अमरावती

विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण लागू करें

लोकसभा अध्यक्ष को विधायक सुलभा खोडके ने लिखा पत्र

* विशेष अधिवेशन में विधेयक मंजूर करने की मांग
अमरावती/दि.18– देश में जहां एक ओर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आम जनता के साथ महिलाएं आज भी पिछडी दिखाई देती है. देश में सभी स्तर की जनता के साथ ही महिलाओं के विकास के लिए संसद तथा विधानमंडल में विधेयक रखे जा रहे हैं. फिर भी उस स्थान पर महिला प्रतिनिधियों की संख्या कम रहने से ऐसे कई विधेयक प्रलंबित है. संसदीय कामकाज में महिलाएं भी पूर्ण दायित्व के साथ कामकाज कर सकती हैं. लेकिन सभागृह में उनकी संख्या कम होने ेसे हमेशा महिला जनप्रतिनिधियों की आवाज दबाने का प्रयास होता है. उनका कोई भी नहीं सुनता, उन्होंने रखे हुए प्रश्नों की ओर अनदेखी की जाती है. लोकतंत्र के मजबूतीकरण के लिये लोकसभा तथा विधानसभा में महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या बढना समय की जरुरत बनी है. इसलिए देश की प्रगति में सहयोग मिलने तथा निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की अभिव्यक्तियों तथा उनकी राय का विचार कर आर्थिक, सामाजिक तथा राजकीय मजबूतीकरण होने के लिये महिलाओं को लोकसभा तथा विधानसभा में भी 33 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाये, ऐसी मांग का विनंती भरा पत्र अमरावती की विधायक सुलभा खोडके ने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है. साथ ही 18 सितंबर से शुरु हो रहे लोकसभा के चार दिवसीय विशेष अधिवेशन में महिलाओं को 33 प्रतिशत राजकीय आरक्षण लागू करने वाला विधेयक प्रस्तुत कर मंजूर किया जाये, ऐसी मांग भी पत्र में विधायक खोडके ने अधोरेखित की है.
* बहुमत के आधार पर मंजूर हो सकता है विधेयक
देश में नौकरी की भर्ती में महिलाओं को आरक्षण मिला है. लेकिन लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के संदर्भ में विधेयक अनेक वर्षा से संसद में प्रलंबित है. आगामी 18 सितंबर 2023 से लोकसभा का विशेष अधिवेशन बुलाया गया है. इसमें अनेक महत्वपूर्ण विधेयक रखे जानेवाले है. उसमें लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देनेवाला विधेयक रखकर उसे मंजूर किया जाए. प्रथम स्तर की महिलाओं को राजनीति में अधिकाधिक प्रतिनिधित्व देनेवाला यह विषय होने के कारण इसे विरोध भी नहीं होगा. लोकसभा में महिलाओं को विधायकी तथा सांसदी में 33 प्रतिशत आरक्षण देनेवाला विधेयक बहुमत से मंजूर भी हो सकता है. साथ ही लोकसभा और विधानसभा में महिलाआ जनप्रतिनिधियों की संख्या बढने पर जात-पात की राजनीति को रोक लगेगी और विकास की राजनीति कर पाएंगे. देश की प्रगति में

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