अमरावती

शिकार किया तो सात वर्ष कारावास

वन विभाग के स्वतंत्र उडन दस्ते तेैयार

* जानकारी देने का जनता से किया आह्वान
अमरावती/ दि.13 – हर वर्ष बारिश शुरु होते ही वन्य प्राणियों की शिकार की घटनाएं बढने लगती है. जंगल या टायगर प्रोजेक्ट में हरियाली निकल आने का लाभ शिकारी उठाते है. मगर इस बार वन विभाग वन्य प्राणियों के शिकारियों पर कडी नजर रखे हुए है. इसके लिए स्वतंत्र उडन दस्ते तैयार किये गए हैं. शिकार करते हुए कोई मिलता है तो सीधे वन अपराध दर्ज कर सात वर्ष कारावास की सजा मिलेगी, ऐसी नियोजित कार्रवाई करने की तैयारी वन विभाग ने शुरु की है.
आषाढी त्यौहार पर वन्य प्राणियों के शिकार करने की अधिक संभावना रहती है. कुछ लोग अंधश्रद्धा के चलते घोरपड इस वन्यप्राणी श्रेणी 1 के वन्यजीव का शिकार कर उसका मांस खाते है. बाघ, हिरण, घोरपड, जंगली बिल्ली, शियार, जंगली मुर्गा आदि वन्य जीवों का शिकार करते हुए दिखाई दे तो संबंधितों को सात वर्ष की सजा या 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनों ऐसी तेैयारी वन विभाग ने की है. विदर्भ के पांच टायगर प्रोजेक्ट, अभ्यारण्य और बाघों के रहने के स्थान रहने वाले जंगल के पडोसी गांव वन विभाग के निशाने पर है. बाघों का शिकार करने के लिए शिकारी स्थानीय लोगों को अपने साथ लेते है. प्रलोभन देकर बाघ का शिकार करते है.
ऐसा है सजा का नियोजन
वन प्राणियों का शिकार किया तो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार वन अपराध साबित होता है, ऐसी स्थिति में व्यक्तिगत दोष सिध्द होने पर तीन से सात वर्ष कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है.

Related Articles

Back to top button