* विधान परिषद चुनाव के संयोजक थे
* सभी की मेहनत रंग लाई
अमरावती/दि.3- पार्टी ने 40 वर्षो में पहली बार स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में वोटर्स का पंजीयन किया. इसी आधार पर बडे भूभाग में फैले निर्वाचन क्षेत्र में ऐतिहासिक विजय हासिल हो सकी है. इस ऐतिहासिक जीत की खुशी है. पार्टी की टिकट का ऑफर था. मुझे कोई मलाल नहीं बल्कि विजय में महत्वपूर्ण योगदान करने का आनंद है. इन शब्दों में कांग्रेस के स्नातक निर्वाचन चुनाव क्षेत्र संयोजक मिलिंद चिमोटे ने प्रतिक्रिया व्यक्त की. अमरावती मंडल से बातचीत में चिमोटे ने इस विजय को कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना के साथ-साथ समविचारी संगठनों की जीत निरुपीत किया. उन्होंने कहा कि, नूटा, विजूक्टा, विदर्भ माध्यमिक और सभी समविचारी संस्थाओं का सक्रिय योगदान रहा है. तब जाकर 40 वर्षो में इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया है.
* चिमोटे का चला था नाम
अमरावती स्नातक सीट पर पहले उम्मीदवार के रुप में मिलिंद चिमोटे का भी नाम चल रहा था. उन्होंने इंकार कर दिया. तथापी प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने चिमोटे को 56 तहसीलों में फैले निर्वाचन क्षेत्र के संयोजक का दायित्व दिया. चिमोटे ने बडी मेहनत कर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा तथा मविआ प्रत्याशी डॉ. लिंगाडे की विजय की नींव रखी.
* जिलाध्यक्ष और तहसील अध्यक्ष की बैठकें
चिमोटे ने लिंगाडे की विजय का राज भी अमरावती मंडल के साथ शेअर किया. उन्होंने कहा कि, चुनाव संयोजक की जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने पांच जिले के अध्यक्ष तथा 56 तहसीलों के अध्यक्ष तथा पदाधिकारियों के साथ बैठकें की. सभी को इस बार यहां पार्टी का झंडा लहराने के लिए प्रेरित किया. जिसका बडा प्रभाव पडा.
* यह रहा विजय का रहस्य
मिलिंद चिमोटे अमरावती विश्व विद्यालय सहित पदवीधर के चुनाव में पहले भी सक्रिय रहे हैं. उनका यही अनुभव बडा काम आया. चिमोटे ने बताया कि, उन्होंने स्नातक मतदाता के पंजीयन हेतु पेड सर्विस की बजाए कार्यकर्ताओं पर जिम्मेदारी डाली. कार्यकर्ताओं में वोटर्स के साथ मजबूत संबंध बनाकर उनका पंजीयन किया. इसी से फर्क पडा केवल 40 हजार वोटर्स का पंजीयन हम कर सके थे. मगर इस पंजीयन के साथ कार्यकर्ता उस वोटर के घर तक जुड गए. उनका मत का आश्वासन पक्का हो गया. चिमोटे ने इसे ही सफलता की कुंजी बतलाया.
* पटोले, देशमुख, ठाकुर का योगदान
मिलिंद चिमोटे ने पार्टी की इस बडी अच्छी जीत में रणनीति के साथ-साथ प्रदेशाध्यक्ष पटोले, पूर्व पालकमंत्री यशोमती ठाकुर, डॉ. सुनील देशमुख की मेहनत का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि समन्वयक से सामान्य कार्यकर्ता और सभी पदाधिकारियों के योगदान से विजय साकार हुई.
* नोंदणी व बांधणी
एकेडमिक क्षेत्र में बरसों से काम कर रहे और विद्यापीठ सीनेट सदस्य रहे मिलिंद चिमोेटे ने विजय की रणनीति को इन शब्दोें में स्पष्ट किया कि, नोंदणी व बांधणी से ही जय-पराजय का फासला हुआ. वोटर की नोदंणी के साथ कार्यकर्ता ने पक्की बांधणी से जीत सुनिश्चित की.