अमरावतीमहाराष्ट्र

एक हजार की आबादी वाले गांव में 25 से 30 युवक शादी की तैयारी में

इन युवाओं को नहीं मिल रही लडकियां

* कहते है पूरा खर्च हम करेंगे आप केवल लडकी दो
अमरावती/दि.16– केवल 20 साल की कालावधि में वर-वधु बाबत आमुलाग्र बदलाव हुआ दिखाई देता है. 20 वर्ष पूर्व लडकी के पिता अपने रिश्तेदारों को कहते थे कोई लडका है क्या? लेकिन अब वैसा नहीं रहा है. परिस्थिति काफी बदल गई है. अब लडके के पिता कहते कि, लडकी है क्या? इतना ही नही बल्कि शादी में लगनेवाला खर्च भी हम करते है. आप केवल हा कहो, ऐसा कहनेवाले भी काफी है. वर्तमान में एक हजार की आबादी वाले गांव में भी विवाह योग्य 25 से 30 युवक दिखाई देते है. लेकिन उन्हें दूल्हन न मिलने से काफी परेशानी हो रही है.

लडकियों का जन्मदर घटता रहने से युवको के परिजनों को काफी परेशान होना पड रहा है. शादी के लिए लडकियों की कमी महसूस होने से लडके वालो को लडकी की तलाश के लिए काफी पसिना बहाना पड रहा है. इस कारण दहेज नहीं केवल लडकी दो, यह सुनने भी काफी मिलता है. दहेज मिलने की लालसा रखनेवाले लडके के पिता, लडकी सुंदर मिलने की लालसा में रहनेवाले युवक आदि के अब विचार बदल गए है. लेकिन अब लडकियां ही मनपसंद जोडीदार मिलने तक अनेक रिश्ते ठुकराते हुए दिखाई देती है. लडकियों की कम संख्या के कारण लडके के पिता को लडकी के पिता के पीछे घुमना पडता है. वहीं खेती व्यवसाय करनेवाले युवको की बजाए नौकरीपेशे वाले युवक को लडकियां ज्यादा पसंद कर रही है. इस कारण नौकरीपेशा वाला ही पति चाहिए, ऐसा चित्र रहने से कम आबादी वाले गांव में विवाह योग्य युवक अभी भी अविवाहित ही दिखाई देते है.

* लडके की बजाए लडकी ठिक
प्रत्येक परिवार में पहली संतान बेटा ही चाहिए, ऐसा पहले रहता था. क्योंकि परिवार को वंश का दिया चाहिए. इस कारण यह सबकुछ दिखाई देता था. इसी कारण लडकियों के जन्मदर में गिरावट आई. इसका परिणाम अब दिखाई देने से अब वंश का दीपक नहीं बल्कि लडके की बजाए लडकी रही तो चलेगा, ऐसा भी दिखाई देने लगा है.

* लडकियां भी कर रही प्रगति
लडको के साथ-साथ लडकियों को भी अवसर मिला है. इसका लाभ लडकियों ने लिया है. उन्होंने प्रगति भी की है. शिक्षा सहित नौकरीपेशे में भी लडकियों ने बाजी मारी है. लडके अधिक वेतन की प्रतीक्षा में बेरोजगार रहना पसंद कर रहे है. इस कारण लडकियों के वैवाहित जीवन पर भी इसका परिणाम हो रहा है.

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