‘तोरे बिना न जिया लागे मोरे रहेबर पिया…’
हाजी गुलफाम कव्वाल ने समा महेफिल में लगाए चार चांद
* खानकाहे रहेबरिया में चादर शरीफ, लंगर सहित हुए अन्य कार्यक्रम
* विदर्भ से पहुंचे मुरीद भाईयों ने दी एक दूसरे को उर्स की मुबारकबाद
अमरावती/दि.4– स्थानीय हैदरपुरा ईदगाह गेट स्थित हजरत अल्हाज ख्वाजा रहेबर अली शाह चिश्ति कादरी ताजी र.अ. का सालाना 16वां उर्स मुबारक के मौके पर बुधवार 2 अक्तूबर को ख्वाजा मोईनी शाह चिश्ती कादरी ताजी (अब्दुल वहीद पटेल) की सदारत में चादर शरीफ, लंगर-ए-आम व महफिल-ए-समा जैसे अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया गया. बाद नमाज ईशा के समा महेफिल में जयपुर राजस्थान से आए फनकार हाजी टिम्मू गुलफान ने एक से बढकर एक निस्बती कव्वालियों के जरिए महेफिल-ए-समा में चार चांद लगा दिया.
बुधार की सुबह 11 बजे हजरत अल्हाज ख्वाजा रहेबर अली शाह चिश्ति कादरी ताजी र.अ. के दरबार में चादर पेश की गई. मगरीब की नमाज के बाद आम लंगर का आयोजन किया गया. रात को महेफिल-ए-समा का आयोजन किया गया. जिसमें राजस्थान के फनकार हाजी टिम्मू गुलफान ने ’मोरे अंगना मोईनोद्दीन आयो रे…….,’ ’तोरे बिना लागे न मोरा जिया- मोरे रहेबर पिया…..,’ ’ये रहेबर पिया के रहेमत की बारिश हैं…..,’ ’उनके आने से आए दिल को करार…., मोरे अंगना पधारों सरकार……,’ जैसे कलाम पढ कर समा महेफिल में चार चांद लगा दिए. इसी तरह फनकार गुलफाम ने अपनी निस्बती कव्वाली ’ऐसी पोषाक मेरे यार ने पहनाई, जर्रे-जर्रे में तेरी शक्ल नजर आयी हैं.’ पढने के बाद सारे मुरीद झुम उठे थे. देर रात तक चली समा-महेफिल में रहेबरिया मुरीदों ने उत्साहपूर्ण तरीके से सहभाग लिया. इस दौरान पीर सहाब के बेटे असजद मोेईनोद्दीन, नागपुर के गुलाम मुजतबा उर्फ बाबुभाई, सै.सैफुद्दीन, सभी कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए वसीम अहमद खान, रहीम खान ठेकेदार, असलम खान चिश्ती, मो. एजाज, सत्तार भाई, महेमुद भाई एमके, शहनवाज खान कातीब प्रेस, मो. साबीर भाई कैंप, नासीर हुसैन सहित खानकाह रहेबरिया के मुरीदों ने मेहनत की.