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जीना है तो काम में किस बात की शर्म

बुढापे में भी महिला अपने काम से देती है पुरूषों को मात

अमरावती/ दि. 8 –पति के निधन के बाद दोनों बेटियों का विवाह हो जाने और बेटा अलग रहने से लक्ष्मीनगर में रहनेवाली 60 वर्षीय वृध्द महिला मनोरमा खोब्रागडे अपना दुखडा किसी को न सुनाते हुए जीने के लिए कोई भी काम करने तैयार है. पुरूषों को भी काम में अपनी कामकाज की लगन से पीछे छोड देें. इस तरह फूर्ति से वह काम कर लेती है. जयस्तंभ परिसर की एक होटल में ऑल राउंडर के रूप में बर्तन धोने से लेकर दुकान की साफसफाई से लेकर आवश्यक सभी काम कर लेती है. उसका कहना है कि जीना है तो काम में किसी बात की शर्म नहीं होनी चाहिए.
गाडगेनगर थाना क्षेत्र में आनेवाले लक्ष्मीनगर निवासी मनोरमा मनोहर खोब्रागडे (60) नामक विधवा महिला ने बताया कि उसके पति का निधन हो गया है. दो बेटियां विवाहित रहने से वह अपने ससुराल में है. बेटा उससे अलग रहता है. घर में अकेली रहने से अपने पापी पेट का सवाल था. जीने के लिए वह कोई भी काम मिले वह करने तैयार थी. काम करने में उसे कोई शर्म नहीं थी. ऐसे में उसे जयस्तंभ चौक परिसर की एक होटल में साफसफाई और बर्तन धोने का काम मिल गया. वह लगन के साथ होटल में काम करने लगी. ऐसे में होटल में कामगारों की कमी दिखाई देने पर वह दूसरे भी काम स्वयंस्फूर्ति से कर लेती है. सुबह से शाम तक मनोरमा इस होटल में काम करती है. होटल में ग्राहक आने पर स्वच्छता और उनके बैठने की व्यवस्था से लेकर यह महिला कोई भी काम करने में जरा भी नहीं हिचकिचाती. उसका कहना है कि काम तो काम ही होता है. जो काम मिला उसमें किसी बात की शर्म नहीं होनी चाहिए. यही बात ध्यान में रख वह अपना काम पूरी ईमानदारी से कर अपना पेट भरती है.

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