अमरावती

वृध्दों के लिए योजना में सुधार लाने को बढावा दिया जा सकता हैं

समाज संशोधक अभिनव पाथरे का निष्कर्ष

अमरावती/दि.29- भारत में वृध्दों की संख्या बढ रही है. उनके हित के लिए सरकार की योजना भी अच्छी तरह से कार्यरत है. परंतु यह योजना कुछ प्रमाण में सीमित होने के कारण उसके सुधार को पूरी तरह बढावा दिया जा सकता हैं. ऐसा निष्कर्ष अमरावती के समाज संशोधक अभिनव पाथरे ने उनके शोध निबंध में निकाला है. पाथरे का यह शोध निबंध आंतरराष्ट्रीय संशोधन नियतकालिका में प्रसिध्द हुआ है.
इंटरनॅशनल जर्नल ऑफ पेडियाट्रिक्स अ‍ॅण्ड जेरियाट्रिक्स, इस संशोधन नियतकालिका के इस ओर प्रकाशन में प्रकाशित हुए इस शोध निबंध में पाथरे ने वृध्दों की विविध समस्या, उस पर उपाय योजना व सरकारी योजना का परामर्श लिया है.
वृध्दो की समस्या तीव्र व भयावह है. इस समस्या पर उपाय करनेवाली सरकार की योजना भी है. परंतु यह योजना उसकी मर्यादा में ही काम कर सकती है. इसे योजना की असफलता नहीं माना जा सकता. वह केवल सीमित है. ऐसा स्पष्ट कर पाथरे ने इसे निबंध में कहा है. सरकार की विविध योजना में सुसूत्रता व एकवाक्यता होना अपेक्षित है. उसकी नियमित समीक्षा लेना आवश्यक है. उसी प्रकार इस योजना की व्याप्ती व कार्यक्षेत्र भी बढाने की आवश्यकता है. वृध्दो के स्वास्थ्य सेवा के जाले केवल जिलास्तर तक सीमित न रहकर वे जाले गांवखेडा तक पहुंचना चाहिए. उस संबंध में जनजागृति होना अनिवार्य है.
सामाजिक कार्यकर्ता , वैद्यकीय सामाजिक कार्यकर्ता व समुपदेशन करनेवाले के जाले भी निर्माण होना चाहिए. तभी हम भारतीय वृध्दों को स्वस्थ व आनंदी जीवन दे सकते है.
* गंभीर आकडेवारी
वृध्द संख्या का प्रतिशत 1991 से 2016 या 25 वर्ष की कालावधि में 6.8 से 9.2 तक बढा है वृध्द जनसंख्या की प्रत्येक पांच वध्दों में से एक वृध्द अलग-अलग समस्या से ग्रस्त है. व उसके प्रमाण 20 प्रतिशत है. गंभीर वास्तवइस शोध निबंध की आकडेवारी से अभिनव पाथरे ने सामने लाया है.

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