खेती और किसान बचाना हो तो केवल शिक्षा देने से नहीं चलेगा !
शालेय शिक्षण अभ्यासक्रम में अब रहेगा कृषि विषयक पाठ का समावेश
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अमरावती/दि.1– विद्यार्थियों को बचपन से ही कृषि के प्रति रुची निर्माण हो, खेती में होने वाले बदलाव कृषि तकनीकी ज्ञान समेत अन्य बातों का अभ्यास कर शासन व्दारा शालेय अभ्यासक्रम में कृषि विषयक पाठ का समावेश करने का नियोजन किया गया है.
शालेय अभ्यसक्रम में कृषि विषयक पाठ का समावेश करने का नियोजन रहते युवावर्ग कृषि क्षेत्र से मुंह मोड रहे हैं. इस कारण कृषि का अभ्यासक्रम में समावेश कर नहीं चलेगा. इसी कारण खेती का प्रश्न समाप्त नहीं होगा इसके लिए उपाययोजना चलाना आवश्यक रहेगा, ऐसा कृषि अभ्यासकों की राय है. बचपन से बच्चों में खेती की रुची निर्माण होने के लिए शासन ने शालेय अभ्यासक्रम में कृषि विषयक पाठ का समावेश करने का निर्णय लिया है. इसको लेकर संमिश्रक प्रतिक्रिया है. उत्पादित कृषि माल को उचित दाम मिलना अथवा गारंटी दाम मिलना और उसका उत्पादन खर्च निकलना महत्व का है. किसानों का माल बाजाार में आते ही भाव गिरते दिखाई देते है. कृषि यह निसर्ग पर आधारित रहने वाला व्यवसाय है. बेमौसम बारिश, सूखा, अतिवृष्टि, मूलसलाधार बारिश आदि अनेक नैसर्गिक आपदाओं का किसानों को सामना करना पडता है. जिले में 85 प्रतिशत किसानों के पास संरक्षित सिंचन का अभाव रहने से उपजाऊ खेती करते है. इसके अलावा जिन किसानों ने कुएं की खुदाई की उन्हें कृषि पंप के बिजली कनेक्शन नहीं मिले है. जहां कनेक्शन रहे तो बिजली आपूर्ति का अभाव रहता है.
* भाव मिलना जरुरी
कृषि माल को उचित भाव मिले तो खेती की आधे से अधिक समस्या हल होगी. उत्पादन खर्च और उत्पन्न का तालमेल जुडना चाहिए.
– प्रवीण राउत, कृषि विशेषज्ञ
* पूरक व्यवसाय करना जरुरी
पारंपारिक खेती छोडकर तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल करना और पूरक व्यवसाय शुरु करना महत्वपूर्ण है.
– योगेश देशमुख, कृषि विशेषज्ञ