अमरावती

रिद्धपुर में महत्ता, इसलिए विद्यापीठ हेतु चयन

महानुभाव बोर्ड के अध्यक्ष नागपुरे का कहना

संदर्भ प्रथम मराठी भाषा विद्यापीठ का
अमरावती/दि.10- मराठी भाषा विश्व विद्यालय रिद्धपुर में स्थापित किए जाने की शिंदे-फडणवीस सरकार की अर्थ संकल्प में घोषणा का अभा महानुभाव साहित्य महामंडल के अध्यक्ष प्रा. पुरुषोत्तम नागपुरे और सभी ने स्वागत किया है. प्रसन्नता भी व्यक्त की है. इस बारे में आज दोपहर संवाददाता सम्मेलन में प्रा. नागपुरे ने कहा कि रिद्धपुर की महत्ता है, वह महानुभावों की काशी मानी जाती है. अनेक मराठी ग्रंथ वहां सर्वप्रथम रचे गए. इसलिए रिद्धपुर का प्रथम मराठी विद्यापीठ हेतु चयन हुआ है.
मराठी पत्रकार भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में नागपुरे के साथ सुभाष पावडे, एड. अरुण ठाकरे, अनंत तेलखेडे उपस्थित थे. नागपुरे ने बताया कि, रामटेक में संस्कृत, वर्धा में हिंदी, कर्नाटक में कन्नड भाषा का विश्वविद्यालय है. इसलिए मराठी विद्यापीठ की सर्वप्रथम कल्पना 1933 के नागपुर साहित्य सम्मेलन में हुई थी. रिद्धपुर में महदंबा साहित्य सम्मेलन के समय भी विद्यापीठ स्थापित करने का निर्णय किया गया था.
प्रा. नागपुरे के अनुसार तेरहवें शतक में चक्रधर स्वामी गुजरात से महाराष्ट्र आए. गुजराती भाषी रहने पर भी उन्होंने मराठी भाषा आत्मसात की और अपने तत्वज्ञान का उन्होंने लोकभाषा में ही प्रचार किया. उनका पहला हस्त लिखित आद्य ग्रंथ लीला चरित्र मराठी में और रिद्धपुर में ही लिखा गया. उसके बाद अनेक ग्रंथों की रचना यहां की गई. मराठी की आद्य कवियत्री महदाईसा जिन्हेें महदंबा के नाम से भी जाना जाता है, रिद्धपुर में ही घवले अर्थात उस शतक की कविताएं रची. ज्ञानेश्वरी की रचना से चार साल पहले ही महादंबा के दोहे मराठी पद्यग्रंथ में रचे गए थे.
नागपुरे और विशेषकर मानुभाव महामंडल ने रिद्धपुर में विद्यापीठ स्थापित करने की घोषणा पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि फडणवीस को लाख-लाख धन्यवाद. अनेक वर्षो का सपना साकार वे कर रहे हैं. भारत में फैले करोडो महानुभाव अनुयायी आनंद व्यक्त कर रहे है. महाराष्ट्र में अनेक विद्यापीठों को लोकत्तर संत तथा महापुरुषों के नाम दिए गए है. इसलिए मराठी विद्यापीठ का नाम उसी चक्रधर स्वामी के नाम पर रहने की अपेक्षा भी उन्होंने व्यक्त की.

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