अमरावतीमहाराष्ट्र

दृष्टि होगी तो सृष्टि दिखेगी

विश्व नेत्रदान दिवस मनाने समिति का गठन

* नानकराम नेभनानी आयोजन समिति के अध्यक्ष
* मुकेश लोहिया का समन्वय समिति के अध्यक्षपद पर चयन
अमरावती/दि. 11 – नेत्रदान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए हर वर्ष नेत्रदान दिवस भालचंद्र का स्मृति दिवस 10 जून को मनाया जाता है. इस दिन को सफलतापूर्वक मनाने की तैयारियों के बीच एक आयोजन समिति का भी गठन किया गया है. विश्व नेत्रदान दिवस बनाने के लिए गठित की गई आयोजन समिति के अध्यक्ष पद पर नानकराम नेभनानी का निर्विरोध निर्वाचन किया गया है. जबकि कार्यक्रम के संयोजक समिति के अध्यक्ष पद पर प्रा. मुकेश लोहिया को सर्वसम्मति से चुना गया है.

खापर्डे उद्यान में स्व. मंगलभाई पोपट नेत्रालय में हरिना फाऊंडेशन कार्यकारिणी की बैठक हाल ही में संपन्न हुई. बैठक में सर्वसम्मति से विश्व नेत्रदान दिवस मनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया. समिति के अध्यक्ष पद पर नेभनानी की निर्विरोध नियुक्ति के साथ-साथ कार्यक्रम संयोजन समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रो. लोहिया के नाम पर मुहर लगी.

विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान के महत्व को मान्यता देते हुए हर वर्ष 10 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इसके माध्यम से लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता पैदा की जाती है कि, लोगों को नेत्रदान क्यों करना चाहिए. विश्व दृष्टि दिवस का मुख्य उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और लोगों को मृत्यु के बाद नेत्रदान करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करना है. विकासशील देशो में नेत्रहीनता प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोतियाबिंद और स्लूकोमा के बाद कॉर्निया के रोग (कार्निया, आंख की अगली परत को नुकसान) दृष्टि हानि और दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण है.

दृष्टि दिवस के इतिहास में महाराष्ट्र का योगदान नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रामचंद्र लक्ष्मण भालचन्द्र 24 घंटे काम करते थे. कठिन परिस्थितियों पर काबू पाते हुए उन्होंने दृढ संकल्प और दृढता के साथ 80 हजार से अधिक नेत्र शल्य चिकित्साएं पूरी करके दृष्टिहीन लोगों के जीवन को रौशन किया. उनकी जन्मतिथि और पुण्यतिथि 10 जून को है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए डॉ. भालचंद्र की पुण्यतिथि को दृष्टि दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके माध्यम से आम जनता में नेत्रदान के प्रति जागरूकता पैदा की जाती है. ‘दृष्टि होगी तो सृष्टि दिखेगी’ यह कहावत बिल्कुल सच है, इसलिए हर किसी को अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहिए. हर वर्ष हरिना फाउंडेशन विभिन्न विषयों के साथ नेत्रदान जागरूकता पैदा करके इस दिवस को उत्साह के साथ मनाता है. अतीत में, अमरावती में नेत्रदान जागरूकता के अवसर पर मानव श्रृंखलाओं को तोडना, दीपक जालान, दृष्टिहीनों की दुर्दशा को समझने के लिए आंखो पर पट्टी बांधकर लोग काला चष्मा और सफेद टोपी पहनकर रैलीयां करना जैसे विषयों को लागू किया गया है. बैठक में इस वर्ष कौनसी नई थीम अपनाई जाए इस पर व्यापक स्तर पर चर्चा की गई. आगामी बैठक के बाद इसे अंतिम रुप दिया जाएगा. अध्यक्ष मनोज राठी, कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रकांत पोपट, सचिव राजेंद्र वर्मा, उपाध्यक्ष रामप्रकाश गिल्डा, कोषाध्यक्ष राजेंद्र भंसाली, मनीष सावला, प्रदीप चढ्ढा, प्रो. मुकेश लोहिया, अविनाश राजगुरे, संजय भूतडा, कमलकिशोर मालानी, रश्मी नावंदर, धीरज गांधी, सुरेश जैन, प्रशांत राठी सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थे.

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