अमरावतीमहाराष्ट्र

अच्छा आचरण करें तो हमारा जीवन धन्य हो जाता है

कथाकार हिमांशुभाई शास्त्री ने कहा

* महेश भवन में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान सप्ताह का आयोजन
अमरावती/ दि. 2-भागवत कथा का विशिष्ट तिथियों में विशिष्ट योग पर आयोजन करना फलदायी होता है. सूर्यग्रहण के दिन यह सर्वोत्तम योग है. असहाय की हाय लेकर कोई भी चिकित्सा सफल नहीं होती. हम प्रभु की तरह आचरण नहीं कर सकते लेकिन उनके द्बारा बताई गई बातों के अनुसार अच्छे आचरण करें तो हमारा जीवन धन्य हो जाता है. यह आशीर्वचन श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह आनंद महोत्सव में पुष्टिमार्ग के कथाकार, प्रवचनकार हिमांशुभाई शास्त्री (रतलाम) ने कहे. स्थानीय बडनेरा मार्ग पर स्थित महेश भवन में मंगलवार को श्रीमद वल्लाभाचार्य कुलातवंश गो. 1008 पुरूषोत्तमलाल महाराजश्री (राजुबाबाश्री) की आज्ञा से एवं आशीर्वाद से श्रीमद भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है. कथा के सातवे दिन पुष्टिमार्ग के कथाकार, प्रवचनकार हिमांशुभाई शास्त्री ने सुदामा चरित्र व परिक्षित मोक्ष की कथा सुनाई.
कथाकार हिमांशुभाई शास्त्री ने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर ठाकुरजी से भेंट करने द्बारका नगरी पहुंचते हैं. अरे द्बारपालो कन्हैया से कह दो कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है…. के साथ किस प्रकार ठाकुरजी सत्यभामा के साथ सुदामा से मुलाकात करते हैं और उनका जीवन धन्य हो जाता है. जीवन में शब्द को सुनना बडी बात नहीं होती, शब्दों को महसूस करना ही सही बात होती है. हाथ से से छुटे वह त्याग होता है. अंत में परिक्षित मोक्ष की कथा जारी करते हुए हिमांशुभाई शास्त्री ने कहा कि जिसके हृदय में ठाकुरजी के प्रति अनुराग वह किसी कारणवश प्रतिदिन कथा में नहीं आ सके तो मात्र अंतिम दिन कथा सुनने से उसे सात दिनों की कथा का फल मिलता है. अंत में पूज्य गुरूदेव मथुरेश्वर महाराज के चरण कमल में वंदन करते हुए वचनों में हुई त्रृटि हेतु क्षमा याचना की गई. कथा में गादीपति प.पू. 1008 पुरूषोत्तम लाल (राजू बाबा )महाराज श्री का आगमन हुआ. मुख्य मनोरथी पूनम मूंधडा परिवार ने महाराज श्री को पुष्पमाला अर्पित कर आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने फूलों की होली का आनंद लिया.
कथा में जयकुमार मुंधडा, स्नेह मुंधडा, लक्ष्मी मुंधडा, गिरधारीलाल मुंधडा, लालजी मुंधडा, पुष्पा मुंधडा, निमिष बियानी, डॉ. उमाकांत मुंधडा, र्डॉ. एकता मुंधडा, कथा आयोजन संयोजक गोविंदास दम्माणी, सह संयोजक देवीकिसन लढ्ढा, गोकुलेश दम्माणी, डॉ. ब्रजेश दम्माणी, पूजा दम्माणी, राशि दम्माणी, शकुंतला दम्माणी, छाया दम्माणी, प्रमोद दम्माणी, प्रीति दम्माणी, श्यामसुंदर दम्माणी, संगीता दम्माणी, आशा दम्माणी, उमा दम्माणी, कविता लढ्ढा, विजयकुमार चांडक, अनिता चांडक, श्यामा देवी दम्माणी, प्रेमलता दम्माणी, लता मुंधडा, रामप्रकाश गिल्डा, आनंद दम्माणी, एड. आर. बी. अटल, गोविंद राठी, कन्हैया पच्चीगर, राजेंद्र पारेख, मन्नुभाई जव्हेरी, जयकिसन दम्माणी, आशीष करवा, हरीश संतोषिया, राजू संतोषिया, ग्वालदास लखोटिया,, कमलकिशोर राठी, भगवानदास जाजू, अशोकभाई सराफ, सुशील दम्माणी, डॉ. आर.बी. सिकची, नंद किशोर लोहाणा, डॉ. हरीश राठी, दिलीप करवा, सुनील मालपानी, राजेश चांडक, विजय बुच्चा, नीलेश दम्माणी, महेश गट्टाणी, सुरेश दम्माणी, विजयकुमार भट्ड, राजेश डागा, उमेश महेन्द्र, सतीशभाई मकवाना, पवन लढ्ढा, महेशभाई श्राफ, एड. शंकरलाल राठी, केशवभाई सेठ, किरण सामरा, विनोद डागा, विनोद सिकची, शिवकिसन सादानी, किसन गोपाल सादानी, मनोहर मालपानी, महेंद्र भूतडा, खुशाल सारडा, प्रदीप मोहता, किशोर मोहता, रमेशचंद्र दम्माणी, नितिन गगलानी, महेशभाई सेठ, विठ्ठल डिगे, दिलीप राठी, किशोर कोठारी, पराग लढ्ढा, अशोक श्राफ, सतीशभाई मकवाना, सूरज डागा, तारा सादानी, दिपाली करवा, ज्योति भैया, रेखा सादानी, नंदकिशोर लोहाणा, विनोद जबानी, मधुसूदन भैया, सुनील मालपानी, नीलेश भीमजियानी, आशीष करवा, शशि मूंधडा, राधिका दम्माणी, हेमलता बंग, सोनल संतोषिया, शारदा बियाणी, सुभद्रा भैया, शिल्पाबेन पारेक आदि उपस्थित थे.

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