11 माह में 1997 को सर्पदंश, 15 की हुई मौत
सर्वाधिक शिकार हुए इर्विन अस्पताल में भर्ती
अमरावती /दि.20– बारिश के मौसम दौरान सर्पदंश की घटनाओं में अच्छी खासी वृद्धि हो जाती है. इसके अलावा भी पूरे सालभर के दौरान कही न कही सर्पदंश की घटनाएं घटित होती है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिले में जनवरी से नवंबर माह के दौरान 11 माह की कालावधि में सर्पदंश की 1997 घटनाएं घटित हुई. जिसमें सर्पदंश का शिकार 15 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई.
जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिले में रोजाना सर्पदंश की औसतन 6 घटनाएं घटित होती है. जिसमें सर्वाधिक प्रमाण ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले सर्पदंश का होता है. लेकिन सर्वाधिक मरीजों का इलाज अमरावती शहर स्थित जिला सामान्य अस्पताल में किया जाता है. जारी वर्ष के दौरान भी जिले में सर्पदंश का शिकार हुए 1997 लोगों में से 1076 लोगों को इलाज हेतु जिला सामान्य अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों रबी की फसलों का सीजन चल रहा है और ग्रामीण क्षेत्र के लोगबाग अपने खेतों में बुआई-सिंचाई का काम करते है. जहां पर अक्सर ही सर्पदंश की घटनाएं घटित होती है. यहीं स्थिति बारिश के मौसम दौरान खरीफ सीजन के समय भी होती है. सर्पदंश का शिकार होने वाले व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सेवा मिलना बेहद जरुरी होता है. इसके चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उपकेंद्रों में भी सर्पदंश पर इलाज हेतु आवश्यक रहने वाली सभी दवाओं की आपूर्ति की जाती है. हालांकि इसके बावजूद स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज की सुविधा उपलब्ध रहने पर भी वहां के डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बिना इलाज किये ही ग्रामीण अस्पताल या जिला सामान्य अस्पताल में रेफर किया जाता है. ऐसे में इलाज में होने वाले विलंब के चलते प्रकृति गंभीर होकर कई बार मरीजों की जान चली जाती है. विगत जनवरी से नवंबर माह के दौरान सर्पदंश का शिकार हुए 1997 लोगों में से 15 लोगों को अपनी जान गवानी पडी है. जिसमें से सर्वाधिक 9 लोगों की मौते इर्विन अस्पताल में इलाज के दौरान होने की बात सामने आयी है.
* 563 को बिच्छु काटा
सर्पदंश के साथ ही जिले में बिच्छु के डंक का शिकार होने वाले लोगों की संख्या भी अच्छी खासी रहती है. विगत 11 माह के दौरान जिले में 563 लोग बिच्छु डंक का शिकार हुए. हालांकि समय पर इलाज मिल जाने के चलते बिच्छु डंक की वजह से किसी की भी मौत नहीं हुई. बिच्छु डंक का शिकार सर्वाधिक 126 लोगों पर तिवसा के उपजिला अस्पताल में इलाज किया गया. वहीं नांदगांव खंडेश्वर ग्रामीण अस्पताल में बिच्छु डंक के 76 मरीज पहुंचे.