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2004 में कांग्रेस-राकांपा आघाडी व भाजपा-सेना युति के बीच हुआ था कडा मुकाबला

आघाडी ने बाजी मारकर बनाई थी सरकार

* जिले में भी लगभग बराबरी पर थी टक्कर
* दो-दो सीटों पर कांग्रेस, शिवसेना व भाजपा को मिली थी जीत
* एक-एक सीट पर राकांपा व जनसुराज पार्टी का खुला था खाता
* अचलपुर सीट से बच्चू कडू ने पहली बार जीता था चुनाव
* भारसाकले चौथी बार व बंड तीसरी बार चुनाव जीते थे
* लगातार दूसरा चुनाव जीतकर सुनील देशमुख बने थे मंत्री
* कद्दावर भाजपा नेता गुप्ता व अडसड को करना पडा था हार का सामना
* दो बार के विधायक धाने पाटिल भी बडनेरा से हारे थे
* मोर्शी में हर्षवर्धन ने आघाडी के खिलाफ बचाया था अपना गढ
अमरावती/दि.28 – राज्य की 11 वीं विधानसभा के लिए महाराष्ट्र में 13 अक्तूबर 2004 को चुनाव कराया गया था. जिसके नतीजे 17 अक्तूबर को मतगणना पश्चात घोषित किए गए थे. इस चुनाव में कांग्रेस व राकांपा में आघाडी के तौर पर तथा भाजपा-शिवसेना ने महायुति के तौर पर चुनाव लडा था और दोनों ही गठबंधनों के बीच काटे का मुकाबला हुआ था. जिसमें कांग्रेस-राकांपा आघाडी ने जीत हासिल की थी. तथा महाराष्ट्र में लगातार दूसरी बार कांग्रेस-आघाडी की सरकार बनी थी. वहीं दूसरी ओर अमरावती जिले में भी दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला लगभग बराबरी वाला रहा. जिसके तहत जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 4 सीटों पर भाजपा-सेना युति ने जीत हासिल की थी. जिसमें से भाजपा ने दो व शिवसेना ने एक सीट जीती थी. वहीं कांग्रेस-राकांपा आघाडी ने तीन सीटे जीती थी. जिसमें से कांग्रेस ने 2 व राकांपा ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा 1 सीट पर पश्चिम महाराष्ट्र में प्रभूत्व रखनेवाली जनसुराज पार्टी को सफलता मिली थी. वहीं 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी.
वर्ष 2004 के चुनाव की सबसे बडी खासियत यह रही कि, शिवसेना के प्रकाश भारसाकले ने दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से सेना प्रत्याशी के तौर पर लगातार चौथी बार चुनाव जीतते हुए जिले की राजनीति में एक अनुठा रिकॉर्ड बना दिया था. क्योंकि, इससे पहले किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को लगातार 4 बार ऐसी सफलता नहीं मिली थी. इसके साथ ही शिवसेना के ही संजय बंड ने वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीतते हुए अपनी हैट्रीक पूरी की थी. इसके अलावा अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख, तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी साहेबराव तट्टे व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए थे. जबकि दो बार विधायक रह चुके शिवसेना के ज्ञानेश्वर धाने पाटिल को बडनेरा तथा भाजपा के अरुण अडसड को चांदुर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र में हार का सामना करना पडा था. इसके साथ ही इससे पहले निर्दलीय एवं कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर दो बार मोर्शी से विधायक रह चुके हर्षवर्धन देशमुख ने सन 1999 के चुनाव में हारने के बाद सन 2004 का चुनाव जनसुराज पार्टी प्रत्याशी के तौर पर लडा और जीता. वहीं चांदुर रेलवे से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप तथा अचलपुर से प्रहार पार्टी के बच्चू कडू ने पहली बार जीत हासिल करते हुए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी.

