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चाहती तो मनपा भी ढहा सकती थी वह जर्जर इमारत

कार्रवाई करने का अधिकार था मनपा के पास

अमरावती/दि.2- एमएमसी एक्ट की धारा 268 के तहत जर्जर मकान का मालिक यदि नोटिस देने के बावजूद इमारत खाली कर उसे ढहाता नहीं है तो, मनपा उसे अपने कर्मचारी लगाकर ढहा सकती है और जो खर्च आता है वह संबंधित संचालक से वसूल कर सकती है. लेकिन मनपा के अधिकारियों ने यह कार्रवाई नहीं की और 32 माह तक केवल नोटिस और पत्र व्यवहार का सिलसिला ही चलता रहा.
कोई भी जर्जर इमारत नोटिस देने के बावजूद संबंधित संचालक व्दारा ढहाई नहीं जाती है तो, कोई अनहोनी से बचने के लिए मनपा प्रशासन को यह अधिकार है कि, वह उस इमारत में रहने वाले किराएदार और मकान मालिक को सूचना देकर उसे कानूनन गिरा सकते हैं. साथ ही नोटिस देने के बाद भी वह जगह खाली नहीं हुई तो, प्रति माह संबंधितों से 1 हजार रुपए जुर्माना भी मनपा व्दारा वसूल किया जा सकता हैं. लेकिन मनपा ने शहर के किसी भी जर्जर और अति जर्जर इमारतों के संचालकों से अब तक कोई भी जुर्माना वसूल किया है ना तो कोई कार्रवाई की हैं. जबकि मनपा का यह कर्तव्य था कि, वह पुलिस की सहायता से राजेंद्र लॉज को नोटिस देने के बाद खाली करवाए और धारा 397 (अ) (1) के तहत संबंधित अधिकारी के जरिए कार्रवाई करे.

दोषी अधिकारी पर कार्रवाई का भी प्रावधान
एमएमसी एक्ट की धारा 397 (अ) (2) के तहत यदि संबंधित अधिकारी जर्जर मकान के संचालक अथवा किराएदार पर कार्रवाई नहीं करता है तो, उस अधिकारी पर कार्रवाई का प्रावधान हैं. मनपा की रिपोर्ट के अनुसार ही शहर में वर्तमान स्थिती में सी श्रेणी की 32 इमारतें है जिन्हेें मनपा अनेक बार नोटिस दे चुकी है, लेकिन अभी तक नोटिस देने के बावजूद किसी भी इमारत के मालिक अथवा किराएदार पर कार्रवाई नहीं हुई हैं. राजेंद्र लॉज की इमारत ढहने के बाद इस भीषण घटना की जांच जिले के पालकमंत्री तथा राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विभागीय आयुक्त को सौंपी हैं. अब देखना है इस जांच में मनपा के अधिकारी दोषी पाए जाते है अथवा नहीं.

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