अमरावती

अमरावती से नागपुर जा सकता है आईआईएमसी

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर को लिखा पत्र

* 11 साल से अमरावती में आईआईएमसी है उपेक्षा का शिकार
* न प्रांगण उपलब्ध, न छात्र हैं, ना विशेषज्ञ शिक्षक
* आपसी राजनीति व विवाद का शिकार हैं अमरावती में आईआईएमसी
अमरावती/दि.23– अव्वल तो अमरावती में कोई बडा प्रोजेक्ट आता ही नहीं और जो आता है, वह अमरावतीवालों से संभाला जाता नहीं. इसका ताजा उदाहरण है अमरावती में स्थित इंडियन इन्स्टिटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन यानी आईआईएमसी का पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र, जो विगत लंबे समय से स्थानीय राजनीतिज्ञों की अनास्था व उदासिनता का शिकार रहने के साथ-साथ आपसी राजनीति व विवादों में घिरा हुआ है. इन्हीं सब बातों के चलते विगत 11 वर्षों से आईआईएमसी के पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र के विकास व विस्तार की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा सका. यहीं वजह है कि, आज इस केंद्र के पास अपना कोई स्वतंत्र परिसर नहीं है. साथ ही यहां पर नियमित रूप से विशेषज्ञ शिक्षकों व स्टाफ की उपलब्धता भी नहीं है और इस केंद्र में पर्याप्त संख्या में किसी भी वर्ष छात्रों की एडमिशन भी नहीं रही. ऐसी तमाम बातों के मद्देनजर अब इस संस्थान को अमरावती से नागपुर स्थलांतरित करने की तैयारी की जा रही है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने अमरावती स्थित आईआईएमसी के पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र को नागपुर स्थलांतरित करने की मांग करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि, आईआईएमसी के अमरावती केंद्र विगत 11 वर्षों से उपेक्षा का शिकार है और इस केंद्र के पास न तो खुद का परिसर है, न विषय विशेषज्ञ शिक्षक और न ही पर्याप्त विद्यार्थी संख्या. अत: इसे नागपुर स्थानांतरित किया जाये. जहां पर इस केंद्र को हर तरह की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी. जिसके पश्चात इस संस्थान को नागपुर ले जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. ऐसे में अमरावती जिले को एक बार फिर बडा झटका लगना तय है.

* देश के चार शहरों में है केंद्र
केंद्रीय मंत्री गडकरी द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया है कि, भारतीय जनसंचार संस्थान के दिल्ली मुख्यालय सहित कोट्टायम, ढेंकनाल, जम्मु व आईजोल इन चार शहरों में केंद्रों का निर्माण और विकास लगभग पूरा हो चुका है. दिल्ली स्थित मुख्यालय परिसर में अब विस्तार की संभावना नहीं के बराबर है. वही अमरावती परिसर फिलहाल संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ परिसर में अस्थायी रूप से सीमित स्थान पर सीमित विद्यार्थी एवं अल्प स्टाफ के साथ चल रहा है. चूंकि अमरावती केंद्र को अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिल रहा है. अत: इसे नागपुर स्थलांतरित कर दिया जाना चाहिए. जहां पर वे खुद इस केंद्र के विकास हेतु पूरा सहयोग प्रदान करेंगे और इस केंद्र के लिए तमाम आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी.

इससे पहले सेंट्रल बैंक का झोनल कार्यालय चला गया था
बता दें कि, संभागीय मुख्यालय रहने के बावजूद भी अमरावती जिला हमेशा से पिछडा ही रहा है. जिसके लिए निश्चित तौर पर स्थानीय राजनीतिक पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासिनता जिम्मेदार है. इससे पहले सेंट्रल बैंक का झोनल कार्यालय अमरावती से चला गया था. वही अब राष्ट्रीय स्तर का मीडिया प्रशिक्षण संस्थान भी यहां से स्थलांतरित होने की कगार पर है.

* वर्ष 2011 में हुई थी स्थापना
अमरावती केंद्र की शुरूआत वर्ष 2011 में की गई थी. लेकिन आज तक इसका अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. यहां अंग्रेजी पत्रकारिता के डिप्लोमा कोर्स के साथ हुई थी. छह साल बाद 2017 में मराठी पत्रकारिता का कोर्स शुरू हुआ. अंग्रेजी व मराठी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए 17-17 सीटें थी. लेकिन इस साल पहली बार मराठी की 16 व अंग्रेजी की 13 सीटेें भर सकी हैं. इससे पूर्व के वर्षों में काफी कम सीटें भर पाई. अत्यल्प प्रतिसाद मिलने का हवाला भी गडकरी ने पत्र में दिया है.

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