23 साल में 20 हजार से अधिक किसानों ने मौत को लगाया गले
प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान से हुए थे हताश
* पश्चिम विदर्भ में आत्महत्या का बढ रहा प्रमाण
अमरावती/दि.12-पश्चिम विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का प्रमाण बढ रहा है. साल 2001 से जुलाई 2024 दौरान करीब 20 हजार 705 किसानों ने मौत को गले लगाया है. विशेष बात यह है कि, चालू वर्ष के पहले सात महीनों में 633 किसानों ने अपनी जीवनयात्रा समाप्त की. फसल नाउपज, बेमौसम बारिश से होने वाला नुकसान, तथा प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान इन कारणों से किसान हताश हुए है. फसल लागत के लिए लिया गया कर्ज, परिवार की आजीविका कैसे चलाएं? यह चिंता सताने से कई किसानों ने आत्मघाती कदम उठाया है. अमरावती विभाग में वर्ष 2001 से किसान आत्महत्या राजस्व विभाग ने दर्ज की. इसके अनुसार जुलाई तक करीब 20, 705 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें 9695 किसान आत्महत्या प्रकरण सरकारी मदद के लिए पात्र है. तथा इससे अधिक 10ृ728 प्रकरण नियम-शर्तों में अपात्र ठहराये गए. इसके अलावा सालभर से 282 प्रकरण जांच के लिए लंबित है, ऐसी रिपोर्ट विभागीय आयुक्त ने दी है. लगतार सूखा, प्राकृतिक आपदा, कर्ज, बच्चों के विवाह, बीमारी आदि कारणों से किसान आत्महत्या होने का कारण सामने आया है. राज्य में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या अमरावती विभाग में होने पर भी किसानों का मनोबल बढाने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा कोई ठोस उपाय योजना नहीं गई. इसलिए सरकार ने किसान आत्महत्या रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत व्यक्त की जा रही है.
* सर्वाधिक 113 प्रकरण
जनवरी से जुलाई 2024 दौरान 633 किसान आत्महत्या हुई है. इसमें 183 प्रकरण शासन मदद के लिए पात्र, 265 जांच के लिए लंबित तथा 185 प्रकरण अपात्र ठहराये गए है.
इसमें सर्वाधिक 183 किसान आत्महत्या अमरावती जिले में, 169 यवतमाल, 137 बुलडाणा, 99 अकोला, तथा वाशिम जिले में 7 महीने में 45 किसानों ने मृत्यु को गले लगाया.
वर्ष 2001 से किसान आत्महत्या
अमरावती जिला 5359
यवतमाल जिला 6007
बुलडाणा जिला 4309
अकोला जिला 3046
वाशिम जिला 1984
कुल 20709