
* गर्मी के बढते ही वन विभाग हुआ अलर्ट
अमरावती/दि. 27 – गर्मी के मौसम दौरान जलती बीडी के टुकडे या याचिस की एक तिली से जंगल में आग लगकर दावानल भडक सकता है और एक बार दावानल के भडक जाने पर जंगल क्षेत्र काफी लंबे समय तक जलता रहता है. इसके साथ ही समाजकंटकों द्वारा जानबुझकर जंगल क्षेत्र में लगाई जानेवाली आग के चलते भी प्राकृतिक साधन संपत्ति का बडे पैमाने पर नुकसान होता है. जिसे टालने हेतु भारतीय वन अधिनियम में कई प्रतिबंधात्मक प्रावधान किए गए, ऐसे में इन नियमों का उल्लंघन किए जाने की बात सिद्ध होने पर दोषियों को जेल की हवा खानी पड सकती है.
गर्मी के सीजन की शुरुआत होते ही व्याघ्र प्रकल्प एवं वन विभाग सतर्क हो जाते है. क्योंकि इस कालावधि के दौरान छोटी सी भी चूक होने पर वनसंपदा एवं वन्यजीवों का अधिवास खतरे में आ जाता है. अमरावती जिले में समृद्ध जंगल है और यहां के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या अच्छी-खासी है. गर्मी के मौसम दौरान कोई छोटी सी भी चूक जंगल एवं वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर सकती है. गर्मी शुरु होने से पहले प्रति वर्ष ही दावानल के संभावित खतरे को टालने हेतु जंगल में प्रतिबंधात्मक उपाय किए जाते है.
गत वर्ष गर्मी के मौसम दौरान मेलघाट के धारणी व चिखलदरा वनक्षेत्र सहित जिले के पोहरा, वरुड व चांदुर रेलवे परिसर के जंगल क्षेत्र में दावानल भडकने की घटनाएं घटित हुई थी. जिसे ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने अपने पथकों को गश्त बढाने के निर्देश जारी किए है. साथ इस वक्त कहीं पर भी दावानल न भडक पाए इस हेतु विशेष सतर्कता भी बरती जा रही है.
* क्यों है जंगल क्षेत्र की जरुरी
जनसंख्या विस्फोट, प्रदूषण, जंगल कटाई व पर्यावरण के र्हास के चलते पृथ्वी पर एक तरह का बोझ बढ रहा है. जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है. पृथ्वी के स्वास्थ का ध्यान रखना यानी खुद अपना ध्यान रखना है और पृथ्वी के स्वास्थ को सुदृढ बनाए रखने में वनो की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है.
* तीन साल की कैद व 25 हजार का दंड
जंगल में आग लगाए जाने की बात साबित होने पर संबंधित व्यक्ति को भारतीय वन अधिनियम अंतर्गत तीन वर्ष के कारावास तथा 25 हजार रुपए तक के जुर्माने की सजा हो सकती है.
* जंगल में आग लगने की प्रमुख वजहें
मेलघाट के जंगल में आग लगने के पीछे कुछ प्रमुख वजहें हैं. जंगल में आग लगा देने पर बारिश के सीजन में घास की पैदावार अच्छी होती है ऐसी एक आम धारणा बनी हुई है. जिसके चलते कई बार ग्रामिणों द्वारा कई बार जंगल क्षेत्र में आग लगा दी जाती है, इसके अलावा कई बार जंगल क्षेत्र से होकर गुजरने वाले लोगबाग जलती बीडी या सिगरेट के टुकडे लापरवाही के साथ जंगल में इधर-उधर फेंक देते है. इसकी वजह से भी कई बार जंगल परिसर में आग भडक जाती है.
* यह समय होता है खतरनाक
फरवरी माह के तीसरे सप्ताह से लेकर जून माह के अंत तक जंगल क्षेत्र में दावानल भडकने की संभावना होती है. वैसे तो दावानल का भडकना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है परंतु इसके अनियंत्रित हो जाने पर अच्छा-खासा नुकसान भी होता है. ऐसे में वन विभाग द्वारा 15 फरवरी से पहले ही जंगल में जालरेखा को काटने का काम किया जा रहा है. ताकि जंगल में किसी कारण से आग लगने पर वह आग उस जालरेखा से आगे न बढ पाए.
* जिले में 3300 चौरस किमी वनक्षेत्र
अमरावती जिले का कुल क्षेत्रफल 12234 चौरस किमी है. जिसमें से 3300 चौरस किमी क्षेत्र में जंगल क्षेत्र है. इसमें वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र रहनेवाले मेलघाट के व्याघ्र प्रकल्प सहित महेंद्री, पोहरा-मालखेड की आरक्षित जंगल व आसपास के क्षेत्र तथा सालबर्डी परिसर के जंगलों का समावेश है.
* मेलघाट में जैवविविधता
मेलघाट के जंगल की जैवविविधता काफी प्रसिद्ध है. इस जंगल क्षेत्र में वनों का संरक्षण व संवर्धन करने हेतु विशेष ध्यान दिए जाने के चलते जैवविविधता की सिमंती बढी और पर्यटन के अवसर उपलब्ध हुए.