यदि बच्चू को जिला स्टेडियम दिया, तो भाजपा को वहां शिफ्ट क्यों नहीं किया?
अमित शाह के सभास्थल को लेकर प्रशासन संदेह के घेरे में
अमरावती/दि.24 – इस समय लोकसभा के चुनाव हेतु प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही समाप्त भी हो गया है. लेकिन चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिनों के दौरान अमरावती शहर में जिस तरह की घटनाएं घटित हुई और राजनीतिक हालत बने, उसे देखते हुए स्थानीय जिला एवं पुलिस प्रशासन सवालों व आरोपों के घेरे में निश्चित तौर पर खडा दिखाई दे रहा है. साथ ही अब आम जनता द्वारा इस सवाल का जवाब पूछा जा रहा है कि, यदि सायंस्कोर मैदान का पहले से अग्रीम व कन्फर्म आरक्षण रहने के बावजूद प्रहार पार्टी के विधायक बच्चू कडू को ऐन समय पर जिस तरह से जिला स्टेडियम दिया गया, तो इसकी बजाय 21 व 22 अप्रैल का आरक्षण खत्म हो जाने के बाद भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के प्रचार हेतु केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा के लिए स्थानीय प्रशासन ने भाजपा एवं महायुति के सामने किसी अन्य स्थान का प्रस्ताव व पर्याय क्यों नहीं रखा, क्योंकि हकीकत में नियमानुसार 23 व 24 अप्रैल के लिए खुद प्रशासन ने ही सायंस्कोर मैदान का आरक्षण प्रहार जनशक्ति पार्टी के लिए बाकायदा निर्धारित शुल्क लेकर दिया था और इस आरक्षण को 23 अप्रैल की शाम 7 बजे उस समय बडे आश्चर्यजनक तरीके से रद्द किया गया. जब विधायक बच्चू कडू अपने समर्थकों सहित सायंस्कोर मैदान का ताबा लेने के लिए मैदान पर पहुंचे और पुलिस द्वारा रोके जाने पर उन्होंने वहीं ठिया आंदोलन करना शुरु कर दिया.
बता दें कि, लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं व प्रत्याशियों की यह दिली इच्छा होती है कि, उसकी प्रचार सभा अमरावती के मध्यस्थल में स्थित सायंस्कोर मैदान पर जरुर हो, क्योंकि चुनावी प्रचार सभाओं को लेकर सायंस्कोर मैदान का ऐतिहासिक महत्व भी जुडा हुआ है और विशालकाय सायंस्कोर मैदान पर जिस नेता व राजनीतिक दल की सभा सफल हो जाती है. उसकी राजनीतिक ताकत और स्थिति को बेहद मजबूत माना जाता है. इसी बात के मद्देनजर भाजपा द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा के लिए 21 व 22 अप्रैल हेतु सायंस्कोर मैदान को आरक्षित किया गया था. जहां पर 22 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा होने वाली थी. इसके उपरान्त चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यानि 24 अप्रैल को होने वाली प्रचार सभा एवं प्रचार रैली के लिए प्रचार जनशक्ति पार्टी ने आवेदन करते हुए सायंस्कोर मैदान को अपने नाम पर आरक्षित करवाया था.
बता दें कि, जिला परिषद की मिल्कियत रहने वाले सायंस्कोर मैदान को जिला परिषद ने जिला प्रशासन एवं जिला निर्वाचन विभाग को जानकारी देते हुए 21 व 22 अप्रैल को भाजपा के लिए तथा 23 व 24 अप्रैल को प्रहार जनशक्ति पार्टी के लिए आरक्षित रहने को मंजूरी दी थी. जिसके चलते 22 अप्रैल को होने वाली सभा के लिए 21 अप्रैल से भाजपा द्वारा सायंस्कोर मैदान पर विशालकाय पंडाल बनाने का काम शुरु किया गया. लेकिन ऐन समय पर 22 अप्रैल को होने वाली केेंद्रीय मंत्री अमित शाह की सभा स्थगित हो गई. जिसे भाजपा द्वारा 24 अप्रैल को सायंस्कोर मैदान पर ही आयोजित करने की बात कही गई. जबकि 24 अप्रैल के लिए भाजपा के पास सभा आयोजित करने हेतु सायंस्कोर मैदान का आरक्षण व अनुमति नहीं थे, बल्कि 23 और 24 अप्रैल के लिए सायंस्कोर मैदान प्रहार जनशक्ति पार्टी की प्रचार सभा व रैली के लिए बुक था.
