अमरावतीमहाराष्ट्र

प्रचार साहित्य पर नाम, संख्या नहीं रही तो होगा कारावास

चुनावी रणसंग्राम में आचारसंहिता नियमो का पालन आवश्यक

अमरावती /दि. 8– लोकसभा चुनाव के लिए आज सोमवार 8 अप्रैल को चिन्ह का वितरण होने के बाद प्रचार की शुरुआत हो गई है. इस दौरान आचारसंहिता शुरु रहने से प्रत्येक को चुनाव नियमों का पालन करना आवश्यक है. प्रचार पर दल का विशेष ध्यान रहने से साहित्य पर मुद्रक व प्रकाशक के नाम तथा साहित्य संख्या लिखना अनिवार्य है. लेकिन वैसा उल्लेख न रहने पर कार्रवाई हो सकती है. इसमें प्रकाशन को 6 माह तक सजा अथवा दो हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है.
साहित्य की छपाई करते समय संबंधित नोडल अधिकारी की अनुमति आवश्यक है. उनकी अनुमति के बगैर वह साहित्य पर प्रकाशक का नाम, पता, मुद्रक का नाम और कितनी छपाई की जा रही है, इस बाबत संख्या अंकित करना अनिवार्य है. चुनाव अवधि में प्रचार के साहित्य पर चुनाव यंत्रणा का ध्यान रहता है. इस साहित्य की प्रिटिंग के लिए माध्यम सनियंत्रण प्रमाणीकरण समिति की अनुमति आवश्यक रहती है. मुद्रित माध्यम में किसी भी राजनीतिक दल अथवा उम्मीदवार के पक्ष में अथवा विरोध में विज्ञापन अथवा प्रचार साहित्य रहने पर समिति की अनुमति आवश्यक है. इसमें नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जानेवाली है. अधिकारियों पर भी अपने कर्तव्य के पालन में कसूरवार पाए जाने पर कार्रवाई होगी.

* प्रचार साहित्य छपवाते समय कौनसी सावधानी रखेगे?
नाम : जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 (क) के मुताबिक छपाई और प्रकाशन पर कुछ पाबंदी लगाई गई है. प्रचार साहित्य पर मुद्रक, प्रकाशक के नाम सहित पता दर्ज रहना आवश्यक है.
संख्या : चुनाव संबंधी प्रत्येक पत्र, हस्तलिखित, घोषणा फलक अथवा पोस्टर आदि कितनी छपाई की गई, यह संख्या देना जरुरी है. ऐसा उल्लेख न रहने पर ऐसा कोई भी प्रचार साहित्य मुद्रित अथवा प्रकाशित करते नहीं आएगा.

* नियमों का पालन आवश्यक
आचारसंहिता में प्रचार साहित्य की प्रिंटिंग करते समय आवश्यक सावधानी और नियमों का पालन आवश्यक है. वैसी सूचना इसके पूर्व ही दी गई है.
– शिवाजीराव शिंदे, उपजिला चुनाव अधिकारी.

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