* महिला व बालविकास विभाग व्दारा जनजागृति
अमरावती/ दि.9 – महिला व पुरुष समानता का नारा लगाया जाता है. हर क्षेत्र में महिला ने अपने आप को सिध्द कर बताया है, इसके बाद भी समाज में महिलाओं को दुय्यम स्थान दिया जाता है. बच्चियों को बोझ समझते है. इसी समझ के चलते लडकियों की कम उम्र में ही शादी रचाने का मामला देखने को मिलता है. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह आज भी देखने को मिलते है.
बालविवाह रोकने के लिए शासन ने कडे कानून बनाये है. इसके अलावा महिला व बालविकास विभाग व्दारा लगातार जनजागृति की जा रही है. गांव स्तर पर काम करने वाली आशा सेविका, आंगणवाडी सेविका, परिचारिका के माध्यम से जनजागृति करने के लिए विभिन्न आयोजन किये जाते है. बालकल्याण समिति समेत जिला परिषद महिला, बालकल्याण विभाग भी इसके लिए कार्यरत है. बाल विवाह की जानकारी मिलते ही लडकी के माता-पिता को लाकर समुपदेशन किया जाता है, अपराध भी दर्ज किया जाता है. पिछले जनवरी से अब तक 11 माह में 28 बाल विवाह रोके गए. बालविवाह प्रतिबंधक अधिनियम 2006 की धारा 10 व 11 के तहत बालविवाह कराने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ अपराध दर्ज किया जा सकता है. इस धारा के तहत बालविवाह कराने पर कानून सजा के लिए पात्र है. ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामसेवक व आंगणवाडी सेविका और शहरी भाग में बालविकास प्रकल्प अधिकारी व आंगणवाडी पर्यवेक्षिका को अधिकारी के रुप में चुना गया है.
कही भी बाल विवाह हो तो संपर्क करे
* बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह करने, कराने अपराध है. जिले में कही भी ऐसी अनुचित घटना पता चलती है तो नागरिक जिला बाल संरक्षण कक्ष से संपर्क साधे या 1098 पर फोन कर सूचित करे. बाल विवाह के कारण लडकी के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम हो सकता है. इसके कारण उचित आयु में ही लडकी का विवाह कराये.
– अजय डबले, जिला बालसंरक्षण अधिकारी अमरावती