* आघाडी सरकार का हुआ था गठन, शिंदे बने थे सीएम, आबा डेप्युटी सीएम
वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव पश्चात महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा आघाडी को 140 सीटे मिली थी. जिसमें कांग्रेस की 69 व राकांपा की 71 सीटों का समावेश था. वहीं भगवा गठबंधन यानी भाजप-शिवसेना युति को 116 सीटों पर सफलता मिली थी. जिसमें भाजपा की 54 व शिवसेना की 62 सीटे थी. ऐसे में बहुमत के आधार पर आघाडी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था और आघाडी की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी गई. वहीं राकांपा के आर. आर. उर्फ आबा पाटिल को उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री बनाया गया था. वर्ष 2004 में गठीत आघाडी सरकार पूरी स्थिरता के साथ काम कर रही थी. परंतु 5 वर्ष में से 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा होते-होते 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर भयानक आतंकी हमला हुआ था. जब पाकिस्तान से 10 प्रशिक्षित आतंकियों ने मुंबई के सीएसएमटी, ताज होटल, कामा हॉस्पिटल व नरीमन पॉईंट सहित कई स्थानों पर गोलीबारी करने के साथ ही नागरिकों को बंधक भी बनाया था. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख व उपमुख्यमंत्री आबा पाटिल को अपने-अपने पदों से इस्तिफा देना पडा था. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री रह चुके सुशिलकुमार शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए राज्य की बागडौर सौंपी गई थी और वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव तक शिंदे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे.

* अमरावती से लगातार दूसरी बार जीतकर राज्यमंत्री बने थे डॉ. सुनील देशमुख
* पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता को लगातार दूसरी बार करना पडा था हार का सामना
वर्ष 2004 के चुनाव में अमरावती विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस के डॉ. सुनील देशमुख व भाजपा के जगदीश गुप्ता आमने-सामने थे और पिछली बार की तरह डॉ. सुनील देशमुख ने जगदीश गुप्ता को पराजित करते हुए लगातार दूसरी जीत हासिल की थी. विशेष उल्लेखनीय है कि सन 1999 के विधानसभा चुनाव से ही डॉ. देशमुख व जगदीश गुप्ता के बीच एक तरह की राजनीतिक प्रतिद्वंदीता शुरु हुई. जो विधान परिषद के चुनाव में भी दिखाई देती थी. वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में हार जाने के बाद जगदीश गुप्ता को भाजपा विधान परिषद में जाने का मौका दिया था. जिनके खिलाफ तत्कालीन विधायक व कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख ने कांग्रेस की ओर से अन्वर बिल्डर को मैदान में उतारा था. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी अन्वर बिल्डर को विधान परिषद चुनाव में हार का सामना करना पडा था. इसके बाद सन 2005 के विधान परिषद चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी जगदीश गुप्ता के खिलाफ डॉ. सुनील देशमुख ने अपने बेहद खासमखास रहनेवाले मिलिंद चिमोटे को चुनावी अखाडे में उतारा था. लेकिन दूसरी बार भी जगदीश गुप्ता ने विधान परिषद के चुनाव में जीत हासिल की थी. हालांकि इससे पहले दो बार विधानसभा में रह चुके पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता वर्ष 1999 के बाद कभी भी विधानसभा के चुनाव में अपनी पुरानी सफलता को दोहरा नहीं पाए और 2010 का दौर आते-आते मुख्य धारा की राजनीति से भी दूर हो गए. जबकि जगदीश गुप्ता को पराजित कर अपनी राजनीतिक पारी शुरु करनेवाले डॉ. सुनील देशमुख ने इसके बाद भी दो बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और वे दो बार हारे. साथ ही वे अब भी अमरावती निर्वाचन क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय है. वर्ष 2004 के चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख ने कुल 81 हजार 698 वोट हासिल किए थे. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी जगदीश गुप्ता हो महज 49 हजार 935 वोट मिले थे. यानी लगभग 41 हजार वोटो की लीड से डॉ. सुनील देशमुख ने वह चुनाव जीता था और लगातार दूसरी बार चुनाव जीतनेवाले डॉ. सुनील देशमुख को राज्य में कांग्रेस-राकांपा आघाडी की सरकार बनने पर वित्त राज्यमंत्री बनाने के साथ ही जिला पालकमंत्री पद का जिम्मा भी सौंपा गया था.

