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फोन टेपिंग के खिलाफ मैं अदालत जाऊंगा

राज्यमंत्री बच्चु कडू ने दी संतप्त प्रतिक्रिया

अमरावती/दि.2– किसी जनप्रतिनिधि को मादक पदार्थों का तस्कर बताते हुए उसके फोन को लगातार 60 दिनों तक टेप करना बेहद अवमानजनक व निषेधार्थ घटना है. इसकी जितनी निंदा की जाये, वह कम है. वर्ष 2007 में तत्कालीन फडणवीस सरकार द्वारा एक आयपीएस अधिकारी के जरिये लगातार 60 दिनोें तक मेरा फोन टेप करवाया गया. यह सीधे-सीधे मेरी निजता का हनन है और मेरी व्यक्गित आजादी पर आघात है. जिसके खिलाफ मैं निश्चित तौर पर अदालत में भी जाऊंगा. इस आशय की प्रतिक्रिया राज्यमंत्री बच्चु कडू द्वारा दी गई है.
बता दें कि, राज्य खुफिया पुलिस महकमे की पूर्व प्रमुख रश्मी शुक्ला नामक आयपीएस अधिकारी द्वारा वर्ष 2017 में मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त रैकेट का पर्दाफाश करने के वजह को आगे करते हुए राज्य के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के मोबाइल फोन की करीब 60 दिनों तक टैपिंग की थी और रिकॉर्ड किये गये कॉल का डेटा तत्कालीन सत्तापक्ष को सौंपा गया था. इसके तहत उस समय विधायक रहने वाले बच्चू कडू के मोबाइल फोन भी 18 सितंबर से 14 नवंबर 2017 तक टैपिंग की गई थी. ऐसी जानकारी विगत दिनों सामने आयी. जिसके पश्चात इस विषय को लेकर प्रतिक्रिया हेतु जब दैनिक अमरावती मंडल द्वारा राज्यमंत्री बच्चु कडू से संपर्क किया गया, तो उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया.
राज्यमंत्री बच्चु कडू ने कहा कि, वे लगातार चार बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हो रहे है. यानी उनके क्षेत्र की जनता का उन पर पूरा विश्वास है. साथ ही वे एक राजनीतिक दल के संस्थापक अध्यक्ष भी है. किंतु राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें एक पुलिस अधिकारी के जरिये मादक पदार्थों की तस्करी करनेवाला व्यक्ति बताते हुए उनके फोन की 60 दिनों तक टेपिंग की. जिसका सीधा मतलब है कि, तत्कालीन सत्ता पक्ष को उनसे कुछ खतरा महसूस हो रहा होगा, तभी उनकी इस तरह चोरी-छीपे जासूसी करवायी जा रही थी, जो कि, पूरी तरह से गैरकानूनी थी. ऐसे में वे इसके खिलाफ निश्चित रूप से कानूनी लडाई लडेंगे. राज्यमंत्री बच्चु कडू ने यह भी कहा कि, वर्ष 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार थी और वे तो उस समय विपक्ष में बैठनेवाले एक निर्दलीय विधायक थे. जो स्पष्ट बहुमतवाली सरकार का कुछ भी नहीं बिगाड सकते. लेकिन इसके बावजूद उनकी जासूसी की गई, तो निश्चित रूप से विपक्ष के अन्य बडे नेताओं के भी फोन टेपिंग किये गये हो. यह तो सीधे-सीधे किसी भी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता के साथ-साथ लोकतंत्र का गला घोटने की तरह है. साथ ही तत्कालीन सत्ता पक्ष के मनमाने व तानाशाहीपूर्ण रवैय्ये को उजागर करता है. जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

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