अमरावती

कोई प्यार में हारा तो कोई संघर्ष की लडाई में!

आत्महत्या की वारदातें बढने लगी

* निराशा, पुरानी बीमारी भी है एक कारण
अमरावती/ दि.3 – पारिवारिक समस्या, प्यार में धोखा, बीमारी, व्यसन, विवाह से संबंधित विभिन्न समस्या, प्रापर्टी विवाद, व्यापार समस्या जैसे विभिन्न कारणों से ही आत्महत्या की जाती है, ऐसा नहीं है. एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, कोई प्यार में हारा, तो कोई संघर्ष की लडाई में हारा, इसके कारण भी आत्मघाती कदम उठाया जाता है.
अधिकांश लोग आत्महत्या के लिए कई तरह के डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर, स्क्रिजोफ्रेनिया, पसर्नालिटी डिसऑर्डर, एंग्जाईटी डिसऑर्डर आदि जिम्मेदार रहते है. इसके अलावा कई लोग ज्यादा शराब पिने या नशे के अधिन होने के कारण भी आत्महत्या करते है. आत्महत्या के मामले के पीछे मनुष्य की अनियंत्रित भावना जिम्मेदार रहती है. कई बार तनाव, आर्थिक समस्या, रिश्तेसंबंधितों की समस्या जैेसे ब्रेकअप या प्रताडना से परेशान होकर कई लोग आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाते. सुसाईड का सबसे ज्यादा खतरा वे लोगों को रहता है, जिन्होंने पहले आत्महत्या का प्रयास किया है, ऐसा भी सर्वे में सामने आया है.

सालभर में 700 लोगों ने की आत्महत्या
वर्ष 2022 में जिलेभर में करीब 700 व्यक्तियों ने आत्महत्या की है, ऐसा दर्ज है. इसमें 321 किसान आत्महत्या के मामले है.

कारण क्या है?
निराशा, परिवारिक समस्या, प्रेमभंग, बीमारी, व्यसन, विवाह संबंधित विभिन्न मुद्दे, संपत्ति का विवाद, व्यावसायिक समस्या, वैवाहिक प्रताडना.

मानसोपचार तज्ञों की सलाह से बच सकती है जिंदगी
मानसोपचार तज्ञों की सलाह से तनाव से ग्रसित रहने वाले व्यक्तियों की जान बच सकती है. वक्त पर मिले उचित समुपदेशन के माध्यम से संबंधित को आत्मघाती कदम उठाने से परावृत्त कर सकते है.

पहले आत्महत्या का प्रयास करने वालों को ज्यादा खतरा
निराशा में रहने वाले व्यक्तियों का आत्महत्या के मार्ग पर जाने की ज्यादा संभावना होती है. पारिवारिक तनाव, संबंध अच्छे नहीं होना, ब्रेकअप के कारण आत्महत्या करने की संख्या बढी है. इसके अलावा मानसिक बीमारी से ग्रस्त, अमली पदार्थों का व्यसन, लंबी बीमारी या असह्य पीडा से त्रस्त लोग, आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास और जिन लोगों ने आत्महत्या करने का प्रयास किया है, वे भी सीधे तौर पर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाते है.

जीवन बहुत सुंदर है
बहुतांश लोगों को ऐसा लगता है कि, वे जीवन और परिस्थिति से निर्माण हुए आह्वानों का मुकाबला नहीं कर सकते या उन समस्याओं पर मात नहीं कर सकते, मगर वह समस्या कुछ समय की रहती है, उनसे बात करना, संवाद साधकर उनसे बातचित करना बहुत महत्व की बात है.
– डॉ. नेहा देशमुख

 

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