भाजपा में था असहज, मुझ पर कांग्रेसी संस्कार है
अचानक नहीं लिया फैसला, एक साल से विचार चल रहा था
* किसी पद या टिकट को लेकर नहीं हुई कोई बातचीत
* पटोले के अमरावती दौरे के समय हुआ अंतिम फैसला
* समर्थकों को सलाह : वे जहां चाहे रहे,
*मनपा की राजनीति में कोई नया गुट नहीं बनेगा
* डॉ. सुनील देशमुख का कांग्रेस प्रवेश!
अमरावती/दि.17– वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के समय मैं किन हालात में कांग्रेस से अलग हुआ था और लगभग पांच वर्ष राजनीतिक तौर पर निर्वासित रहने के बाद किन स्थितियों में भाजपा के साथ गया था, यह सभी को पता है. किंतु मेरी विचारधारा और संस्कार हमेशा ही कांग्रेसी रहे. ऐसे में अब चूंकि राजनीतिक हालात काफी हद तक बदल गये है. अब पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं सहित वरिष्ठ नेताओं का भी लंबे समय से यह आग्रह रहा कि अब घर वापसी करनी चाहिए. अत: इस आग्रह को ध्यान में रखते हुए आगामी 19 जून को मैं एक बार फिर कांग्रेस में प्रवेश करने जा रहा हूं. इस आशय की जानकारी शहर के पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख द्वारा दी गई.
अपने आवास पर दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए डॉ. सुनील देशमुख ने कांग्रेस में प्रवेश करने की बात को बिना किसी लाग-लपेट के स्वीकार करते हुए कहा कि, आगामी 19 जून को मुंबई में पार्टी के प्रदेश कार्यालय तिलक भवन का नूतनीकरण पश्चात नये स्वरूप के साथ लोकार्पण होने जा रहा है. इसी दिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहूल गांधी का जन्मदिन भी है. इस उपलक्ष्य में प्रदेश कार्यालय में एक विशेष समारोह आयोजीत किया जा रहा है. जिसमें पूरे प्रदेश से पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी व नेता उपस्थित रहेंगे. इसी समारोह में राज्य के राजस्व मंत्री व कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात, पार्टी के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले तथा अ. भा. कांग्रेस कमेटी के सचिव व पार्टी के प्रदेश प्रभारी एच. के. पाटील की प्रमुख उपस्थिति में वे कांग्रेस में प्रवेश करेंगे.
* कल अकेले ही मुंबई के लिए रवाना होंगे
पार्टी प्रवेश के समय आप के साथ आपके कौन-कौन समर्थक उपस्थित रहेंगे और अपने कितने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को साथ लेकर आप भाजपा छोडते हुए कांग्रेस में प्रवेश करने जा रहे है, इस सवाल के जवाब में पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, वे कल अकेले ही मुंंबई के लिए रवाना हो रहे है और उनके साथ अमरावती से उनका कोई भी समर्थक उनके साथ मुंबई नहीं जा रहा. चूंकि इस समय कोविड संक्रमण के हालात है और प्रदेश कार्यालय में समूचे राज्य से चुनिंदा पदाधिकारियों और नेताओं को ही आने के लिए निमंत्रित किया गया है, ताकि ज्यादा भीडभाड न हो. इस बात के मद्देनजर वे अमरावती से अपने किसी भी समर्थक को साथ लेकर नहीं जा रहे है.
* किसी पर भी साथ आने की कोई जबर्दस्ती नहीं
इसी संदर्भ में पूछे गये एक अन्य सवाल को लेकर डॉ. सुनील देशमुख ने बताया कि, वर्ष 2009 में तत्कालीन हालात के चलते जब उन्हें कांग्रेस से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया था और उन्होंने जनविकास कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी बनायी थी, तब भी अपने किसी समर्थक को कांग्रेस छोडकर अपने साथ आने के लिए मजबूर नहीं किया था. इसी तरह वर्ष 2014 के दौरान भाजपा में प्रवेश करते समय भी उन्होंने कांग्रेस के समय अपने साथ रहे किसी पदाधिकारी व कार्यकर्ता को अपने साथ भाजपा में आने के लिए मजबूर नहीं किया. बल्कि बाकायदा सबसे यह कहा था कि, वे मौजूदा हालात की वजह से भाजपा में प्रवेश करने के लिए मजबूर है. अत: कोई भी उनकी वजह से अपने राजनीतिक जीवन के अस्तित्व को दांव पर ना लगाये. उनकी यहीं भूमिका अब भी है. उनके साथ भाजपा में आये कुछ लोग यदि आगे भी भाजपा में रहना सहज महसूस करते है, तो उन पर भाजपा छोडकर कांग्रेस में आने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जायेगा. बल्कि वे भाजपा में रह सकते है. वहीं जो लोग उनके साथ कांग्रेस में आना चाहेंगे, उन सभी का स्वागत किया जायेगा.