* बडनेरा से राकांपा की सुलभा खोडके ने खोला था अपना खाता
– दो बार विधायक रह चुके शिवसेना के धाने पाटिल की चूकी थी हैट्रीक
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक रहनेवाले शिवसेना के ज्ञानेश्वर धाने पाटिल को पहली बार राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडनेवाली सुलभा खोडके के हाथों हार का सामना करना पडा था. उस समय अमरावती शहर का हिस्सा रहनेवाला पंचवटी चौक से नवसारी परिसर तक का इलाका बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल हुआ करता था. इसी क्षेत्र में संजय खोडके व सुलभा खोडके का निवासस्थान है. जहां से उन्हें जबरदस्त वोट हासिल हुए थे. वहीं शिवसेना प्रत्याशी ज्ञानेश्वर धाने पाटिल की बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल ग्रामीण इलाको में अच्छी-खासी पकड थी. जिसके दम पर उन्होंने खोडके की दावेदारी को जबरदस्त टक्कर दी थी. लेकिन उस चुनाव में खोडके का पलडा धाने पाटिल की तुलना में थोडा भारी रहा. उस समय राकांपा प्रत्याशी सुलभा खोडके को 54 हजार 995 तथा सेना प्रत्याशी ज्ञानेश्वर धाने पाटिल को 49 हजार 236 वोट हासिल हुए थे. एवं करीब 15 हजार वोटो की लीड से राकांपा प्रत्याशी सुलभा खोडके विजयी हुई थी. इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी प्रमोद तर्‍हेकर ने 23 हजार 266 तथा भारिप-बमसं प्रत्याशी बाबा राठोड ने 13 हजार 898 वोट झटके थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को राकांपा के कोटे में रखने के साथ ही अपनी पत्नी सुलभा खोडके को राकांपा की टिकट दिलाने के लिए राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से बेहद नजदिकी व विश्वासपात्र रहनेवाले राकांपा के तत्कालीन प्रदेश महासचिव संजय खोडके ने अपनी पूरी ताकत लगाई थी और सुलभा खोडके को टिकट मिलने के बाद बडनेरा सीट पर जीत हासिल करने के लिए भी संजय खोडके ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. जिसमें उन्हें सफलता भी मिली.

* चांदूर से पहली बार जीते थे कांग्रेस के वीरेंद्र जगताप
चांदूर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से सन 1999 में अपना पहला चुनाव हारनेवाले कांग्रेस के वीरेंद्र जगताप ने सन 2004 के चुनाव में एक बार फिर किस्मत आजमाते हुए पहली बार सफलता हासिल की थी. वहीं लगातार 5 बार चुनाव लडते हुए 2 बार विधायक निर्वाचित होनेवाले भाजपा नेता अरुण अडसड को हार का सामना करना पडा था. वहीं इससे पहले चांदूर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से एक बार विधायक रह चुके जनता दल के डॉ. पांडुरंग ढोले को एक बार फिर इस चुनाव में हार का सामना करना पडा था. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप को 45 हजार 836 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को 32 हजार 233 वोट हासिल हुए थे. जिसके चलते करीब 13 हजार वोटो की लीड से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप ने चुनाव जीता था. जबकि पूर्व विधायक तथा जनता दल प्रत्याशी पांडुरंग ढोले ने तीसरे स्थान पर रहते हुए 21 हजार 479 वोट हासिल किए थे.

* दर्यापुर से भारसाकले ने लगाया था विजयी चौका
दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना के प्रकाश भारसाकले ने सन 2004 के चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल करते हुए विजयी चौका लगाया था और जिले के इतिहास में अपनी तरह का रिकॉर्ड बना दिया था. शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर चौथा चुनाव लडते हुए प्रकाश भारसाकले ने 53 हजार 329 वोट हासिल कर रिकॉर्ड 25 हजार वोटो की जीत हासिल की थी. उस चुनाव में उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी अरुण गावंडे को 28 हजार 971 वोट हासिल हुए थे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी मदन झाडे को 16 हजार 719 व रिपाइं प्रत्याशी दे. झा. वाकपांजर को 12 हजार 127 वोट मिले थे. विशेष उल्लेखनीय रहा कि, उस चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस व राकांपा ने अपना प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में नहीं उतारा था.

* मेलघाट से लगातार दूसरी बार जीते थे राजकुमार पटेल
आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2004 के चुनाव में राजकुमार पटेल ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी और इससे पहले दो बार मेलघाट से विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी रामू म्हतांग पटेल को बेहद कडे मुकाबले में लगातार दूसरी बार पराजित किया था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल को 61 हजार 354 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रामू म्हतांग पटेल ने 57 हजार 582 वोट हासिल किए थे. जिसके चलते बेहद कडे मुकाबले में राजकुमार पटेल ने करीब साढे तीन हजार वोटो की लीड से जीत हासिल की थी.

