अमरावती

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को जिला ग्राहक मंच का झटका

करार भंग का आरोप : वैद्यकीय इलाज का खर्च ब्याज समेत

अमरावती/दि.18 – स्थानीय जिला ग्राहक शिकायत निवारण मंच ने वैद्यकीय प्रतिकृति के मामलों में गोल्ड टैग असिस्ट सर्विस प्रा.लि. व आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इस बीमा कंपनी को झटका दिया है. ग्राहकों के साथ करार भंग करने की पृष्ठभूमि पर आयोग के अध्यक्ष सुदाम देशमुख व सदस्या शुभांगी कोंडे यह दो सदस्यीय न्यायपीठ में यह निर्णय जारी किया है.
प्रभा देशपांडे ने इस संदर्भ में शिकायत दर्ज की थी. ग्राहक मंच के नतीजों के अनुसार गोल्ड टैग व बीमा कंपनी ने शिकायतकर्ता को आदेश प्राप्त हो जाने से 30 दिन के भीतर रकम देनी है. इलाज के लिए खर्च किये हुए 70 हजार 586 रुपए और उसपर 31 अगस्त 2020 से 10 प्रतिशत ब्याज, शारीरिक व मानसिक त्रासदी के लिए 10 हजार व शिकायत खर्चे की तौर पर और 10 हजार इस तरह 1 लाख से ज्यादा रकम देशपांडे को लेना है. प्रभा देशपांडे को पति सुरेशराव के साथ जापान में लडके के पास जाना रहने से शिकायतकर्ता ने गोल्ड टैग असिस्ट सर्विस प्रा.लि. इस कंपनी का सदस्यत्व लिया था. उसके बाद संबंधित कंपनी ने प्रभा देशपांडे की उनके पति के साथ आईसीआईसीआई लोम्बार्ड से बीमा पॉलिसी निकाली. उस बीमा पॉलिसी अंतर्गत विदेशों में इलाज के लिए लगने वाले खर्चे का भी समावेश था. शिकायतकर्ता को जापान में रहते समय बाये पैर में भारी वेदना शुुरु हो जाने से वहां के डॉक्टरों के पास उसका इलाज किया. इलाज के बदले भारतीय चलन के अनुसार कुल 70 हजार 586 रुपए खर्च हुआ. भारत में लौटने के बाद उन्होंने उस रकम की संबंधित बीमा कंपनी से मांग की. किंतु बीमा कंपनी ने वह अमान्य करते हुए शिकायतकर्ता ने बीमारी बाबत जानकारी छिपाने का आरोप किया. उसके बाद प्रभा देशपांडे ने यहां के जिला शिकायत निवारण आयोग के पास एड. डॉ.रविंद्र मराठे व्दारा मामला दाखल किया है. ग्राहक मंच ने गोल्ड टैग असिस्ट सर्विस प्रा.लि. व आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को सूचना पत्र भेजा. किंतु दोनों कंपनियों के प्रतिनिधि आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए. जिससे आयोग ने दोनों कंपनी के खिलाफ एकतरफा जांच का आदेश पारित किया. एड. मराठे ने दी हुई दलीलें तथा कागजातों की जांच पडताल करने के बाद यह फैसला जारी किया.

जापान में किया इलाज

इस बीमा पॉलिसी अंतर्गत विदेश में इलाज के लिए लगने वाले खर्च का भी समावेश था. किंतु संबंधित महिलाने डॉक्टरों के पास इलाज किया, इसके लिए उन्हें भारतीय चलन के अनुसार 70 हजार 586 रुपए खर्च हुआ. किंतु लाभ देने इन दोनों कंपनियों ने टालमटोल किया.

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