अमरावती

परमात्मा से रिश्ता जोडना है तो हमें अपने आप से रिश्ता जोडना होगा

अमित ज्योतिजी म. सा. का प्रतिपादन

अमरावती-/ दि.25 स्थानीय अंबापेठ स्थित जैन स्थानक में 24 अगस्त से पर्वाधिराज पर्युषण का प्रारंभ हो गया है. 8 दिनों तक तत्व चिंतिका अमित ज्योतिजी म. सा. तथा संगीत साधिका अनंत ज्योतिजी म. सा. के सानिध्य में प्रतिदिन धर्म आराधना जारी रहेगी. महापर्व के पहले दिन आत्मनिरीक्षण विषय पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य अमित ज्योतिजी महासतीजी ने उपस्थितों को संबोधित किया. अनंतज्योतिजी म. सा. ने अपनी सुमधुरवाणी में पर्युषण का प्यारा त्यौहार, धर्म आराधना कर सफल बनाओ, पधारे पर्युषण स्वागत है. इस गीत से पर्युषण पर्व का स्वागत किया. पूज्य महासतीजी ने फरमाया कि , जिस तरह यदि हमारे घर में कोई साधारण अतिथि आता है तो हम केवल अपने घर में ही चाय-नाश्ता कर उसका आतिथ्य करते है, किंतु यदि प्रधानमंत्री या मिनिस्टर आए तो जिस तरह सारी नगरी की साफसफाई होती है और उनका स्वागत किया जाता है. उसी तरह हमें भी पर्युषण पर्व का वेलकम करना है.
पर्युषण प्यारा त्यौहार, मेहमानों की करो मनुहार, तप और जप का हो श्रृंगार, मिट जाए सब विषय विकार इन शब्दों में महासतीजी ने पयुर्षण का स्वागत करने की मनुहार की है, उन्होंने कहा कि पर्व तो प्रतिवर्ष आते है., हम उसे मनाते है और चले जाते है. किंतु हमारा पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब हमारे जीवन की खामियों को पहचानेंगे. कहा जाता है कि समंदर में इतना खजाना भरा है कि संसार की सारी गरीबी दूर हो सकती है. इसी तरह हमारे परमात्मा के अंदर भी परमपद का खजाना भरा है. जिससे हमारे सभी विकार मिट सकते है. ऐसा पावन पर्वाधिराज पर्युषण हमें मानव से महामानव,जीने से जीणेश्वर बनाने वाला है. परम पद देने वाला यह पर्व है. हमें चिंतन करना होगा, अपनी खोज करनी होगी. हमारे भीतर का पाप और पुण्य का ऑडिट हमें स्वयं ही करना होगा. आपकी व हमारी खामिया दूर करने के लिए यह पर्युषण पर्व आए है. यह शुध्दिकरण का पर्व है. सारी बुराईयां दूर कर आत्मविश्वास का यह महापर्व है. आज हम देखते हैं कि इन्सान सुबह से लेकर शाम तक केवल अपने परिवार की जरूरतें पूर्ण करने के लिए दौडता है. किंतु जब उसे परिवार की जरूरत होती है, तब बच्चे साथ नहीं देते. उच्च शिक्षा व नौकरी के लिए वे परिवार छोडकर बाहर चले जाते है. फिर इस भागदौड का क्या मतलब है. इसलिए समय को सार्थक करने के लिए प्रयास करें. हमारे मन की सफाई के लिए हमें कुछ समय देना होगा. पता नहीं कब दुनिया से चले जाए. यह जीनशासन हमें पुण्यवाणी से मिला है. वह फिर कब मिलेगा. इस अवसर का यदि हमने लाभ नहीं उठाया तो हम खाली हाथ ही चले जायेंगे. हमें अपने आत्मस्वरूप को पहचानने के लिए समय देना होगा. हम देख रहे है कि आज हमारी युवा पीढी हमारी संस्कृति और संस्कार भूल रही है. हमारा धर्म खतरे में आ जायेगा. हमें हमारे जीवन में वैर मिटाकर मैत्रीभाव तथा समताभाव को अपनाना है और हमारे अंदर की आत्मस्वरूप की खोज करना है. हमारे भीतर अनंत शक्ति का भंडार है. सिर्फ उसे हमें पहचानने की जरूरत है. यदि प्रभु से रिश्ता जोडना है तो हमें स्वयं से रिश्ता जोडना होगा. हम दूसरों को देखने में अपने आपको भूल गये है. इसलिए इन पर्युषण के पावन 8 दिनों मेें हमें हमारी खामियों को ढूंढना है. आज से हमारी परीक्षा शुरू हो गई और हमें अपने पाप-पुण्य का ऑडिट करना होगा. 8 दिनों तक विशेष धर्म आराधना, जप, तप करना होगा. तप-जप के मिले है दिन 8, अंबापेठ में लगाना है धर्म का ठाठ इन शब्दों में महासतीजी ने पयुर्षण पर्व में धर्म आराधना करने की बात कही.

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