरा दिया तो, बैल किसी अलग ही दिशा में भाग गए तो. लेकिन पिता ने हौसला बंधाया. साथ ही शंकरपट के लिए संग्राम-देवगिरी नामक बैलजोडी देने वाले जोडी मालक ने भी हिम्मत दी. जिसके चलते उन्नती लोया ने डर के आगे जीत है सोचकर धुरकरी बनने का निर्णय लिया.
इस शंकरपट में उन्नती लोया सहित 15 महिला धुरकरी शामिल हुई थी. जिसमें से 450 फीट की दूरी को उन्नती व्दारा दौडाई जाने वाली बैलजोडी ने महज 13.72 सेकंड में पार करते हुए पहला स्थान हासिल किया. विशेष उल्लेखनीय है कि, अपने पिता के आग्रह के चलते शंकरपट में शामिल हुई उन्नती उच्चविद्या विभूषित है और नागपुर में रहकर युपीएससी की पढाई कर रही है. उसके बारे में जानकारी रहने वाले गांववासियों ने पुरस्कार वितरण समारोह के समय तालियों की जबरदस्त गडगडाहट की, जो उसके हिम्मत व हौसले के लिए थी. वह प्रथम पुरस्कार के तौर पर जीती गई पुरस्कार की राशि उन्नती ने बैलजोडी मालिक को दे दी.
मिले अवसर को सोना किया
पहली बार शंकरपट में शामिल होकर विजयी रहने वाली उन्नती लोया ने बडे उत्साह के साथ बताया कि, उसके हिस्से में जो अवसर आया था, उसने उसका सोना बना दिया. साथ ही अब उसके मन में शंकरपट को लेकर काफी रूची पैदा हो गई है और वह अब हर साल शंकरपट में शामिल हुआ करेगी.

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