* मनपा में नहीं बनेगा कोई नया गुट
इस समय अमरावती महानगरपालिका में सत्ताधारी दल भाजपा के पास 45 नगरसेवक है. जिसमें से कई नगरसेवक आप के समर्थक है, जो कभी कांग्रेसी थे और आपके साथ भाजपा में आये थे. चूंकि अब आप वापिस कांग्रेस में जा रहे है, तो क्या मनपा में अपने समर्थक पार्षदों को साथ लेकर कोई नया गुट बनाया जायेगा, इस सवाल पर डॉ. सुनील देशमुख का कहना रहा कि, वे ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहे और उनके कांग्रेस में प्रवेश करने का मनपा के मौजूदा सदन पर कोई असर नहीं पडेगा. यह सदन जिस तरह अपना काम कर रहा है, उसी तरह से मनपा के आगामी चुनाव तक काम करता रहेगा और अगले चुनाव में कौन किस तरफ रहना चाहता है, यह तय किया जायेगा.
* अचानक नहीं लिया फैसला, एक वर्ष से चल रही थी चर्चाएं
भाजपा छोडकर कांग्रेस में जाने का फैसला अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इसे लेकर विगत करीब एक वर्ष से चर्चाएं चल रही थी. साथ ही यह एक ओपन सीक्रेट था कि आज नहीं तो कल वे कांग्रेस में दुबारा प्रवेश करेंगे, क्योंकि वे मूलत: कांग्रेसी संस्कारों से वास्ता रखते है. इस साक्षात्कार के दौरान यह प्रतिपादन करते हुए डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, आज भी कांग्रेस में उनके कई पुराने साथी है, जो पिछले लंबे समय से उन्हें पार्टी में वापिस लेने का प्रयास कर रहे थे. इनमें कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का समावेश है. इसके साथ-साथ पार्टी के कुछ पुराने स्थानीय साथियों द्वारा भी विगत लंबे समय से यह इच्छा जताई जा रही थी कि, अब अपनी पुरानी पार्टी में वापिस लौटा जाये. ऐसे में अपने पुराने वरिष्ठ नेताओं तथा कार्यकर्ताओं की भावनाओं का आदर करते हुए उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस में लौटने का फैसला किया. जिसे खुद पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने हरी झंडी दिखाई.
* भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, पर कांग्रेस को फायदा जरूर मिलेगा
इस समय एक सवाल के जवाब में पूर्व जिला पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, उनके पार्टी छोडने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा. अलबत्ता कांग्रेस को फायदा जरूर होगा. डॉ. सुनील देशमुख के मुताबिक उनके पार्टी में आने से पहले भी भाजपा का अस्तित्व था और आगे भी रहेगा. लोगों के आने-जाने से किसी भी पार्टी को कोई विशेष फर्क नहीं पडता है. किंतु जिस तरह उन्होंने कभी अमरावती शहर में कांग्रेस को मजबूत किया था और मनपा की सत्ता दिलाई थी, उसी तरह भाजपा में आने के बाद भाजपा के लिए भी समर्पित भाव से काम किया और भाजपा को मनपा की सत्ता दिलाई. आगे भी वे इसी समर्पित भाव के साथ अपनी मूल पार्टी कांग्रेस में काम करेंगे और पूरा प्रयास करेंगे कि, आगामी मनपा चुनाव के बाद मनपा में कांग्रेस की सत्ता हो.
* पद व टिकट को लेकर नहीं हुई कोई बातचीत
भाजपा में सात वर्ष के कार्यकाल दौरान पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुंचनेवाले डॉ. सुनील देशमुख से जब यह पूछा गया कि, कांग्रेस में अब उनका पद और कद क्या होगा तथा क्या वे आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे, तो उनका कहना रहा कि, फिलहाल पद और उम्मीदवारी को लेकर किसी तरह की कोई चर्चा नहीं हुई है. वैसे भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव होने में अभी तीन साल का वक्त बाकी है और राजनीति में दो दिन बाद क्या होगा, इसका अंदाजा आज नहीं लगाया जा सकता. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, मूलत: कांग्रेसी विचारधारा का समर्थक होने के नाते वे दुबारा कांग्रेस में लौट रहे है, तब पार्टी द्वारा उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी जायेगी, वे उसे निभायेंगे.
