राजस्व विभाग के जरिये संकलित होगा ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा
राज्य पिछडावर्गीय आयोग की बैठक में लिया गया निर्णय
* चार से पांच माह का समय लगेगा
पुणे/दि.14- ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा संकलित करने हेतु राज्य पिछडावर्गीय आयोग ने विशेषज्ञों की सहायता से एक प्रश्नावली तैयार की है. जिस पर गत रोज आयोग की तीन घंटे चली बैठक में अंतिम मूहर लगायी गई. इस बैठक में तय किया गया कि, ओबीसी समाज के इम्पिरिकल डेटा से संबंधित जानकारी राजस्व विभाग के जरिये संकलित की जायेगी और यह जानकारी संकलित करने हेतु करीब चार से पांच माह की कालावधि लगेगी.
बता देें कि, ओबीसी समाज के स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में राजनीतिक आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था और आरक्षण हेतु ओबीसी समाज का सर्वेक्षण करने के लिए न्यायालय ने ‘ट्रिपल टेस्ट’ की शर्त रखी थी. जिसके अनुसार राज्य पिछडावर्गीय आयोग ने अब ओबीसी संवर्ग का इम्पिरिकल डेटा संकलित करने की दृष्टि से अपनी तैयारी शुरू की है. इस संदर्भ में गत रोज पुणे के वीआयपी सर्किट हाउस में आयोग की पहली बैठक हुई. जिसमें आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आनंद निरगुडे सहित सात सदस्य उपस्थित थे. वहीं अन्य दो सदस्यों ने इस बैठक में ऑनलाईन तरीके से हिस्सा लिया. करीब ढाई से तीन घंटे तक चली इस बैठक में ओबीसी समाज के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व शैक्षणिक जानकारी संकलित करने का निर्णय लिया गया.
इम्पिरिकल डेटा को प्रत्यक्ष संकलित करने हेतु महत्वपूर्ण रहनेवाली प्रश्नावली अलग-अलग विशेषज्ञों की सलाह से तैयार की गई है और यदि इस काम के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है, तो पूरी जानकारी चार से पांच माह के दौरान संकलित की जा सकती है. पूरी जानकारी संकलित करते के बाद इसका विश्लेषण करने के लिए करीब एक से डेढ माह का समय लगेगा. जिसके बाद आयोग द्वारा सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जा सकेगी. यानी पूरी प्रक्रिया के लिए करीब 6 से 8 माह की कालावधि लग सकती है. ऐसी जानकारी आयोग के एक सदस्य द्वारा दी गई है.
* कौन-कौन सी जानकारी संकलित की जायेगी
– स्थानीय स्वायत्त निकायों में प्रभागनिहाय ओबीसी समाज के प्रतिनिधित्व की जानकारी.
– जनप्रतिनिधियों की पदनिहाय संख्या व अन्य जानकारी.
– ओबीसी संवर्ग की पारंपारिक संस्कृति, उत्सव एवं पारंपारिक व्यवसाय.
– शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी संवर्ग के छात्र-छात्राओं का प्रतिशत.
– बीच में ही पढाई-लिखाई छोड देनेवाले ओबीसी छात्र-छात्राओं का प्रमाण.
– ओबीसी समाज में लडकियों की शैक्षणिक स्थिति.
– उच्च शिक्षा में युवक-युवतियों का प्रमाण.
– ओबीसी समाज के नागरिकों के मौजूदा व्यवसाय व सालाना आर्थिक आय.
– ओबीसी संवर्ग से वास्ता रखनेवाले किसानोें की आर्थिक स्थिति व वार्षिक आय.
* आयोग के समक्ष चुनौतियां
ओबीसी संवर्ग की भले ही जातिनिहाय जनगणना नहीं होगी. किंतु उन्हें लेकर संशोधन व सर्वेक्षण किया जायेगा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कुल आरक्षण 50 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए. इस ओर भी आयोग को ध्यान देना होगा. एससी/एसटी आरक्षण को जनसंख्या के प्रमाण में प्रथम प्राधान्य से आरक्षण देकर शेष सीटों पर ओबीसी संवर्ग को पर्याप्त आरक्षण देने की दृष्टि से जानकारी का प्रस्तुतिकरण करना आयोग के समक्ष सबसे बडी चुनौती है.
* पांच करोड की निधी मिली, अनुमति में अटकी
राज्य सरकार ने राज्य पिछडावर्गीय आयोग के लिए पहले चरण में 50 करोड रूपये मंजूर किये थे और आयोग को शुरूआती दौर में 5 करोड रूपये दिये भी गये. किंतु इस निधी को खर्च करने की अब तक सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई है. जिसके लिए सचिव स्तर पर आवश्यक प्रयास जारी है. किंतु यह फाईल अब भी लाल फीताशाही में अटकी हुई है.
* पारदर्शक तरीके से जानकारी संकलित करेंगे
कोविड के खतरे को देखते हुए आवश्यक मनुष्यबल नहीं मिलने पर इम्पिरिकल डेटा जमा करने में कुछ विलंब हो सकता है. इस प्रक्रिया में सरकारी महकमे के हजारों लोग प्रत्यक्ष सडकों पर उतरकर काम करेंगे और हम पारदर्शक पध्दति से सूचना एवं जानकारी संकलित करने पर पूरा जोर देंगे.
– प्रा. लक्ष्मण हाके
सदस्य, पिछडावर्गीय आयोग