इसी बीच सोमवार 22 अप्रैल को ही विधायक बच्चू कडू ने पत्रवार्ता बुलाते हुए आरोप लगाया कि, प्रशासन द्वारा प्रहार पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा 23 व 24 अप्रैल को सायंस्कोर मैदान से अपना दावा व आरक्षण छोड देने के लिए दबाव डाला जा रहा है, लेकिन वे 23 अप्रैल को हर हाल में सायंस्कोर मैदान अपने ताबे में लेंगे और 24 अप्रैल को सायंस्कोर मैदान पर ही प्रहार पार्टी के प्रत्याशी दिनेश बूब की प्रचार सभा होगी. साथ ही वहीं से प्रहार पार्टी की महापदयात्रा भी निकलेगी. जिसके बाद 23 अप्रैल को दोपहर करीब 4 बजे के आसपास विधायक बच्चू कडू अपने समर्थकों के साथ सायंस्कोर मैदान का ताबा लेने हेतु पहुंचे. इससे पहले जिला परिषद के शिक्षााधिकारी कार्यालय द्वारा भी शहर पुलिस आयुक्तालय को सूचित किया गया था कि, सायंस्कोर मैदान का आरक्षण 21 व 22 अप्रैल तक ही रहने के बावजूद भाजपा द्वारा 23 अप्रैल की सुबह तक सायंस्कोर मैदान से अपना साजोसामान नहीं हटाया गया है, जिसे हटाने के लिए पुलिस बंदोबस्त दिया जाये. लेकिन दोपहर तक प्रशासन एवं पुलिस की भूमिका में आश्चर्यजनक तरीके से बदलाव आया और पुलिस द्वारा विधायक बच्चू कडू को सायंस्कोर मैदान पर प्रवेश करने से रोके जाने के साथ ही उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सुरक्षा से संबंधित कारणों का हवाला देते हुए बताया गया कि, उन्हें सायंस्कोर मैदान हेतु दी गई अनुमति रद्द कर दी गई है. साथ ही प्रशासन ने विधायक बच्चू कडू के समक्ष अन्य मैदान के पर्याय के तौर पर उन्हें जिला स्टेडियम उपलब्ध कराने की बात कहीं.
यहीं पर इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सवाल उपस्थित होता है कि, जब 21 व 22 अप्रैल की दरम्यानी रात ही यह तय हो गया था कि, 22 अप्रैल को अमित शाह की अमरावती में सभा नहीं होने जा रही, बल्कि इसे आगे मुलतवी कर दिया गया है, तो प्रशासन ने उसी समय अमित शाह की सभा के लिए किसी अन्य मैदान का पर्याय भाजपा को क्यों नहीं दिया. क्योंकि खुद प्रशासन ने ही 21 व 22 अप्रैल के बाद 23 व 24 अप्रैल को सायंस्कोर मैदान का आरक्षण बच्चू कडू को दिया था. जिन्हें दी गई अनुमति को ऐन समय पर खारिज करते हुए उन्हें 24 अप्रैल से ठीक पहले 23 अप्रैल की शाम 7 बजे किसी अन्य मैदान का पर्याय दिया गया. साथ ही उनसे यह अपेक्षा भी रखी गई कि, वे इस प्रस्ताव को स्वीकार भी करें. सवाल उपस्थित होता है कि, 24 अप्रैल की सभा के लिए यहीं प्रस्ताव प्रशासन द्वारा 21 या 22 अप्रैल को भाजपा के सामने क्यों नहीं रखा गया. क्योंकि उस समय तक किसी भी मैदान पर प्रचार सभा हेतु तैयारी पूरी करने के लिए काफी समय बचा हुआ था. इन तमाम सवालों के जवाब खोजने की जद्दोजहद में अमरावती का जिला प्रशासन व पुलिस विभाग काफी हद तक संदेह के घेरे में खडा नजर आता है तथा आज नहीं, तो कल प्रशासन को इन सभी सवालों के जवाब अमरावती जनता के समक्ष जरुर देने होंगे.