अमरावती/दि.5 – इस समय धूप और गर्मी काफी तेज हो गए है. साथ ही आगामी कुछ दिनों तक लगातार बढते तापमान का सामना करना पडेगा. जबकि इसी समय लगातार बढता हुआ तापमान असहनीय होने लगा है और भीषण गर्मी व तेज धूप के दुष्परिणाम भी शरीर पर दिखाई देने लगे है. विगत 7 दिनों के दौरान उष्माघात संदेहित मरीजों की संख्यामें अच्छी खासी वृद्धि भी हुई है. ऐसे में स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह डॉक्टरों द्बारा दी गई है.
इन दिनों तापमान का स्तर लगातार उंचा उठता जा रहा है और विगत सप्ताह तो अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सिअस तक जा पहुंचा था. ऐसे में तेज धूप व भीषण गर्मी से बचाव करना बेहद जरुरी हो गया है. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग सहित जिला प्रशासन द्बारा आवश्यक उपाय करने के साथ-साथ जनजागृति भी की जा रही है. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्बारा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण अस्पतालों तथाउपजिला अस्पतालों में उष्माघात कक्ष तैयार किए गए है. जहां पर धूप व लू लगने की चपेट में आये मरीजों का इलाज करने की तमाम व्यवस्थाए तैयार रखी गई है. इसके साथ ही नागरिकों से आवाहन किया गया है कि, वे दोपहर के समय तेज धूप के दौरान घर से बाहर निकलना और शारीरिक कष्ट के काम करना टालें, सफेद व हल्के रंग वाले गिले एवं सुती कपडे पहने, सिर एवं आंखों की सुरक्षा के लिहाज से दुपट्टा, टोपी व गॅगल का प्रयोग करें, इसके साथ ही तेल-मसाले वाले भोजन से परहेज करते हुए भरपूर पानी पीये.
* ‘सन स्ट्रोक’ यानी क्या?
शरीर से बडे पैमाने पर पसीना निकलता है और पल्स रेट बढ जाती है. यह एक तरह का सिंड्रोम है. इसके साथ ही हीट क्रैम्प्स व हीट स्ट्रोक भी हो सकता है. जिसमें से हीट स्ट्रोक यानि उष्माघात सबसे अधिक घातक होता है.
* उष्माघात के प्रारंभिक लक्षण
बहुत अधिक पसीना आना, चक्कर आना, थकान महसूस होना, अपने पैरों पर खडे होते ही रक्तदाब कम होना, मांस पेशियों का अकडना, जी मचलना तथा सिरदर्द होना आदि को उष्माघात के प्रारंभिक लक्षण कहा जा सकता है.
* 7 दिनों में 27 संदेहित मरीज
जिला स्वास्थ्य विभाग द्बारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक 22 से 28 मई तक 7 दिनों के दौरान उष्माघात के 27 संदेहित मरीज पाए गए है.
* तुरंत इलाज हेतु क्या करें?
उष्माघात में त्वरित इलाज की जरुरत पडती है. इसके तहत शरीर में रहने वाली अतिरिक्त उष्णता को जल्द से जल्द बाहर निकालने के साथ ही रक्तसंचार को सुचारु रखना सबसे पहली प्राथमिकता होती है. इस बात की ओर मरीज का इलाज शुरु करते समय विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है.
* उष्माघात से अब तक कोई मौत नहीं
यद्यपि अमरावती जिले में अब तक उष्माघात के 27 मरीज पाए जा चुके है. लेकिन सौभाग्य से इसमें से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है. हालांकि लगातार बढते तापमान के चलते उष्माघात होने वाले मरीजों की संख्या जरुर बढ रही है.
* किये है अधिक खतरा
4 वर्ष से कम आयु वाले छोटे बच्चे तथा 65 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्गों के लिए उष्माघात का खतरा कुछ अधिक प्रमाण में रहता है. जिसके चलते इस आयु वर्ग वाले लोगों ने तेज धूप रहते समय सुबह 11 से दोपहर 4 बजे तक घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. वहीं बेहद जरुरी रहने पर ही आवश्यक सावधानियां बरतते हुए तेज धूप वाले समय घर से बाहर जाना चाहिए. इसके तहत सिर, कान व चेहरे को अच्छी तरह से ढांकते हुए आंखों पर गहरे रंग का चश्मा पहनना चाहिए, ताकि तेज धूप और गर्म हवाओं से बचाव हो सके.