* भाजपा ने दिया पूरा सम्मान, कोई नाराजगी नहीं
इस बातचीत में डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, विगत सात वर्ष के दौरान भाजपा में उनका अनुभव काफी अच्छा रहा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें यथोचित सम्मान दिया गया. उनकी आज भी भाजपा को लेकर कोई नाराजगी या मनमुटाव नहीं है, किंतु अपने संस्कारों व विचारधारा की वजह से वे भाजपा में सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में अब सही समय आने पर वे अपनी मूल पार्टी में लौट रहे है. इसे सभी के द्वारा ‘स्पोर्टर्स मैन स्पिरिट’ के साथ लिया जाना चाहिए.
* फडणवीस व गडकरी का हमेशा मिला पूरा साथ
भाजपा में अपने सात वर्ष के कार्यकाल को याद करते हुए डॉ. सुनील देशमुख ने बताया कि, उनके लिए भाजपा नितीन गडकरी व देवेंद्र फडणवीस इन दो नेेताओं के साथ भी शुरू और खत्म होती थी. इन दोनों नेताओं ने भाजपा में रहते समय हर कदम पर उन्हें पूरा साथ और सहयोग दिया. साथ ही भाजपा छोडने और कांग्रेस में प्रवेश करने का अंतिम निर्णय लेने के साथ ही उन्होंने इन दोनों नेताओं को अपने फैसले के बारे में अवगत करा दिया था.
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* स्थानीय स्तर पर कोई विरोध या प्रतिस्पर्धा नहीं
आप वर्ष 2009 में कांग्रेस से अलग हुए. पश्चात दो बार आपने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा. इन बारह वर्षों के दौरान अमरावती शहर सहित जिले में कांग्रेस और कांग्रेसियों में भी काफी बदलाव आ गया है. ऐसे में इतने लंबे समय बाद आप दोबारा स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओें के साथ कैसे ताल-मेल बैठायेंगे, विशेषकर स्थानीय विधायक सुलभा खोडके के साथ कैसे काम कर पायेेंगे, जिनके खिलाफ आपने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था, इस सवाल के जवाब में डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, वर्ष 2009 में कांग्रेस से बाहर निकलने और वर्ष 2014 में भाजपा के साथ जाने के बावजूद उनके शहर के सभी कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं से पहले की तरह ही अच्छे संबंध रहे. साथ ही उन सभी पुराने साथियों में उनके पार्टी प्रवेश को लेकर काफी खुशी भी है और कई स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन्हेें अभी से बधाई देनी शुरू कर दी है. जहां तक स्थानीय विधायक के साथ मिलजुलकर काम करने का सवाल है, तो इसमें कोई मुश्किल नहीं है. जब हम अलग-अलग पार्टी में थे, तो प्रतिस्पर्धी थे. आज एक पार्टी में है, तो एक-दूसरे के साथ सहयोगी की भुमिका भी रखनी होगी. इसके साथ ही डॉ. देशमुख ने कहा कि, एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लडने का कतई यह मतलब नहीं होता कि, दो लोगों में व्यक्तिगत अदावत है. ऐसे तो उन्होंने किसी जमाने में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा के भी खिलाफ चुनाव लडा और लगातार दो बार जीत भी हासिल की. लेकिन बाद में एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें दो बार भाजपा प्रत्याशी के तौर चुनाव लडना पडा. राजनीति में ऐसे उतार-चढाव चलते रहते है.
* नाना पटोले के साथ हुई थी सबसे अंत में मुलाकात
हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले अमरावती जिला दौरे पर आये थे, क्या उस समय आपकी और उनकी मुलाकात और बातचीत हुई थी, इस सवाल पर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, नाना पटोले के दौरे के सबसे अंतिम चरण में देर रात करीब 1 बजे एक ‘कॉमन फ्रेंड’ के यहां भोजन पर उन्हें भी आमंत्रित किया गया. जहां पर उनकी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के साथ ‘वन टू वन’ गुफ्तगू हुई थी. जिसमें 19 जून को मुंबई में पार्टी प्रवेश करने की बात अंतिम रूप से तय हुई. साथ ही इस फैसले से पार्टी आलाकमान को भी अवगत कराया गया और पार्टी आलाकमान ने भी इसके लिए अपनी स्वीकृति दी.