* अचलपुर में बच्चू कडू ने हासिल की थी जीत
वर्ष 1999 के चुनाव में कांग्रेस नेत्री वसुधा देशमुख के हाथों हार जानेवाले प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में अपना पुराना हिसाब-किताब बराबर करते हुए कांग्रेस नेत्री वसुधा देशमुख को कडे मुकाबले में करारी शिकस्त दी थी. तथा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बच्चू कडू ने 56 हजार 471 वोट हासिल किए थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी वसुधा देशमुख को 51 हजार 85 वोट मिले थे. जिसके चलते करीब साढे 6 हजार वोटो की लीड से बच्चू कडू चुनाव जीतकर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. विशेष उल्लेखनीय रहा कि, इससे पहले सन 1990 व 1995 के चुनाव में दो बार विधायक निर्वाचित होकर तत्कालीन युति सरकार में मंत्री भी रह चुके भाजपा नेता विनायक कोरडे को सन 1999 की तरह सन 2004 के चुनाव में भी लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पडा और वे 31 हजार 475 वोट लेकर तीसरे स्थान पर थे.

* मोर्शी से हर्षवर्धन देशमुख ने तीसरी बार मारी थी बाजी
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र में वर्ष 1990 व वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार विजयी रहनेवाले हर्षवर्धन देशमुख को वर्ष 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे के हाथों हार का सामना करना पडा था. खास बात यह है कि, हर्षवर्धन देशमुख ने सन 1990 में अपना पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लडा था. जिसके बाद वे शरद पवार के नजदिकी बने. जिन्होंने उन्हे सन 1993 में राज्य का कृषि मंत्री बनाने के साथ ही सन 1995 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट भी दिलाई थी. लेकिन सन 1999 का दौर आते-आते शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना ली थी और हर्षवर्धन देशमुख भी कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार के साथ चले गए थे. जिसके चलते उन्होंने वर्ष 1999 का चुनाव राकांपा की टिकट पर लडा था. जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पडा था. पश्चात वर्ष 2004 का विधानसभा चुनाव आते-आते हर्षवर्धन देशमुख की माली हालत अच्छी-खासी खस्ता हो चूकी थी. ऐसे में वे चुनाव लडने की स्थिति में भी नहीं थे. जिसके चलते उन्हें पश्चिम महाराष्ट्र में अच्छा-खासा राजनीतिक दबदबा रखनेवाले विनायक कुटे की जनसुराज पार्टी ने टिकट देने के साथ ही चुनाव लडने के लिए आर्थिक सहारा भी दिया था. जिसके दम पर चुनाव लडते हुए हर्षवर्धन देशमुख ने कांग्रेस-राकांपा आघाडी के प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे को करीब 9 हजार वोटो की लीड से पराजित किया था. खास बात यह रही की उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे तीसरे स्थान पर थे और शिवसेना के टिकट पर पहली बार चुनाव लडनेवाले डॉ. अनिल बोंडे ने 35 हजार 143 वोट हासिल करते हुए हर्षवर्धन देशमुख को कडी टक्कर दी थी. हालांकि बेहद रोमांचक मुकाबले में महज डेढ हजार वोटो की लीड से हर्षवर्धन देशमुख जीत हासिल कर पाए थे. उस चुनाव में जनसुराज पार्टी के हर्षवर्धन देशमुख को 36 हजार 524, शिवसेना प्रत्याशी डॉ. अनिल बोंडे को 35 हजार 143 तथा कांग्रेस प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे को 27 हजार 573 वोट मिले थे.

* तिवसा में भाजपा के साहेबराव तट्टे ने दोहराई थी अपनी सफलता
– पहले चुनाव में यशोमति ठाकुर को करना पडा था हार का सामना
तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1999 का चुनाव जीतनेवाले भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष साहेबराव तट्टे ने सन 2004 के चुनाव में भी लगातार दूसरी बार सफलता हासिल की थी. वहीं क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेसी नेता व पूर्व विधायक रह चुके भैयासाहब ठाकुर की बेटी यशोमति ठाकुर ने अपने पिता की विरासत को आगे बढाने हेतु राजनीति के क्षेत्र में कदम रखते हुए वर्ष 2004 में अपना पहला लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी साहेबराव तट्टे को 38 हजार 894 तथा उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी व कांग्रेस प्रत्याशी यशोमति ठाकुर को 31 हजार 956 वोट हासिल हुए थे. जिसके चलते भाजपा प्रत्याशी साहेबराव तट्टे ने करीब 7 हजार वोटो की लीड से चुनाव जीता था. इसके अलावा भाकपा प्रत्याशी संजय मंगले ने 13 हजार 246 व बसपा प्रत्याशी प्रा. आनंद तायडे ने 7 हजार 405 वोट हासिल किए थे.

