बहिरम में किसानों ने कपास जलाकर किया केंद्र सरकार का निषेध
47 साल बाद बहिरम में कपास आंदोलन की शुुरुआत
कृषि माल को भाव देने की मांग
परतवाडा/दि.25- बहिरम कपास आंदोलन के शहीद किसान श्रद्धांजलि दिन निमित्त मंगलवार 24 जनवरी को कपास उत्पादक किसानों ने कपास जलाकर तीव्र आंदोलन करते हुए केंद्र सरकार की कपास विरोधी नीति का निषेध किया. बहिरम में कपास आंदोलन 47 साल बाद प्रकाश साबले व गोपाल भालेराव के नेतृत्व में किया गया.
वर्ष 1975 के बहिरम कपास आंदोलन की ज्योत कायम रखने के लिए और किसान विरोधी केंद्र सरकार की नीति का विरोध करने बहिरम कपास आंदोलन स्मृति समिति व्दारा 24 जनवरी 1975 को बहिरम कपास आंदोलन में शहीद हुए किसान विट्ठलराव दोतोंड और उस दौरान प्रेरणादायी नेतृत्व ठहरे दादासाहब हावरे, भाउ साबले, केशरबाई सिकची, शंकरराव बोबडे, मामराजजी खंडेलवाल, विनायकराव कोरडे, वामनराव खलोकार को इस आंदोलन अवसर पर सर्वप्रथम श्रद्धांजलि दी गई. शहीद किसान स्मृति दिन मनाया गया. बहिरम के रेस्ट हाउस परिसर में इस कार्यक्रम में लगभग 200 किसान उपस्थित थे. श्रद्धांजलि कार्यक्रम समाप्त होने के बाद इन किसानों ने केंद्र सरकार के किसान विरोधी नीति का निषेध करते हुए कपास जलाया.
सिर पर कपास के गठ्ठे
किसानों के सिर पर कपास के गठ्ठे और हाथ के फलक इस आंदोलन की तरफ सभी को आकर्षित कर रहे थे. कपास को भाव मिलने ही चाहिए, किसान एकता जिंदाबाद के नारे आंदोलनकर्ताओं ने इस अवसर पर लगाए. किसानोें के सोयाबीन, तुअर को भी दाम मिलने चाहिए. किसानों को मदद मिलनी ही चाहिए. किसानों को न्याय मिलना ही चाहिए आदि नारे भी लगाते हुए इन आंदोलनकर्ता किसानों ने केंद्र सरकार के कपास उत्पादक नीति का निषेध किया.