अमरावती/दि.8 – पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने कई शताब्दियों तक विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमणों को झेला और हमारी आपसी फूट का फायदा उठाकर विदेशी हमलावरों ने लंबे समय तक देश के बडे विभाग पर राज भी किया. लेकिन मां दुर्गा भवानी की तलवार और छत्रपति शिवाजी महाराज व महाराणा प्रताप जैसे वीर सपूतों की वजह से इस देश की धार्मिक पहचान और अस्तित्व बने रहे. मौजूदा दौर में भी हमारे धर्म और संस्कृति पर अलग तरह का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में हमे एक बार फिर संगठित होना होगा. ताकि हमारे धर्म के साथ-साथ हमारा देश सुरक्षित रह सके. इस आशय का प्रतिपादन अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद व राष्ट्रीय बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडिया ने किया.
गत रोज स्थानीय साहू बाग परिसर के संतोषी नगर मैदान पर विशाल हिंदू सभा का आयोजन किया गया था. जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. प्रवीण तोगडिया ने उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस सभा में मंच पर आयोजन समिति के अध्यक्ष महेश साहू, संगठन के प्रदेश महामंत्री किशोर डिकौंडवार, विदर्भ प्रांप्त मंत्री संतोष ठाकुर, प्रांत अध्यक्ष अरुण जयस्वाल सहित सर्वश्री देवराज तिवारी, अभिजीत देशमुख, प्रवीण गिरी, प्रीति साहू, विकी माटोले व खुशाल आहारे आदि उपस्थित थे. इस समय अपने संबोधन में डॉ. प्रवीण तोगडिया ने विदेशी आक्रमणकारियों द्बारा की गई मध्ययुगीन बर्बरताओं का जिक्र करते हुए कहा कि, विदेशी आक्रमणकारी यहां पर केवल राज करने नहीं आए थे, बल्कि उन्हें हमारे गौरवशाली इतिहास व परंपराओं से दिक्कत थी. यहीं वजह है कि, उन्होंने चूनचूनकर काशी, मथुरा, अयोध्या व सोमनाथ में स्थित हमारे मंदिरों व आराध्य स्थलों को निशाना बनाया. इसके अलावा आज जिस तरह से टार्गेट किलिंग हो रही है. उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि, विदेशी दासता के समय किस तरह से कत्लेआम हुआ करता था. वर्ष 1990 के दौरान कश्मिर घाटी में हुए हिंदूओं के नरसंहार का जिक्र करते हुए डॉ. प्रवीण तोगडिया ने कहा कि, वह सिलसिला अब भी रुका नहीं है. बल्कि घाटी में आज भी हिंदूओं को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर हिंसा का शिकार बनाया जाता है. साथ ही अब यह टार्गेट किलिंग अमरावती जैसे शहर में भी पहुंच गई है. जहां पर विगत वर्ष जून माह के दौरान मेडिकल व्यवसायी उमेश कोल्हे को इसी टार्गेट का शिकार बनाया गया. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, हिंदू समाज समय रहते सतर्क व सावधान हो तथा संगठित होकर अपनी और अपने समाज की रक्षा का दायित्व उठाए.
इस समय अपने संबोधन में डॉ. प्रवीण तोगडिया ने कहा कि, उन्होंने वर्ष 1990 के दौरान देश में पहली बार त्रिशुल दिक्षा दी थी और मौजूदा दौर के हालात को देखते हुए एक बार फिर त्रिशुल दिक्षा अभियान शुरु किए जाने की जरुरत महसूस हो रही है. इसके तहत वे पूरे देश में 2 करोड युवाओं को त्रिशुल दिक्षा देने के साथ ही रोजाना व्यायाम करवाते हुए सेमी मिलीट्री ट्रेनिंग देने की व्यवस्था करवाएंगे और विजया दशमी के दिन सामूहिक रुप से शस्त्रपूजन भी करवाया जाएगा. इसके अलावा शस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त अधिक से अधिक हिंदू युवाओं पुलिस व मिलीट्री मेें भी भर्ती होने हेतु प्रोत्साहित करेंगे, ताकि यह देश और इस देश का हिंदू समाज पूरी तरह से सुरक्षित रहे.
अयोध्या में चल रहे राम मंदिर के निर्माण को किसी समय अपने द्बारा शुरु किए गए आंदोलन की सफलता प्रतिपादित करते हुए डॉ. प्रवीण तोगडिया ने कहा कि, राम मंदिर आंदोलन के पीछे कई पीडियों ने कडा संघर्ष, त्याग व तपस्या की है. जिसके चलते मौजूदा पीढी को राम मंदिर साकार होता दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब नई पीढी का यह कर्तव्य है कि, वह इस मंदिर के निर्माण में योगदान देने के साथ-साथ यह मंदिर हमेशा अपने स्थान पर ऐसे ही बना रहे, इसका जिम्मा उठाए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, जिस तरह से आज हमारे आराध्य भगवान राम को उनका अपना घर मिल रहा है. उसी तरह अब हमे देश में प्रत्येक हिंदू को अच्छा घर, उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा तथा किसानों को उनकी फसल का सहीं दाम दिलाने हेतु काम करना है और हिंदूओं को सुरक्षित, समृद्ध व सम्मानित समाज बनाते हुए चुनौति मुक्त देश का निर्माण करना है.