* वलगांव से संजय बंड ने लगाई थी हैट्रीक
वलगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के संजय बंड ने लगातार तीसरी बार चुनाव लडते हुए जीत हासिल की थी और करीब 12 हजार वोटो की लीड हासिल करते हुए अपनी विजयी हैट्रीक को साकार किया था. उस चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी संजय बंड को 41 हजार 109 वोट हासिल हुए थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व कांग्रेस प्रत्याशी सुनील वर्‍हाडे ने 28 हजार 436 वोट हासिल किए थे. बता दे कि, कांग्रेस प्रत्याशी सुनील वर्‍हाडे के भाई डॉ. अनिल वर्‍हाडे इससे पहले वलगांव सीट से विधायक निर्वाचित होने के साथ ही कुछ दिनों के लिए राज्य के मंत्री भी रह चुके थे. परंतु सन 1995 व 1999 के चुनावो में अनिल वर्‍हाडे को शिवसेना के संजय बंड के हाथों हार का सामना करना पडा था. जिसके बाद डॉ. अनिल वर्‍हाडे का असमय निधन हो जाने के चलते उनके भाई सुनील वर्‍हाडे ने वलगांव सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा. हालांकि उन्हें भी संजय बंड के हाथों हार का सामना करना पडा. वहीं इस चुनाव में बसपा के चंद्रशेखर कुरलकर ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 हजार 545 वोट हासिल किए थे.

* दर्यापुर में कराना पडा था मध्यावधी चुनाव
– राणे ने सेना के 16 विधायकों के साथ छोडी थी पार्टी
– कांग्रेस में किया था प्रवेश, भारसाकले का भी था समावेश
विशेष उल्लेखनीय है कि, सन 2004 के चुनाव पश्चात सन 2007 में शिवसेना नेता नारायण राणे ने शिवसेना के 16 विधायको को अपने साथ लेकर पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी थी और शिवसेना छोडकर कांग्रेस में प्रवेश कर लिया था. उस समय नारायण राणे का साथ देनेवाले विधायको में दर्यापुर के शिवसेना विधायक प्रकाश भारसाकले का भी समावेश था. जिन्हें दलबदल कानून के तहत अपने विधायक पद से इस्तिफा देेना पडा था और दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र में मध्यावधि उपचुनाव कराने पडे थे. हालांकि जिसमें प्रकाश भारसाकले ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा लेते हुए एक बार फिर जीत हासिल की थी. जिसके चलते लगातार 4 विधानसभा चुनाव तक शिवसेना मजबूत गढ रहनेवाला दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र एक झटके के साथ कांग्रेस की झोली में चला गया था.

* 2007 में प्रतिभा पाटिल बनी थी देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति
वर्ष 2004 के चुनाव पश्चात और वर्ष 2009 के चुनाव से पहले अमरावती जिले के हिस्से में बेहद अविस्मरणीय पल आया. जब उस समय तक राजस्थान की राज्यपाल रहनेवाली अमरावती जिले की पूर्व सांसद प्रतिभाताई पाटिल को कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद के चुनाव हेतु अपना प्रत्याशी नामित किया और प्रतिभाताई पाटिल ने उस समय राष्ट्रपति पद हेतु भाजपा व एनडीए की ओर से नामित तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत को पराजित कर जीत हासिल करने के साथ ही देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनने का कीर्तिमान भी स्थापित किया था. वहीं प्रतिभाताई पाटिल के राष्ट्रपति बनने की वजह से जिले की राजनीति में शेखावत परिवार का दबदबा एक बार फिर बढ गया था. जिसका असर वर्ष 2009 में हुए चुनाव के दौरान विशेष तौर पर अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में दिखाई दिया और जिले में नए तरह के राजनीतिक समिकरण बने.

* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र      प्रत्यक्ष मतदान     डाक मतदान कुल मतदान
अमरावती          1,48,109         287              1,48,996
बडनेरा              1,48,610         519             1,49,129
दर्यापुर              1,25,991         306             1,26,297
मेलघाट             1,33,340         94               1,33,434
चांदूर रेल्वे         1,14,052          342             1,14,394
अचलपुर           1,47,464          214             1,47,668
मोर्शी                1,31,728         308              1,32,036
वलगांव             1,09,476         60                1,09,536
तिवसा              1,13,278         154              1,13,342
कुल                 11,72,048        2,284          11,74,832

* सन 2004 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत
अमरावती डॉ. सुनील देशमुख (कांग्रेस) 81,538 160 81,698
बडनेरा सुलभा खोडके (राकांपा) 54,784 211 54,995
दर्यापुर प्रकाश भारसाकले (शिवसेना) 53,174 155 53,329
मेलघाट राजकुमार पटेल (भाजपा) 61,310 44 61,354
चांदूर रेल्वे वीरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 45,426 110 45,536
अचलपुर बच्चू कडू (निर्दलीय) 56,420 51 56,471
मोर्शी हर्षवर्धन देशमुख (जनसुराज पार्टी) 36,401 123 36,524
वलगांव संजय बंड (शिवसेना) 41,090 19 41,109
तिवसा साहेबराव तट्टे (भाजपा) 38,841 53 38,894

* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति (हासिल वोट व प्रतिशत)
निर्वाचन क्षेत्र प्रमुख प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत
– अमरावती
डॉ. सुनील देशमुख (कांग्रेस) 81,538 160 81,698
जगदीश गुप्ता (भाजपा) 49,323 112 49,435
याहया खान पठान (बसपा) 7,402 12 7,414
नितिन मोहोड (निर्दलीय) 5,333 02 5,335
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनावीी मैदान में कुल 13 प्रत्याशी थे.

– बडनेरा
सुलभा खोडके (राकांपा) 54,784 211 54,995
ज्ञानेश्वर धाने पाटिल (शिवसेना) 49,010 226 49,236
प्रमोद तर्‍हेकर (बसपा) 23,216 50 23,266
बाबा राठोड (बीबीएम) 13,870 19 13,989
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 13 प्रत्याशी थे.

– दर्यापुर
प्रकाश भारसाकले (शिवसेना) 53,174 155 53,329
अरुण गावंडे (निर्दलीय) 28,971 58 29,029
मदन झाडे (निर्दलीय) 16,719 52 16,771
दे. झा. वाकपांजर (रिपाई) 12,127 20 12,147
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 13 प्रत्याशी थे.

– मेलघाट
राजकुमार पटेल (भाजपा) 61,310 44 61,354
रामू म्हतांग पटेल (कांग्रेस) 57,546 36 57,582
सूरज सिंह कुमारे (बसपा) 5,993 13 6,006
अनिल मावस्कर (निर्दलीय) 4,615 00 4,615
मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 7 प्रत्याशी थे.

– चांदूर रेल्वे
वीरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 45,426 110 45,536
अरुण अडसड (भाजपा) 32,083 150 32,233
डॉ. पांडुरंग ढोले (जदसे) 21,424 55 21,479
सुनील कडू (बसपा) 8,106 17 8,123
चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 11 प्रत्याशी थे.

– अचलपुर
बच्चू कडू (निर्दलीय) 56,420 51 56,471
वसुधाताई देशमुख (कांग्रेस) 50,987 98 51,085
विनायक कोरडे (भाजपा) 31,415 60 31,475
अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 11 प्रत्याशी थे.

– मोर्शी
हर्षवर्धन देशमुख (जनसुराज पार्टी) 36,401 123 36,524
डॉ. अनिल बोंडे (शिवसेना) 35,092 51 35,143
हर्षवर्धन देशमुख (जेएसएस) 36,401 123 36,524
नरेशचंद्र ठाकरे (कांग्रेस) 27,514 59 27,573
दिलीप भोयर (बसपा) 24,168 65 24,233
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 9 प्रत्याशी थे.

– वलगांव
संजय बंड (शिवसेना) 41,090 19 41,109
सुनील वर्‍हाडे (कांग्रेस) 28,331 15 28,346
चंद्रशेखर कुरलकर (बसपा) 21,528 17 21,545
वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 17 प्रत्याशी थे.

– तिवसा
साहेबराव तट्टे (भाजपा) 38,841 53 38,894
यशोमति ठाकुर (कांग्रेस) 31,918 38 31,956
संजय मंगले (भाकपा) 13,206 40 13,246
आनंद तायडे (बसपा) 7,400 5 7,405
तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में कुल 15 प्रत्याशी थे.

 

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