अमरावती

मिरची का लागत क्षेत्र कम होने से आवक पर हुआ असर

फसल पर मर रोग का आक्रमण

* अचलपुर के बजाय अन्य मार्केट
* 70 हजार से 7 हजार तक पहुंची आवक

परतवाडा/दि.26– रसोई में आवश्यक रहनेवाले मसालों में से लाल मिर्च पावडर अचलपुर तहसील में बडे पैमाने पर तैयार होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मिरची क्षेत्र कम होने से 70 हजार क्विंटल पर से केवल 7 हजार क्विंटल आवक बाजार समिति में होती है. विविध प्रजाति की लाल मिर्च अचलपुर कृषि उपज बाजार समिति के यार्ड से व्यापारी खरीदते है. पहले अन्य तहसील से भी यहां पर बडे पैमाने पर मिरची बिक्री के लिए आती थी, लेकिन पिछले दस साल में मिरची फसल पर मर तथा विविध रोग के प्रकोप को देख, किसानों ने मुंह फेरा है. परिणामस्वरूप बडे पैमाने पर उत्पादन घटा है. डिमांड रहने के बाद भी आवक ही नही रहने से उपलब्ध उपज पर ही व्यवसाय शुरु है, ऐसा व्यापारी शारीकभाई ने बताया. पारंपपरिक फसल में आने वाली यह फसल अच्छी आमदनी और आर्थिक रूप से किसानों को सक्षम बनाने वाली थी. किंतु बदलते तापमान, बेमौसम बारिश और रोगों के प्रादुर्भाव लागत क्षेत्र घटने का कारण बना.

* अचलपुर के बजाय अन्य मार्केट
करीब 20 साल पहले 70 हजार क्विंटल तक लाल मिरची की आवक बाजार समिति में होती थी. अब केवल 7 क्विंटल तक लाल मिरची की आवक हो रही है, ऐसा संचालक पोपट घोडेराव ने बताया. अकेले अचलपुर तहसील से दूर तक जाने वाली मिरची अब नागपुर, अमरावती, अकोला व जिले के अन्य तहसील में व्यापारी ले जाते है.

* 120 से 170 रुपए किलो
अचलपुर कृषि उपज बाजार समिति में 5 से 6 व्यापारी लाल मिरची का व्यवसाय करते है. अचलपुर तहसील की ही मिरची यहां आने की बात उन्होंने कही. इसमें रोशनी, डॉक्टर, क्वालिटी, नवतेज किस्म की मिरची का समावेश है. इस सप्ताह 120 से 170 रुपए प्रति किलो बिक्री होने की जानकरी संचालक ने दी.

* गीली मिरची को धूप दिखाकर बिक्री
खेतों से बाजार में आने वाली लाल मिरची पूरी तरह से सूखी नहीं होती. बाहरी क्षेत्र में बिक्री करते समय घाटा होता है. इसके लिए मिरची को फिरसे बाजार समिति यार्ड के ओटे पर व्यापारी धूप में सूखाते है और इसमें से निकलने वाला कचरा मजदूरों के माध्यम से साफ किया जाता है.

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