यवतमाल प्रतिनिधि/ १७– लॉकडाउन के समय नागरिकों को काफी मात्रा में बिजली बिल दिया गया. इस बारे में आक्रोश जताये जाने पर १०० यूनिट तक बिजली बिल माफ करने की तैयारी दर्शायी गई. इसके लिये शासन को एक हजार करोड़ रुपए का नियोजन करना पड़ेगा. कोरोना के कारण सरकार पहले से ही आर्थिक संकट में है. इस कारण मंगलवार को कॅबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक में पहले बिजली बिल व मीटर जांच, बाद में माफी ऐसी भूमिका ली गई.
ग्राहकों को दिये गये बढ़ाये बिजली देयक की जांच करें, इसके लिये गत वर्ष (ग्रीष्मकाल के तीन महीने) उसी समय कितना बिल आया था, उसके अनुसार तुलना करें, जिन ग्राहकों को अधिक बिल आया उनका विद्युत मीटर जांचे, उसका अहवाल आने पर ही माफी का निर्णय लेंगे, ऐसा कैबिनेट बैठक में निश्चित हुआ. शून्य से ३०० से ५०० यूनिट के ग्राहकों को माफी देना हो तो कितना निधि लगेगा, इस बात का अभ्यास करें ऐसी सूचना दी गई.
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महावितरण के कामों से आयोग नाखुश
महावितरण की बिजली बिल वसुली क्षमता ८९ प्रतिशत आयोग ने दर्ज की है. मात्र उतना महसूल वसुल न होने से आयोग ने चर्चा भी की. बावजूद बिजली ग्राहकों का बकाया दस हजार करोड़ से कम दर्शाया गया. इस कारण महावितरण के कामों से आयोग नाखुश है.
महावितरण व्दारा देखभाल दुरुस्ती पर २० प्रतिशत खर्च करना बंधनकारक है. लेकिन प्रत्यक्ष में तो ११ से १४ प्रतिशत किया जाता है. इस कारण दुर्घटनाएं बढ़ी है. महावितरण ने काम में सूसूत्रता न लाने पर आयोग व्दारा बिजली वितरण और बिजली आपूर्ति ऐसे दो स्वतंत्र विभाग किये जाने की संभावना है.