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खुद को कभी बडा नहीं समझा, पर लोगों ने हमेशा बडे होने का सम्मान दिया

ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद ने व्यक्त की भावना

* संविधान के दायरे में लोगों के कामों को प्राधान्य देने की बात कही
* पत्रकार भवन में ‘मीट द प्रेस’ के तहत साधा संवाद
* पत्नी डॉ. श्रीलिना का भी रहा सहभाग
* जिला मराठी पत्रकार संघ द्वारा आयोजन
अमरावती/दि. 11 – आजादी के बाद सन 1950 से देश में संविधान लागू हुआ और राजा की संकल्पना कालबाह्य हो गई. हालांकि इसके बावजूद पुरानी पीढी के लोग कहा करते थे कि, जिले में पुलिस अधीक्षक या अन्य समकक्ष अधिकारवाले पद पर रहनेवाले अधिकारी उस जिले के राजा की तरह ही बडे होते है. हालांकि मुझे खुद इस तरह की भावना कभी महसूस नहीं हुई और मैने खुद को कभी किसी राजा के बराबर बडा आदमी नहीं समझा. परंतु मेरे द्वारा किए गए कामों के चलते लोगों ने मुझे कभी किसी राजा से कम सम्मान ही नहीं दिया. आम जनता से मिले इस प्रेम व स्नेह के दम पर ही पुलिस महकमे में काम करते समय मेरा मनोबल उपर उठने में हमेशा सहायता भी मिली, इस आशय के शब्दों में अमरावती जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया.
गत रोज जिला मराठी पत्रकार भवन में अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ द्वारा आयोजित ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद ने पत्रकारों के साथ संवाद साधा और इस अवसर पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस कार्यक्रम में एसपी विशाल आनंद की धर्मपत्नी डॉ. श्रीलिना भी सहभागी हुई थी और दोनों ने अपना मनोगत व्यक्त किया. इस समय पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का खुले दिल से जवाब देते हुए पत्रकारों की सभी जिज्ञासाओं का निराकरण भी किया.
इस अवसर पर सर्वप्रथम अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष व दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने एसपी विशाल आनंद का तथा कार्यक्रम के समन्वयक प्रा. लोभस घडेकर ने डॉ. श्रीलिना का पुष्पगुच्छ देकर सत्कार किया तथा पत्रकार संघ के महासचिव प्रफुल घवले ने आयोजन की प्रस्तावना रखते हुए उपस्थित पत्रकारों से एसपी विशाल आनंद व उनकी पत्नी डॉ. श्रीलिना का परिचय कराया. इसके उपरांत कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों से संवाद साधते हुए एसपी विशाल आनंद ने कहा कि, हमारे देश में लोकतंत्र है तथा राज्य व देश का कामकाज संविधान के अनुसार चलता है. ऐसे में वे खुद भी संविधान के दायरे में रहकर लोगों के काम करने को प्राथमिकता देते है. एसपी विशाल आनंद के मुताबिक नेता व जनप्रतिनिधि आम लोगों के लिए जवाबदार होते है तथा देश व राज्य का काम कैसे चलेगा इससे संबंधित नीतियां वे ही तय