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हमारे ऊँट मर गये, तो मेनका गांधी मुआवजा देंगी क्या?

58 ऊँटों के पकडे जाने को लेकर बोले ऊँट पालक

नागपुर/दि.20- 9 से 12 वर्ष की आयुवाले एक ऊँट को दिनभर के दौरान करीब 1 क्विंटल की खुराक लगती है और एक ऊँट दिनभर के दौरान 3 बखत में कम से कम 30 लीटर बहता हुआ पानी पीता है. साथ ही लंबी गर्दन होने की वजह से उंचे पेड-पौधों की हरी पत्तियां ही खाता है. किंतु हमारे 58 ऊँटों को पकडकर गौरक्षण में डाल दिया गया है. जहां पर मिलनेवाला कडबा-कुटार ऊँट खाता ही नहीं और एक जगह जमा पानी को पीता भी नहीं. ऐसे में यदि हमारे ऊँटों को जल्द ही नहीं छोडा गया, तो उनका मरना तय है. क्या तब हमें मेनका गांधी हमारे ऊँटों को मुआवजा देगी. इस आशय की संतप्त प्रतिक्रिया परबतभाई रब्बारी नामक ऊँट पालक द्वारा दी गई.
बता दें कि, विगत दिनों अमरावती जिले में राजस्थान से हैद्राबाद की ओर ले जाये जा रहे 58 ऊँट को पशुजीव प्रेमियोें द्वारा पुलिस की सहायता से पकडा गया था. साथ ही कहा गया था कि, इन ऊँटों की कटाई के लिए तस्करी की जा रही थी. अत: सभी ऊँट अमरावती के गौरक्षण में ले जाकर रख दिये गये थे. जिसे लेकर आज भी कोई फैसला नहीं हुआ है. ऐसे में रब्बारी समाज के पशुपालकों ने अपना रोष व संताप व्यक्त किया है. इसी के तहत करीब तीन पीढी पहले विदर्भ क्षेत्र में आकर बस गये रब्बारी समाज के परबतभाई रब्बारी ने कहा कि, तस्करी और कटाई का झूठा आरोप लगाते हुए पुलिस द्वारा 58 ऊँटों को बिना वजह पकडकर गौरक्षण में रखा गया है. जबकि ऊँट गौरक्षण में जिंदा ही नहीं रह सकता. क्योंकि ऊँट को उंचे पेडों के हरे पत्ते खाने की आदत है और वह जमीन पर डाले गये चारे को अपने विशिष्ट शारीरिक संरचना के चलते नहीं खा सकता. ऐसे में उन्हेें रोजाना सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खेतों व जंगल परिसर में लेकर चराई हेतु घुमना पडता है. ऐसे में इन ऊँटों को जल्द से जल्द गौरक्षण से बाहर निकाला जाना चाहिए. अन्यथा वे गौरक्षण में मर सकते है. परबतभाई रब्बारी ने यह भी कहा कि, चाहे तो पुलिस की देखरेख में इन सभी ऊँटों को वापिस राजस्थान भेजा जाये, ताकि यह साबित हो सके कि, इन ऊँटों को कटाई के लिए नहीं ले जाया जा रहा था. परबतभाई रब्बारी के मुताबिक प्रति वर्ष राजस्थान में रहनेवाले ऊँट पालक अपने ऊँटों को लेकर चारे-पानी की तलाश में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र तक आते है और बाद में अपने ऊँटों को लेकर वापिस भी लौट जाते है. इसमें तस्करी व कटाई का कोई सवाल ही नहीं उठता. किंतु ऊँटों से कोई वास्ता नहीं रहनेवाली मेनका गांधी और उन जैसे लोग इसे नहीं समझ सकते. यहीं वजह है कि, जब इस संदर्भ में मेनका गांधी से रब्बारी समाज के कार्यकर्ता अशोक देवासी ने फोन पर बात की, तो मेनका गांधी ने उन्हें काफी गाली-गलौच की. मेनका गांधी को यह पता ही नहीं है, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ में भी रब्बारी समाज रहता है, जो ऊँटों का प्रयोग करता है और अपनी जरूरत के हिसाब से गुजरात व राजस्थान से ऊँट मंगाये जाते है. जिसे ऊँटों की तस्करी का नाम दे दिया गया है.

* ऊँटों को छुडाने के लिए बोला जा रहा झूठ
– गौरक्षण संस्था सचिव दीपक मंत्री का कथन
वहीं दूसरी ओर इस संदर्भ में अमरावती के श्री गौरक्षण संस्था के सचिव दीपक मंत्री से इस संदर्भ में बात करने पर उन्होंने बताया कि, गौरक्षण संस्थान में इन 58 ऊँटों का बडे बेहतरीन ढंग से ख्याल रखा जा रहा है और हमने गूगल व यूट्यूब पर सर्च करते हुए ऊँटों के खान-पान संबंधी आदतों के बारे में जानकारी हासिल की. जिसके अनुसार ऊँटों के लिए गौरक्षण में चारे-पानी की तमाम व्यवस्थाएं की गई है. जिसके लिए गौरक्षण में रोजाना दो से तीन ट्रक हरा चारा व एक-दो ट्रक सूखा चारा लाया जा रहा है और यहां पर जानवरों के पीने हेतु चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था है. साथ ही दीपक मंत्री ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि, ऊँट केवल हरे-भरे पेडों के पत्ते ही खाता है. उनके मुताबिक ऊँट रेगिस्तानी व सूखे इलाके में रहनेवाला जानवर है. जहां पर साल में बडी मुश्किल डेढ-दो माह ही हरा चारा मिलता है और बहते पानी की तो व्यवस्था ही नही होती. यहीं वजह है कि, ऊँट अपने शरीर में अपनी जरूरत के हिसाब से करीब एक माह का पानी जमा कर लेता है और उसे रोज-रोज पानी पीने की जरूरत ही नहीं पडती. ऐसे में इसे लेकर किये जा रहे तमाम दावे झूठे है और केवल इन ऊँटों को छुडाने का प्रयास है. ऐसा ही एक मामला करीब दो वर्ष पूर्व अकोला में भी सामने आया था. जहां पर बडी संख्या में ऊँट पकडे गये थे. जिन्हें तस्करी के जरिये कटाई हेतु ले जाया जा रहा था. ठीक इसी तरह इस बार भी 58 ऊँटों की यह खेप हैद्राबाद की ओर कटाई के लिए ही ले जायी जा रही थी. जिसे पशुजीव प्रेमियों द्वारा बीच रास्ते में रोका गया और गौरक्षण में रखा गया.

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