करते है. राजनीतिज्ञों पर लोगों के काम करने हेतु काफी अधिक दबाव होता है. ऐसे में राजनीतिज्ञों द्वारा अधिकारियों को काम करने हेतु कहा जाता है. ऐसे समय मैं नेताओं व राजनीतिज्ञों को नहीं सुनूंगा वाली भूमिका अपनाकर काम नहीं चलता बल्कि कानून के दायरे में रहनेवाले कामों को अधिकारियों ने करना ही चाहिए और यदि कोई काम नियमबाह्य है तो उसके बारे में संबंधितों से सुसंवाद साधकर विनम्रतापूर्वक इंकार किया जा सकता है.
इस समय अपने व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में बात करते हुए एसपी विशाल आनंद ने कहा कि, प्रत्येक व्यक्ती के जीवन में अनेकों उतार-चढाव आते रहते है. परंतु ऐसे समय भी अपना संतुलन बनाए रखते हुए आगे बढने की मानसिकता रखनी चाहिए. एसपी विशाल आनंद के मुताबिक खुद उन्होंने ने भी अपने जीवन में काफी धक्के खाए हैं. नागपुर से राजनीतिक कारण के चलते उनका तबादला किए जाने की बात उनके सुनने में आई थी. लेकिन उन्होंने इसकी ओर ही सकारात्मक दृष्टिकोन से देखा और उन्हें नागपुर से ज्यादा विस्तार व व्याप रहनेवाले अमरावती जिले की जिम्मेदारी मिली, ऐसा विचार करते हुए उन्होंने और अधिक जोश के साथ अमरावती जिले में काम करना शुरु किया. जिसके चलते वे अपने कर्तव्य को न्याय दे सके.
उल्लेखनीय है कि, फिलहाल कानून व व्यवस्था के मुद्दे को लेकर चर्चा में चल रहे बीड जिले में एसपी विशाल आनंद ने करीब 8 वर्ष पहले अपनी सेवा प्रदान की है. उस समय बीड जिले में उनका अनुभव कैसा था इसे लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए एसपी विशाल आनंद ने कहा कि, वे डेढ वर्ष तक बीड में कार्यरत थे और उस समय उन्हें बताया गया था कि, बीड यह महाराष्ट्र का बिहार है. उस समय उन्हें यह महसूस हुआ था कि, हम खुद ही अपने देश के बिहार राज्य और बीड शहर की बदनामी कर रहे है. उनके मुताबिक किसी इक्का-दुक्का घटना के आधार पर मूल्यमापन करते हुए हम किसी शहर अथवा जिले को गलत साबित नहीं कर सकते हैं. बीड जिला किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि वहां पर रहनेवाले सभी नागरिकों का है और प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित वातावरण में जीने व रहने का पूरा अधिकार भी है. बीड जिले के अपने डेढ वर्ष के अनुभव को बेहद शानदार बताते हुए एसपी विशाल आनंद ने कहा कि, बीड जिले के पुराने सहकारी आज भी उनके संपर्क में है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, वैसे तो किसी भी जिले में अपराध व समाज विघातक घटनाएं घटित ही नहीं होनी चाहिए. जिन पर नियंत्रण रखने और ऐसी घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस पर होती ही है. साथ ही यह समाज का भी कर्तव्य होता है कि, प्रत्येक व्यक्ति अनुचित घटनाओं को रोकने हेतु आगे आए तभी एक अच्छा समाज तैयार होने में सहायता मिलेगी.

* जब चोरी गया बच्चा मां को वापिस लौटाया
पुलिस महकमे में सेवा करते समय अपने हिस्से में आए यादगार क्षण के बारे में बताते हुए एसपी विशाल आनंद ने बीड जिले की एक घटना का उल्लेख किया. जहां पर अंबेजोगाई के सरकारी अस्पताल से एक नवजात बच्चा चोरी हो गया था और उसे खोजना अपने आप में एक बडी चुनौती था. जिसे स्वीकार करते हुए उस बच्चे को खोज निकाला गया और जब वह बच्चा उसकी मां के पास वापिस दिया गया तो वह पल और उस पल का आनंद अपने आप में अवर्णनीय था. इसके साथ ही कुछ दिन पहले मेलघाट में अंधश्रद्धा के तहत एक नवजात बच्चे को गर्म सलाखों से डागा गया था. जिसके चलते गंभीर अवस्था में रहनेवाले बच्चे को इलाज हेतु नागपुर पहुंचाने के लिए अमरावती से नागपुर के बीच ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने हेतु की गई दौडभाग को भी वे कभी नहीं भुलेंगे.

* शुरु से ही पढाई पर पूरा ध्यान
मुलत: हैद्राबाद से वास्ता रखनेवाले एसपी विशाल आनंद ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि को विषद करते हुए बताया कि, उनके माता-पिता सरकारी कर्मचारी थे तथा परिवार में माता-पिता व बहन तथा वे खुद ऐसे चार लोग थे. मध्यमवर्गीय परिवार से वास्ता रखनेवाले उनके माता-पिता ने बचपन से ही उनके मन में यह अंकित कर दिया था कि, यदि जीवन में कुछ बनना है तो पढाई-लिखाई पर पूरा ध्यान देना जरुरी है. ऐसे में उन्होंने शुरु से ही अपनी पढाई-लिखाई पर ध्यान केंद्रीत किया था. आईआईटी रुडकी से बीटेक की पदवी प्राप्त करने के उपरांत वे वर्ष 2016 में यूपीएससी उत्तीर्ण करते हुए आयपीएस बने और उन्होंने अहमदनगर में अपनी परीविक्षाधीन कालावधि को पूर्ण किया. इसके उपरांत वे 4 वर्ष तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के एडीसी के तौर पर कार्यरत थे. पश्चात उन्हें नागपुर में पहली बार नक्सल विरोधी अभियान के विशेष कृति बल के पुलिस अधीक्षक के तौर पर स्वतंत्र जिम्मेदारी मिली, जहां से उनका अमरावती तबादला हुआ. जिसके चलते वे इस समय अमरावती में ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के तौर पर कार्यरत है.

* पत्नी श्रीलिना का मिला पूरा साथ
6 वर्ष पूर्व एसपी विशाल आनंद का डॉ. श्रीलिना के साथ अरेंज मैरेज हुआ था और उन्हें दो वर्ष की बेटी भी है. पति-पत्नी का कार्यक्षेत्र एक-दूसरे से काफी अलग है और काम की व्यापकता के चलते विशाल आनंद अपने परिवार को बहुत अधिक समय नहीं दे सकते है. परंतु इस बात का ऐहसास खुद को विवाह के पहले से ही रहने के चलते इसके लिए मानसिक तैयारी भी कर ली थी. जिसकी वजह से अब कोई तकलीफ या मुश्किल ही नहीं जाती, ऐसा डॉ. श्रीलिना का कहना रहा. साथ ही एसपी विशाल आनंद ने यह कहते हुए अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञता का भाव ज्ञापित किया कि, पत्नी श्रीलिना की ओर से मिलते साथ व सहयोग के दम पर ही वे पुलिस महकमे में बेहतरिन सेवा दे पाते है. बता दें कि, पैथॉलॉजी में एमडी रहनेवाली डॉ. श्रीलिना ने कुछ वर्ष तक अमरावती के सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में सेवा दी है. साथ ही इस समय वे अमरावती के सरकारी मेडीकल कॉलेज में प्राध्यापिका के तौर पर कार्यरत है.

* जिले में और पांच पुलिस थानों की जरुरत
एसपी विशाल आनंद के मुताबिक अमरावती जिले के विस्तार और जनसंख्या की तुलना में यहां पर पुलिस थानो व पुलिस कर्मचारियों की संख्या कम है. जिसके चलते जिले में 5 से 6 नए पुलिस थानो का गठन करना बेहद जरुरी है. इसके तहत मेलघाट के विस्तीर्ण क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए वहां पर और दो पुलिस थानों की जरुरत है. कम से कम कुछ स्थानों पर पुलिस चौकियां तो स्थापित करनी ही पडेंगी. राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस बारे में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश जारी किए है. जिसे लेकर काम शुरु कर दिया गया है.

* संपादक अनिल अग्रवाल ने उठाया पत्रकारों की सुरक्षा का मसला
अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष व दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने एसपी विशाल आनंद के समक्ष पत्रकारों की सुरक्षा का मसला उपस्थित करते हुए कहा कि, राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा हेतु कानून तो बना हुआ है, परंतु इस कानून पर कडाई के साथ अमल होना भी आवश्यक है. पत्रकारों पर होनेवाले हमलों के चलते पत्रकारों को अपनी जान खतरे में डालकर काम करना पडता है. इसकी ओर पुलिस द्वारा गंभीरता से ध्यान दिए जाने की जरुरत है. जिस पर सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए एसपी विशाल आनंद ने कहा कि, यदि किसी भी पत्रकार के साथ कुछ भी गलत घटना घटित हो रही है तो पत्रकारों ने संबंधित क्षेत्र के थानेदार के साथ ही खुद उन्हें व्यक्तिगत तौर पर सूचित करना चाहिए.

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